लोकसभा की विशेषाधिकार समिति ने शुक्रवार को तीन कांग्रेस सांसदों के निलंबन को रद्द करने का प्रस्ताव पारित किया है। ये तीन सांसद जिनमे अब्दुल खालेक, विजय वसंत और के जयकुमार है को पिछले महीने शीतकालीन सत्र में 143 विपक्षी सांसदों के साथ ही निलंबित किया गया था। इन सांसदों ने समिति के सामने अपना बयान दर्ज कराया और अपने व्यवहार के लिए खेद व्यक्त किया।
आज हम आपको बताएंगे कि ये तीनो सांसद क्यों निलंबित किए गए थे, उनका निलंबन कैसे रद्द हुआ, और इसका राजनीतिक और संसदीय परिप्रेक्ष्य में क्या महत्व है।
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18 दिसंबर 2023 को लोकसभा तीन सांसदों को संसद से निलंबित किया गया था। जब विपक्षी सांसदों ने संसद की सुरक्षा भंग की घटना पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बयान और चर्चा की मांग करते हुए सदन की कार्यवाही में बाधा डाली थी। इस घटना में 13 दिसंबर को एक व्यक्ति ने संसद के परिसर में घुसकर स्मोक बम से धुआं फैलाकर दहशत बढ़ाई थी।
इस दौरान, ये तीन सांसद अध्यक्ष की कुर्सी तक पहुंच गए और उन्होंने अपने हाथों में प्लाकार्ड लिए हुए नारे लगाए। इसके बाद, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने उनके निलंबन का आदेश दिया और उनके मामले को विशेषाधिकार समिति को सौंपा। बाकी के 30 सांसदों को शीतकालीन सत्र के बाकी भाग के लिए निलंबित किया गया।
ये तीनो सांसद शुक्रवार को विशेषाधिकार समिति के सामने पेश हुए और अपने व्यवहार के लिए उन्होंने खेद व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि उनका उद्देश्य सदन की गरिमा को ठेस पहुंचाना नहीं था, बल्कि संसद की सुरक्षा को लेकर अपनी चिंता जाहिर करना था। उन्होंने कहा कि वे अपनी गलती का एहसास करते हैं और ऐसा दोबारा नहीं करेंगे।
विशेषाधिकार समिति ने उनके बयान को सुनकर उनके निलंबन को रद्द करने का प्रस्ताव पारित किया। समिति के अध्यक्ष सुनील कुमार सिंह ने कहा कि ये सांसद अपने व्यवहार के लिए बिना किसी शर्त के खेद व्यक्त कर चुके हैं, इसलिए उनके निलंबन को रद्द करने का फैसला किया गया है।
आपको बता दे कि, इस फैसले से विपक्ष को एक राहत मिली है, जो पिछले सत्र में अपने अधिकांश सांसदों को निलंबित होने के कारण अपने मुद्दों को उठाने में असमर्थ रहा था। विपक्ष ने इस फैसले का स्वागत किया और कहा कि ये एक सकारात्मक कदम है, जो संसद की गरिमा और लोकतंत्र की भावना को बरकरार रखने के लिए जरूरी है।
इसके बावजूद, ये फैसला सभी सांसदों के लिए लागू नहीं है, जो पिछले सत्र में निलंबित किए गए थे। राज्यसभा की विशेषाधिकार समिति ने अभी तक 11 विपक्षी सांसदों के निलंबन को रद्द करने का कोई फैसला नहीं लिया है, जो अगले सत्र में भी लागू रहेगा। इन 11 सांसदों में आम आदमी पार्टी के संजय सिंह, शुशील कुमार गुप्ता और नारायण दत्त तिवारी, तृणमूल कांग्रेस के दोलेश्वर सेन, शांतानु सेन और अभिर रंजन बिश्वास, राष्ट्रीय जनता दल के मनोज कुमार झा, बिहारी लाल, राम नाथ ठाकुर और रामचंद्र प्रसाद सिंह, और जम्मू और कश्मीर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के फयाज अहमद मिर शामिल हैं।
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