इसमें कोई दो राय नहीं कि 80 लोकसभा सीटों वाले उत्तर प्रदेश के गलियारे से ही दिल्ली की सत्ता का रास्ता तय होता है। लोकसभा चुनाव 2024 के बिल्कुल नजदीक होने के नाते सभी राजनीतिक दलों में सत्तारूढ़ होने की बेचैनी साफ देखी जा सकती है। बता दें कि पीएम मोदी की अगुवाई वाले एनडीए को सत्ता से बेदखल करने के लिए 26 राजनीतिक दलों ने इंडिया नाम से महागबंधन बना रखा है। हांलाकि दलितों की सबसे बड़ी नेता मानी जाने वाली बसपा सुप्रीमो मायावती ने इस महागठबंधन से दूरी बना रखी है।
ऐसे में विपक्षी महागठबंधन मायावती की भरपाई के लिए या फिर यूं कहिए दलित वोट बैंक के लिए एक नया चेहरा लाने की कोशिश कर रहा है। कुछ सालों पहले उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी को ही दलितों की पार्टी माना जाता था, लेकिन साल 2014 तथा 2019 के लोकसभा चुनाव परिणामों ने यह साबित कर दिया कि अब दलित बहन मायावती का साथ छोड़ रहे हैं।
अभी हाल में ही रालोद प्रमुख जयंत चौधरी का आजाद समाज पार्टी के चीफ चन्द्रशेखर आजाद के साथ राजनीतिक मंच साझा करने के बाद से सियासी चर्चाओं को तेज कर दिया है, ताकि विपक्ष को मजबूत बनाया जा सके। ऐसा माना जाता है कि जयंत चौधरी भी जाट वोट बैंक को ही साधते हैं, हांलाकि उन्होंने अब तक किसान आन्दोलन को लेकर जितनी भी मेहनत की है, वह कुछ खास रंग नहीं ला पाई है। सपा-रालोद गठबंधन के बावजूद बीजेपी को जनता ने ज्यादा तरजीह दी।
ऐसे जयंत चौधरी ने अब दलितों के युवा नेता चंद्रशेखर को अपने साथ जोड़ने का प्रयास किया है, ताकि चंद्रशेखर को दलितों का चेहरा बनाकर इस वर्ग के वोट बैंक का एक बड़ा शेयर अपने साथ मिला सकें। यह बात सभी जानते हैं कि पश्चिमी यूपी में जाट और दलित वोट की तादाद अच्छी खासी है। इसलिए रालोद मुखिया जयंत चौधरी ने इस सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए शुक्रवार को जंतर-मंतर पर हुए आजाद समाज पार्टी के प्रदर्शन में अपनी शिरकत की। जयंत चौधरी और चंद्रशेखर के बीच बढ़ी नजदीकियां यह साबित कर रही हैं कि 2024 में यूपी में सपा, कांग्रेस और रालोद मिलकर चुनाव लड़ेंगे। जब से मायावती ने अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा की है, तभी से कांग्रेस, सपा और रालोद चन्द्रशेखर की आजाद समाज पार्टी से नजदीकियां बढ़ाने की कोशिश में लगे हैं।
सियासी खबरों के अनुसार, 26 राजनीतिक दलों वाले महागठबंधन ‘इंडिया’ में शामिल नहीं किए गए चन्द्रशेखर आजाद को जयंत चौधरी अपनी पार्टी रालोद से पश्चिमी उत्तर प्रदेश की किसी सीट से चुनाव भी लड़वा सकते हैं। कुल मिलाकर आजाद समाज पार्टी के मुखिया चन्द्रशेखर आजाद को समर्थन देकर जयंत चौधरी अपने मंच पर एक मजबूत दलित नेता को खड़ा करना चाहते हैं।
गौरतलब है कि शुक्रवार को जंतर-मंतर पर आजाद समाज पार्टी के नेतृत्व में एक प्रदर्शन किया गया था जिसमें चंद्रशेखर आजाद पर पिछले दिनों हुए हमले की सीबीआई जांच की मांग की गई, जयंत चौधरी ने इस प्रदर्शन में शामिल होकर अपना समर्थन जताया था।
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