मंदी की चपेट में सूरत की डायमंड इंडस्ट्री, जानिए असली वजह

HomeCurrent Affairsमंदी की चपेट में सूरत की डायमंड इंडस्ट्री, जानिए असली वजह

Become a member

Get the best offers and updates relating to Liberty Case News.

― Advertisement ―

spot_img
C:\Users\LENOVO\Desktop\surat2.JPG

एक रिपोर्ट के मुताबिक सूरत की डायमंड इंडस्ट्री इन दिनों मंदी की चपेट में आ चुकी है, यही वजह है कि पिछले कुछ महीनों के अंदर तकरीबन 20,000 से अधिक लोगों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा है। नौकरी से हटाए जा चुके कुछ कामगारों के मुताबिक ‘डायमंड वालों ने कहा है कि जैसे ही हीरे की आवक होगी तो काम पर आने के लिए फोन किया जाएगा। लेकिन महीनों बीत गए किसी ने फोन नहीं किया’। 

बता दें कि कोविड महामारी से उबरने के बाद डायमंड इंडस्ट्री ने जैसे ही रफ्तार पकड़ने की कोशिश की, अब एक बार फिर से उसे मंदी की गंभीर स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि दुनियाभर में बिकने वाले 90 फीसदी डायमंड की कटाई और पॉलिशिंग का काम सूरत शहर में किया जाता है। 

C:\Users\LENOVO\Desktop\surat.jpg

सूरत की डायमंड इंडस्ट्री गुजरात राज्य में तकरीबन 12 से 15 लाख लोगों की आजीविका का प्रमुख जरिया बनी हुई है। देश की जीडीपी में तीन लाख करोड़ रुपये (प्रतिवर्ष) का योगदान सिर्फ सूरत की डायमंड इंडस्ट्री का है।

डायमंड इंडस्ट्री में मंदी के चलते हजारों लोगों की छंटनी हो चुकी है, सेठों का माल भी बिक नहीं रहा है। दरअसल इस मंदी की असली वजह रूस-यूक्रेन युद्ध है। कच्चे हीरे की दुनिया की सबसे बड़ी उत्पादक कंपनी का नाम ‘अलरोसा’ है, यह रूसी खनन कंपनी है।

अलरोसा से कच्चे हीरे एंटवर्प के रास्ते सीधे सूरत आते हैं। सूरत में आने वाले कच्चे हीरे का लगभग 30 फीसदी रूसी खदानों से आता है, इस कच्चे हीरे को सूरत में तराश कर पॉलिश किया जाता है। दक्षिणी गुजरात चैंबर ऑफ़ कॉमर्स के पूर्व अध्यक्ष प्रवीणभाई नानावटी का कहना है कि अलरोसा पर पहले अमेरिका ने प्रतिबंध लगाया और अब बेल्जियम भी इस दिशा में आगे बढ़ रहा है।

C:\Users\LENOVO\Desktop\surat3.jpg

इस बारे में ‘लक्ष्मी डायमंड’ कंपनी के चूनीभाई गजेरा का स्पष्ट कहना है कि हम सभी रूसी कंपनी अलरोसा से कच्चा माल मंगवाते थे, लेकिन यूक्रेन युद्ध के बाद यह काफी हद बंद हो चुका है। अमेरिकी प्रतिबंध के तहत कोई भी अमेरिकी नागरिक रूस से हीरा नहीं खरीद सकता है। मान लीजिए यदि रूस से कच्चा हीरा सूरत में आता भी है तो उसे तैयार करके किसे बेचा जाए। जबकि असली समस्या यह है कि डायमंड्स की बिक्री का सबसे बड़ा बाजार अमेरिका ही है। 

चूनीभाई आगे कहते हैं कि चूंकि आपूर्ति और डिमांड दोनों ही कम हैं, ऐसे में रूस से आने वाला कच्चा माल काफी महंगा होता है। इस हालात की वजह से डायमंड इंडस्ट्री में स्टाफ़ कम करना पड़ा है। 

C:\Users\LENOVO\Desktop\surat1.JPG

जीजेईपीसी यानि जेम्स एंड जूलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल द्वारा पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार, मार्च में कटिंग किए हुए और पॉलिश्ड हीरों के निर्यात में भारी कमी देखने को मिली है। फरवरी महीने में निर्यात 2.4 बिलियन डॉलर था जो मार्च महीने में घटकर 1.6 अरब डॉलर हो गया। जो पिछले महीने के मुकाबले 33 फ़ीसद की कमी दिखाता है। गौरतलब है कि मार्च 2022 में वार्षिक निर्यात $24.4 बिलियन था, जो मार्च 2023 में घटकर $22 बिलियन हो गया। जबकि इसी अवधि के दौरान कच्चे हीरे के आयात में 8.42 फीसदी की कमी आई है। 

SUBSCRIBE TO OUR NEWSLETTER.

Never miss out on the latest news.

We don’t spam! Read our privacy policy for more info.

RATE NOW
wpChatIcon
wpChatIcon
What would make this website better?

0 / 400