DHFL घोटाला: भारतीय निवेशकों के लिए एक बड़ा झटका
साल 2019 भारतीय इन्वेस्टर्स के लिए एक बड़े घोटाले के खुलासे के साथ शुरू हुआ था। अपने इन्वेस्टीगेशन से दुनिया के घोटालो पर नजर रखने वाले न्यूज़ पोर्टल कोबरापोस्ट ने देवान हाउसिंग फाइनेंस कारपोरेशन लिमिटेड या कहे DHFL के खिलाफ एक बेहद संगीन आरोप लगाया और सबको भोचक्का कर दिया। और हो भी क्यों न क्योंकि भारत की तमाम क्रेडिट एजेंसियो द्वारा AAA रेटिंग वाली किसी कंपनी का ऐसा खुलाशा सच में अकल्पनीय था।
खैर कोबरापोस्ट की माने तो , DHFL ने शेल कंपनियों के माध्यम से लगभग 31,000 करोड़ रुपये की राशि को गैर कानूनी तरीके से गायब कर दिया था ,अच्छे से समझने के लिए आपको बता दे की इन्होने अपनी कपनी DHFL के जरिये सुरक्षित और असुरक्षित ऋणों को स्वीकृति देकर किया गया था, जो संदिग्ध व्यक्तियों और कम्पनियाँ थी । ये सब व्यक्ति या कम्पनियाँ DHFL के प्रमुख प्रमोटर्स कपिल वधवान, अरुणा वधवान और धीरज वधवान से अप्रत्यक्ष रूप से जुडी थी।
कोबरापोस्ट ने आगे ये भी बताया कि इन संदिग्ध ऋणों से प्राप्त किए गए फंड्स का उपयोग शेयर/इक्विटी और अन्य निजी संपत्ति खरीदने के लिए किया गया था, जो भारत और विदेश दोनों जगहों पर स्थित थे, जैसे कि यूके, दुबई, श्रीलंका और मॉरीशस जैसे देश ।
आपको बता दे की कोबरापोस्ट की ये खबर पूरी तरह से इन्वेस्टिगेटिव पत्रकारिता , सार्वजनिक रिकॉर्ड्स, अंदरूनी स्रोत, और व्हिसल-ब्लोअर्स मतलब कुछ ऐसे जानकारी के स्रोत जो गोपनीयता रखते है से पायी हुई जानकारियों से ली गयी थी । इन्होने इन सभी प्रकार के डेटा को एक साथ विश्लेषित करके और इसमें से कंपनी की खामिया ढूंढ़कर इस बात की पहचान की कि DHFL में बहुत कुछ गलत हो रहा है।
कोबरापोस्ट के इन आरोपों का DHFL ने खंडन किया था और कहा था कि ये आरोप गलत हैं और कंपनी ने अपने कामकाज के हर पहलू को जाँच के लिए तैयार रखा है । इसके अलावा DHFL ने यह भी बताया था कि उनका कॉर्पोरेट गवर्नन्स तंत्र बहुत मजबूत है और उन्हें प्रमुख क्रेडिट एजेंसियों से AAA क्रेडिट रेटिंग मिली हुई है।
DHFL के खिलाफ इस खुलासे के बाद बाजार में कंपनी कि इमेज को धक्का लगा और इसी का प्रभाव था कि इन्वेस्टर्स ने DHFL से किनारा करना सुरु कर दिया। इसके बाद सभी क्रेडिट रेटिंग एजेंसियो ने 2019 , के जून महीने से DHFL के पेपर को डाउनग्रेड करना शुरू कर दिया था।
कंपनी कि माली हालत ख़राब होने लगी और इसी वजह से DHFL ने जुलाई 2019 में अपनी देनदारियों पर डिफॉल्ट करना शुरू कर दिया। जिसकी वजह से जमाकर्ताओं ने DHFL के खिलाफ अलग अलग राज्यों में कई मामले दर्ज किए थे इन्ही सब मामलो में से एक मामला 1991 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी अशोक खेमका ने अपनी पत्नी की ओर से चंडीगढ़ उच्च न्यायालय में दर्ज कराया था, भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करने वाले चर्चित आईएएस अशोक खेमका ने दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड में हुए इस मामले को उठाया था । उन्होंने ट्वीट किया कि “ग्रांट थॉर्नटन (Grant Thornton) फॉरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट में डीएचएफएल में 46,500 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का खुलासा हुआ है लेकिन रेग्युलेटर नैशनल हाउसिंग बैंक (National Housing Bank) सो रहा है।“
आगे उन्होंने ट्वीट किया , ‘ग्रांट थॉर्नटन (Grant Thornton) फॉरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट में डीएचएफएल में 46,500 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का खुलासा हुआ है। आरबीआई द्वारा नियुक्त एडमिनिस्ट्रेटर ने एनसीएलटी में रिकवरी एप्लिकेशंस फाइल की हैं। रेग्युलेटर नैशनल हाउंसिंग बैंक क्या कर रहा है- सो रहा है या मिलीभगत में शामिल है। भविष्य में होने वाली रिकवरी पीरामल्स के लिए बोनांजा होगी।”
आपको बता दे कि एक मामला एडेलवाइस AMC ने बॉम्बे उच्च न्यायालय में दर्ज कराया था।
इसके बाद जुलाई 2022 में, CBI ने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया द्वारा दर्ज एक शिकायत के बाद, DHFL के पूर्व प्रमोटर्स, कपिल वधवान और धीरज वधवान, सहित 13 अन्य लोगों के खिलाफ मामले में केस दर्ज किया।
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, जो 17 सदस्यों के एक संघठन का नेता है जो ऋण देता है ,बैंक ने दावा किया था कि उसने 2010 और 2018 के बीच DHFL को Rs 42,871 करोड़ की राशि की क्रेडिट सुविधाएं प्रदान की थी ।
बैंक संघ ने कहा कि कुल राशि में से, Rs 34,615 करोड़ अभी भी बाकी है। ऋण को 2019 में NPA और 2020 में धोखाधड़ी घोषित किया गया था ।
CBI द्वारा दर्ज कि गयी FIR के अनुसार, धोखाधड़ी अप्रैल और जून 2018 के बीच शुरू हुई, जब यस बैंक ने DHFL के शॉर्ट-टर्म डिबेंचर्स में Rs 3,700 करोड़ निवेश किया था। वधवान बंधुओ को जुलाई 2022 में गिरफ्तार किया गया और भारतीय दंड संहिता की धाराओं 120-बी, 409 , 420, 477A के तहत आरोपित किया था।
ऐसा नहीं है कि ये पहला ही अपराध था जिसमे ये वधवान परिवार फसा हो बल्कि साल 2010 में भी जब वधवान परिवार ने आपसी सहमति से अपना व्यापार विभाजित किया और दो नयी कंपनियों कि स्थापना कि जिसमे से एक हाउसिंग एंड डेवलपमेंट इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड मतलब HDIL, और देवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड जिसे DHFL कहा जाता है।
लेकिन 2019 में ही दोनों कंपनियों के खिलाफ अलग-अलग घोटालों में आरोप लगाए गए थे ।
HDIL, जो कॉर्पोरेट इंसॉल्वेंसी रिज़ॉल्यूशन प्रक्रिया यानि CIRP के अधीन आती है जिसे राकेश कुमार वधवान द्वारा संचालित किया जाता है के खिलाफ जनवरी 2019 में, CBI ने HDIL प्रमोटर्स राकेश वधवान और सारंग वधवान के खिलाफ उनकी सहायक कंपनी गुरुआशीष कंस्ट्रक्शन से संबंधित Rs 140 करोड़ के नए बैंक धोखाधड़ी मामले में केस दर्ज किया था ।
अब आगे बढ़ते है , यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने इन व्यापारियों भाइयो के खिलाफ एक शिकायत पत्र पर ताज़ा कार्रवाई शुरू की, जो कि 4,300 करोड़ रूपये के पंजाब और महाराष्ट्र सहकारी बैंक जिसे PMC बैंक कहते है में हुए घोटाले के बाद सामने आया ।
इसके बाद सीबीआई ने 13 जुलाई, 2022 को दिल्ली के व्यापारी रमेश नवंदर के घर और फार्म हाउस में छापेमारी की, जहा से उन्हें वधवान भाईयों के स्वामित्व वाली महंगी विदेशी घड़ियाँ और दो पेंटिंगस मिली , जिनकी कीमत लगभग 33 करोड़ रुपये थी। ये घड़ियाँ रोलेक्स ओयस्टर पर्पेचुअल, कार्टियर, ओमेगा और हुबलॉट माइकल कोर्स जैसी ब्रांडों की थीं।
सीबीआई और नवंदर कि माने तो इन मूल्यवान वस्तुओं को धोखाधड़ी के प्राप्त धन से खरीदा गया था और नवंदर के परिसरों पर इसलिए रखा गया था , ताकि प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा वसूली और जब्ती से इन्हे बचाया जा सके।
आगे जांच के दौरान यह भी सामने आया कि नवंदर वधवान बंधुओ के सहयोगी के रूप में काम कर रहा था, जो वधवान बंधुओ को धोखघड़ी से प्राप्त हुए धन को छिपाने में मदद कर रहा था और जब उसे एजेंसी द्वारा गिरफ्तार किया गया, तो वह इन वस्तुओं को नष्ट करने की कोशिश में लगा हुआ था।
नवंदर कि गिरफ्तारी के बाद 2022 में YES बैंक मनी लॉन्डरिंग मामले में धीरज वधवान को गिरफ्तार कर लिया गया ।
इसके बाद इंडिया टुडे ने पहली बार अपनी न्यूज़ में रिपोर्ट किया था कि “उन्होंने यानि वाधवान बंधुओ ने अपना अधिक समय एक लग्जरी अस्पताल, मुंबई के कोकिलाबेन धीरूभाई अम्बानी अस्पताल में बिताया है । यह ठहराव 10 महीने का था।
इसके बाद, 29 मार्च को फिर से , इंडिया टुडे ने बताया कि कपिल वधवान ने 7 अगस्त को तलोजा जेल, मुंबई को छोड़कर KEM हॉस्पिटल में जाने के लिए झूठे मेडिकल टेस्ट का बहाना बनाया था और इन्ही परीक्षणों के बहाने अस्पताल के पार्किंग में वो अपने परिवार और अपने बिज़नेस पार्टनर्स से जाके मिला ।
आपको बता दे कि अपनी गिरफ्तारी के बाद धीरज वधवान ने अपना अधिकांश समय एक लग्जरी अस्पतालों में बिताया, उनकी जेल में समय बिताने से ज्यादा ठहरावों तो उनका मुंबई के आलीशान कोकिलाबेन धीरूभाई अम्बानी हॉस्पिटल में बीता जो पुरे 10 महीने तक का था।
इसके बाद धीरज वधवान को एक स्पेशल अदालत ने अगली चिकित्सा जमानत देने से इनकार कर दिया, अदलात ने पाया कि धीरज वधवान ने अपने लंबे समय तक अस्पताल में ठहरने के दौरान उसे प्रदान की गई पुलिस सुरक्षा के लिए 24 लाख रूपये अभी तक नहीं चुकाए है । आपको बता दे कि धीरज वधवान ने अपनी चिकित्सा जमानत की याचिका में यह दावा किया कि उनकी गंभीर हृदय संबंधी बीमारी हैं, उन्होंने यह कहा कि उन्हें 38 साल की उम्र में जनवरी, 2018 में एक गंभीर दिल का दौरा भी पड़ा था, जिसके लिए स्विट्जरलैंड में आपातकालीन एंजियोप्लास्टी की आवश्यकता थी।
अपनी गिरफ्तारी से बचने के लिए इससे पहले 2020 में वधवान भाईयों ने महाराष्ट्र में कोविड लॉकडाउन के दौरान एक वरिष्ठ IPS अधिकारी की मदद से टालने की कोशिश की थी, इसके लिए 10 अप्रैल, 2020 को लगभग 6 घंटे कि यात्रा के लिए अपातकालीन पास प्राप्त किया और रास्ते में कई टोल प्लाजा पार किये आपको बता दे कि वधवान परिवार और उनके दोस्त अपनी कारों से खंडाला के महाबलेश्वर में स्थित उनके फार्महाउस जा रहे थे , लेकिन महाबलेश्वर पहुंचने से पहले ही नाकाबंदी में उन्हें पकड़ लिया गया और उन सभी 23 सदस्यों को वहां ही क्वारंटाइन कर दिया गया। इसके बाद, उन्हें सरकारी क्वारंटाइन सुविधा केम्प में भेज दिया गया।
इस घटना के बाद, उन्हें आपातकालीन पास जारी करने वाले IPS अधिकारी को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया।
इनकी गिरफ्तारी के बाद जो बात सामने आयी वो हैरान करने वाली थी , इस घोटाले की शुरुआत साल 2018 के अप्रैल और जून के बीच में ही हो गयी थी जब यस बैंक ने DHFL के शॉर्ट-टर्म डेबेंचर्स में Rs 3,700 करोड़ का निवेश किया, और इस निवेश के बदले में वधवान बंधुओ ने कपूर के तीनो बेटियों रौशनी , राधा और राखी द्वारा स्वामित्व वाली कंपनियों में Rs 600 करोड़ की पेमेंट कि आपको बता दे कि, राना कपूर की तीनों बेटियों की कंपनी का नाम DoIT Urban Ventures India Pvt Ltd है। राखी कपूर एक भारतीय बिसनेस वीमेन है वह एक वित्तीय सेवाओं की होल्डिंग कंपनी, RAAS Capital (India) Pvt. Ltd की संस्थापक, प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं। उन्होंने RAAS Capital के तहत दो उद्यमों की स्थापना की है – RAAS Housing Finance (India) Pvt. Ltd, एक कंपनी जो खुदरा ग्राहकों को दीर्घकालिक गृह ऋण प्रदान करती है, और दूसरी Rural Agri Ventures India Pvt. Ltd, एक इनक्यूबेशन परियोजना विकास फर्म है जो ग्रामीण और कृषि क्षेत्र में कार्यरत है। .
इसके बाद ED के अधिकारियो ने 8 मार्च, 2020 को,राणा कपूर को सुबह 4.00 बजे गिरफ्तार कर लिया और इस गिरफ्तारी में उनसे 29 घंटे से अधिक समय तक पूछताछ की गई थी इसके बाद उन्हें प्रिवेंशन ऑफ़ मनी लॉन्डरिंग एक्ट यानि PMLA की विभिन्न धाराओं के तहत गिरफ्तार किया गया। इसके बाद उन्हें जेल में रखा गया क्यंकि अदलात ने उनकी जमायत याचिता ख़ारिज कर दी थी।
इसके बाद 27 अप्रैल, 2020 को, वधवान बंधुओ को उनके संस्थागत क्वारंटाइन से जो कि महाबलेश्वर में चल रहा था से से गिरफ्तार कर लिया गया इसके बाद 14 मई, 2020 को, ED ने DHFL के प्रमोटर्स, कपिल और धीरज वधावन, को यस बैंक में हुई धोखाधड़ी के संबंध में गिरफ्तार कर लिया गया।
सीबीआई ने मार्च 2020 में यस बैंक और DHFL के खिलाफ दर्ज मामले में चौथी चार्जशीट दायर की, पिछले महीने सीबीआई और ED ने रेडियस ग्रुप के बिल्डर संजय छाबरिआ के खिलाफ एक मामले में एक अन्य चार्जशीट दायर की थी। इसके अलावा ED ने यस बैंक से ऋण लेने वाले व्यक्तियों के बयान भी दर्ज किए थे जिन्होंने बैंक से बड़ा कर्ज लिया हुआ था ।
आपको बता दे की पहली दो चार्जशीटें जून 2020 और जुलाई 2021 में दायर की गई थीं, जिनमें DHFL के तत्कालीन प्रमोटर्स, कपिल वधावन, उनके भाई धीरज वधावन और यस बैंक के सह-संस्थापक राणा कपूर और उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ दायर की थीं।
इसके बाद सीबीआई ने जून 2020 में मामले की गहन जांच शुरू कर दी जिसके तहत राणा कपूर और अन्यों को जेल भेजा गया।
मुंबई और पुणे में हुई जाँच से सीबीआई ने आरोप लगाया कि राणा कपूर ने यस बैंक के माध्यम से DHFL में निवेश करके 600 करोड़ रूपये की रिश्वत प्राप्त की है और ये रिश्वत DHFL ने कपूर की बेटियों के स्वामित्व वाली कंपनी DOIT Urban Ventures में लगाई गयी है।
तो ये थी DHFL के घोटाले से जुडी सारी जानकारिया बाकि अभी जाँच चल रही है आगे हुई जांचो में पता चला है कि यस बैंक से घोटाले की कुल राशि लगभग 4,727 करोड़ रूपये थी , जिसमें कई सारे आरोपी शामिल थे ,इसके बाद, इसे 5,500 करोड़ रूपये पाया गया, और आगे की जांच के बाद और भी बढ़ सकता है इसकी पूरी संभावना है।
बाकि आने वाले समय में साफ़ हो जायेगा की सच्चाई क्या है।
आपको ये जानकारी कैसी लगी इसके बारे में आप हमें कमैंट्स बॉक्स में जरूर बताये।
और इस घोटाले से जुडी कौन सी बातें हमसे छूट गयी है इस पर भी आप हमें जरूर सलाह दे आपके सुझाव और शिकायतों का हमें इंतज़ार है , अगर आपको हमारा ये प्रयास सार्थक लगा हो तो इस वीडियो को लाइक, शेयर और AIRR न्यूज़ को सब्सक्राइब करना ना भूले।
धन्यवाद !
इस विशेष रिपोर्ट में AIRR न्यूज़ ने भारतीय इन्वेस्टर्स के लिए एक बड़े घोटाले के खुलासे की जांच की है। जानिए कैसे DHFL ने शेल कंपनियों के माध्यम से लगभग 31,000 करोड़ रुपये की राशि को गैर कानूनी तरीके से गायब कर दिया और इसका प्रभाव इन्वेस्टर्स पर क्या पड़ा।
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