इस स्टोरी में आज हम आपको एक ऐसी जगह के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां आज तक एक भी बूंद बारिश नहीं हुई। दरअसल अंटार्कटिका क्षेत्र में मौजूद उस जगह का नाम ड्रॉय वैली है। यह धरती की सबसे सूखी जगह मानी जाती है। एक रिपोर्ट के मुताबिक ड्रॉय वैली में तकरीबन 2 मिलियन वर्षों से बारिश नहीं हुई है। अंटार्कटिका का यह सूखा क्षेत्र तकरीबन 4800 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। ड्रॉय वैली में बारिश नहीं होने का एकमात्र कारण कटाबेटिक हवाएं हैं। अंटार्कटिक क्षेत्र के पूर्वी पहाड़ बर्फ की चादर से ढकी घाटियों के नीचे बर्फ के प्रवाह को भी रोकते हैं और अंत में 320 किमी प्रति घंटा (200 मील प्रति घंटे) तक की तेज हवाएँ कम आर्द्रता के साथ आंतरिक भाग से नीचे की ओर बहती हैं, जो ग्लेशियरों से बर्फ का कारण बनती हैं। चूंकि पहाड़ों से आने वाली हवाएं जो नमी से इतनी भारी होती हैं कि गुरुत्वाकर्षण उन्हें नीचे और घाटियों से दूर खींच लेता है।
इस स्टोरी में आज हम आपको एक ऐसी जगह के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां आज तक एक भी बूंद बारिश नहीं हुई। अब आप सोच रहे होंगे कि तो क्या वहां जीवन होगा? जी हां, दरअसल यहां पर कोई स्थायी निवासी नहीं है, लेकिन साल भर लगभग एक हजार से पांच हजार लोग विभिन्न अनुसंधान केन्द्रो में रहते हैं, जो पूरे अंटार्कटिका महाद्वीप पर फैले हुए हैं।
अब हम बात करते हैं अंटार्कटिका क्षेत्र के उस जगह की जहां आज तक कभी बारिश नहीं हुई। दरअसल अंटार्कटिका क्षेत्र में मौजूद उस जगह का नाम ड्रॉय वैली है। यह धरती की सबसे सूखी जगह मानी जाती है। एक रिपोर्ट के मुताबिक ड्रॉय वैली में तकरीबन 2 मिलियन वर्षों से बारिश नहीं हुई है। अंटार्कटिका का यह सूखा क्षेत्र तकरीबन 4800 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है।
ड्रॉय वैली में बारिश नहीं होने का एकमात्र कारण कटाबेटिक हवाएं हैं। अंटार्कटिक क्षेत्र के पूर्वी पहाड़ बर्फ की चादर से ढकी घाटियों के नीचे बर्फ के प्रवाह को भी रोकते हैं और अंत में 320 किमी प्रति घंटा (200 मील प्रति घंटे) तक की तेज हवाएँ कम आर्द्रता के साथ आंतरिक भाग से नीचे की ओर बहती हैं, जो ग्लेशियरों से बर्फ का कारण बनती हैं। चूंकि पहाड़ों से आने वाली हवाएं जो नमी से इतनी भारी होती हैं कि गुरुत्वाकर्षण उन्हें नीचे और घाटियों से दूर खींच लेता है।
यदि ड्रॉय वैली को एक ठंडा रेगिस्तान कहें तो कोई आश्चर्य की बात नहीं है क्योंकि यहां का औसत वार्षिक तापमान मायनस 14 डिग्री सेन्टीग्रेड और मायनस 30डिग्री सेन्टीग्रेड के बीच होता है।
यहां तीन बड़ी घाटियाँ हैं, टेलर घाटी, राइट घाटी और विक्टोरिया घाटी। टेलर वैली की खोज साल 1901-1904 में की गई थी। इसके बाद 1910-1913 के बीच टेरा नोवा अभियान के दौरान ग्रिफिथ टेलर द्वारा इसका और अधिक विस्तार से सर्वेक्षण किया गया।
बता दें कि इस एरिया में पानी के स्रोत के रूप में विडा झील, वांडा झील, बोननी झील और गोमेद नदी शामिल है। सूखी घाटियों में स्थित एक खारे पानी की झील भी है, जिसका नाम लेक बोननी है। लेक बोननी झील स्थायी रूप से 3 से 5 मीटर तक बर्फ से ढ़की रहती है।सूखी घाटियों से जुड़ी एक विषमता और भी देखने को मिली है कि यहां वैज्ञानिकों को समुद्र से कई मील की दूरी पर झील के चारों ओर सीलों की ममीकृत लाशें मिली हैं। ये ममीकृत लाशें क्रैबीटर और वेडेल सील की हैं। कार्बन डेट के आधार पर पता चला कि सील्स की ये लाशें सैकड़ों वर्षों से लेकर तकरीबन 2600 साल तक पुरानी हैं। गौरतलब है कि ड्रॉय वैली एरिया में मौजूद वांडा झील का पानी समुद्र की तुलना में 3 गुना अधिक खारा है। इस झील के तल का तापमान 25 डिग्री सेल्सियस जितना गर्म रहता है।