The Aircel-Maxis Case: A Tale of Politics, Scandal, and the Quest for Justice

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एक ऐसा मामला की जिसने भारतीय राजनीति और व्यापार जगत को हिला कर रख दिया था ।जिसमे पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम और उनके बेटे कार्ति चिदंबरम को घोटाला करने का आरोपी बनाया गया है। इस मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने हाल ही में चिदंबरम और उनके बेटे को नोटिस जारी किया है। तो चलिए शुरू करते हैं इस रोचक कहानी को, जिसमें हैं राजनीति, घोटाला, और न्याय की जंग। तो बने रहिये हमारे साथ। 

नमस्कार आप देख रहे है AIRR न्यूज़। 

दिल्ली हाई कोर्ट ने हाल ही में कांग्रेस नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम और उनके बेटे कार्ति चिदंबरम को एयरसेल-मैक्सिस मामले में नोटिस जारी किया है। यह नोटिस सीबीआई की अपील पर आया है, जिसमें न्यायालय ने आरोपियों को अनवश्यक दस्तावेजों की आपूर्ति करने के लिए एजेंसी को निर्देशित किया था।

ये एयरसेल-मैक्सिस मामला 2006 के एक विवादित सौदे से जुड़ा है, जिसमें मलेशियाई कंपनी मैक्सिस ने एयरसेल का 74 प्रतिशत हिस्सा खरीदा था। सीबीआई और ईडी ने पी चिदंबरम और कार्ति को विदेशी निवेशकों के साथ मिलकर इस सौदे में घोटाला करने का आरोप लगाया है।

आपको बता दे कि एयरसेल-मैक्सिस मामले की शुरुआत 2011 में हुई, जब एयरसेल के मालिक सी सिवाशंकरन ने सीबीआई को शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने दावा किया कि उन्हें अपना हिस्सा मैक्सिस को बेचने के लिए दबाव डाला गया था। उन्होंने आरोप लगाया कि पूर्व दूरसंचार मंत्री दयानिधि मारण ने उन्हें उनका लाइसेंस कैंसिल करने की धमकी दी थी।

इसके बाद सीबीआई ने 2011 में मारण भाईयों के खिलाफ मामला दर्ज किया, और उन्हें भ्रष्टाचार, अपराधिक साझेदारी और भ्रष्टाचार रोकने के अधिनियम के तहत आरोपित किया। सीबीआई ने यह भी आरोप लगाया कि मैक्सिस ने 2007 से 2009 के बीच मारण भाईयों की कंपनी सन डायरेक्ट में 742 करोड़ रुपये का निवेश किया था।

आपको बता दे कि पी चिदंबरम का नाम 2014 में इस मामले में आया, जब सीबीआई ने उन्हें एयरसेल-मैक्सिस सौदे के लिए विदेशी निवेश समिति की मंजूरी देने के लिए पूछताछ की। सीबीआई ने यह जानने की कोशिश की कि क्या उनके पास 600 करोड़ रुपये से अधिक के विदेशी निवेश को मंजूरी देने का अधिकार था।

ईडी ने 2017 में पी चिदंबरम और उनके बेटे कार्ति के खिलाफ धन शुद्धिकरण कानून के तहत मामला दर्ज किया, और उन्हें विदेशी निवेशकों के साथ मिलकर एयरसेल-मैक्सिस सौदे में घोटाला करने का आरोप लगाया है। ईडी ने यह भी आरोप लगाया कि कार्ति ने अपनी कंपनी एडवांटेज स्ट्रैटेजिक कंसल्टिंग के माध्यम से एयरसेल से रिश्वत ली थी।

ईडी ने अपने आरोप पत्र में बताया कि कार्ति ने एयरसेल के निदेशकों को एफआईपीबी की मंजूरी दिलाने के लिए अपनी कंपनी की सेवाएं पेश की थी। उन्होंने इसके बदले में एयरसेल से 26 लाख रुपये की राशि मांगी थी। ईडी ने यह भी दावा किया कि कार्ति ने अपनी कंपनी के माध्यम से विदेशों में अवैध रूप से पैसे भेजे थे। 

सीबीआई ने 2018 में पी चिदंबरम और कार्ति के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया, और उन्हें भ्रष्टाचार, अपराधिक साझेदारी और भ्रष्टाचार रोकने के अधिनियम के तहत आरोपित किया। सीबीआई ने यह भी आरोप लगाया कि पी चिदंबरम ने एफआईपीबी की मंजूरी देने के बदले में एयरसेल से रिश्वत ली थी। 

दिल्ली हाई कोर्ट ने 2023 में सीबीआई की अपील सुनते हुए पी चिदंबरम और कार्ति को एक हफ्ते का समय दिया है कि वे अपने जवाब दें, और अगले साल आगे की सुनवाई के लिए मामला निर्धारित किया है।

एयरसेल-मैक्सिस मामला एक लंबा और जटिल मामला है, जिसमें विभिन्न राजनीतिक, व्यापारिक और आर्थिक हितों का खेल है। पी चिदंबरम और कार्ति चिदंबरम को इस मामले में घोटाला करने का आरोप लगाया गया है, लेकिन वे अपनी निर्दोषता का दावा करते हैं। उन्हें अब दिल्ली हाई कोर्ट के सामने अपना पक्ष साबित करना होगा, जो अगले साल इस मामले की सुनवाई करेगी। इस मामले का अंतिम फैसला उनके राजनीतिक और व्यावसायिक भविष्य पर असर डाल सकता है।

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