Uniform Civil Code: A Solution to Control India’s Population?

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क्या यूनिफार्म सिविल कोड के जरिए भारत की विस्फोटक जनसंख्या पर रोक लगाएगी केन्द्र सरकार?

यह बात किसी को बताने की जरूरत नहीं है कि जनसंख्या के मामले में भारत ने चीन को भी पछाड़ दिया है। ऐसे में पूरी दुनिया में भारत सर्वाधिक जनसंख्या वाला देश बन चुका है। देशभर में विकराल रूप धारण कर चुकी जनसंख्या का दुष्प्रभाव भी स्पष्टरूप से देखने को मिल रहा है। इसलिए हिन्दुस्तान में इस बात की सुगबुगाहट शुरू हो चुकी है कि जनसंख्या नियत्रंण की योजना बनाई जा चुकी है, जिसका जल्द ही खुलासा किया जाएगा।

संसद के मानसून सत्र में पेश होगा यूसीसी

बता दें कि इसी महीने की 20 तारीख से संसद का मानसून सत्र शुरू होने वाला है लिहाजा केन्द्र सरकार यूनिफार्म सिविल कोड कानून पारित करेगी। उम्मीद जताई जा रही है कि यूसीसी में ही जनसंख्या नियंत्रण का मसौदा छुपा है। हांलाकि इस बात को लेकर अभी लोगों में भ्रम की स्थिति बनी हुई है। 

फिलहाल यूनिफार्म सिविल कोड के ड्रॉफ्ट को लेकर केन्द्र सरकार ने अभी कुछ भी संकेत नहीं दिए हैं। हां, इतना जरूर है कि यदि यूसीसी में जनसंख्या नियंत्रण का प्रावधान होगा तो इससे भारत की बेतरतीब बढ़ती आबादी पर रोक लगना लाजिमी है।

हिंदुस्तान की विकराल आबादी से सबकुछ तहसनहस

जनसंख्या नियंत्रण मसले पर केन्द्र सरकार को थोड़ा सख्ती से हल निकालना होगा क्योंकि विगत चार दशकों में जितनी तेजी से जनसंख्या बढ़ी है, उसने सबकुछ तहस-नहस कर रखा है। बढ़ती जनसंख्या ने रोजगार, काम धन्धों से लेकर साधन, संसाधन, जमीन और हक हकूक पर भी तेजी से प्रहार किया है। हांलाकि यह मामला थोड़ा पेचीदा है क्योंकि कुछ ही लोग इसके हक में खड़े हैं बाकी जोरदार तरीके से विरोध कर रहे हैं।

जनसंख्या विस्फोट के दुष्परिणाम

शहरों की छोड़िए जनाब! गांवों में भी जो थोड़ी बहुत जमीनें बची हैं, उनके लिए खुलेआम कत्ल होने लगे हैं। चपरासी की नौकरी के लिए पीएचडी जैसे उच्च शिक्षा प्राप्त युवाओं की लाइन लगी हुई है। देश का युवा रोजगार के लिए गली-गली धक्के खा रहा है। शहरों में पार्किंग तक के लिए सिर फुटौव्ल शुरू हो चुके हैं। जनसंख्या के चलते आवासीय जगह कम पड़ने लगे तो फ्लैट संस्कृति ने अपनी जगह बना ली। सड़कें और वाहन लोगों से भरे हुए मिलते हैं। स्थिति यह हो चुकी है कि पार्किंग फुल हो चुके हैं और आंगन सिमटने लगे हैं। 

आपको याद दिला दें कि वर्षों पहले सरकार ने एक नारा दिया था- ‘हम दो, हमारे दो’, यह नारा अब फीका पड़ चुका है। बढ़ती जनसंख्या में मामले में चीन, नाइजीरिया, कांगो, पाकिस्तान, युगांडा, इंडोनेशिया व मिस्र जैसे देशों की स्थिति कमोबेश भारत जैसे ही है, बावजूद इसके दुनिया के कई ऐसे देश हैं ​जहां जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू हो चुके हैं।

आज की तारीख में यदि हम आंकड़ों की बात करें तो भारत की जनसंख्या 140 करोड़ को भी पार कर गई है। भारत का सर्वाधिक जनसंख्या वाला राज्य उत्त्तर प्रदेश की आबादी पड़ोसी देश पाकिस्तान से भी ज्यादा है।

गौरतलब है कि देश का बुद्धिजीवी वर्ग चाहे वह हिन्दू, मुसलमान हो या फिर किसी भी जाति-पंथ से हो, सभी लोग जनसंख्या नियंत्रण पर मुकम्मल कानून चाहते हैं। यह वक्त की डिमांड है कि भारत की जनसंख्या निश्चित रूप से रूकनी चाहिए। इसके लिए यूसीसी को लागू करना पड़े या फिर कोई विशेष कानून बनाना पड़े। देश के हर वर्ग को जनसंख्या नियंत्रण के लिए एक ही मंच पर आने की जरूरत है।

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