बसपा से निलंबित सांसद दानिश अली का Congress की भारत जोड़ो न्याय यात्रा में शामिल होना और दानिश अली के द्वारा अपने फेसबुक पेज पर एक लंबा पोस्ट लिखकर अपने फैसले की व्याख्या करना , आखिर क्या है इसके पीछे कि रणनीति। बताएँगे सब कुछ बस बने रहिये हमारे साथ। नमस्कार, आप देख रहे हैं AIRR न्यूज।
दानिश अली के अनुसार उनके पास दो ही विकल्प थे, एक ये कि वे स्थिति को स्वीकार कर लेते और दलितों, पिछड़ों, जनजातियों, अल्पसंख्यकों और अन्य हाशिये के लोगों और गरीब वर्गों के शोषण को अनदेखा कर देते, या तो वे इस देश को बांटने वाले इस माहौल के खिलाफ एक पूर्ण अभियान शुरू कर देते। उन्होंने कहा है कि उनकी अंतरात्मा ने उन्हें दूसरा विकल्प चुनने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा है कि यह फैसला उन्हें स्वाभाविक रूप से आया, क्योंकि वे स्वयं संसद में एक ऐसे हमले का शिकार हुए थे, जहां शासन पार्टी के एक सदस्य ने उन पर और उनके धर्म पर गाली-गलौज की थी। उन्होंने भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी के द्वारा संसद के मंच पर कहे गए आपत्तिजनक टिप्पणियों का जिक्र करते हुए कहा है।
दानिश अली ने अपने पोस्ट में ये भी लिखा है कि उन पर हुए हमले का एक बड़ा लक्ष्य देश में भय और नफरत का माहौल पैदा करना था। उन्होंने कहा है कि वे इस यात्रा में शामिल होकर देश को एकजुट करने और न्याय दिलाने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा है कि वे भाजपा के खिलाफ लड़ना जारी रखेंगे, चाहे वे बसपा से निलंबित हों या न हों।
दानिश अली के इस फैसले से उनकी पूर्व पार्टी बसपा और उनकी संभावित नई पार्टी कांग्रेस दोनों में राजनीतिक हलचल बढ़ गई है। बसपा कि नेता मायावती ने दानिश अली को पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाते हुए उन्हें पिछले महीने ही निलंबित कर दिया था। उन्होंने कहा था कि दानिश अली लगातार कांग्रेस के साथ दिख रहे हैं और उनका पूरा समर्थन कर रहे हैं। वहीं, कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने दानिश अली का साथ देते हुए उनसे मुलाकात करके उनका हौसला बढ़ाया था। कांग्रेस के उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष अजय राय ने भी कहा था कि उनकी पार्टी दानिश अली के साथ है।
बाकि अभी दानिश अली का कांग्रेस में शामिल होना या न होना स्पष्ट नहीं है, लेकिन उनका कहना है कि वे राहुल गांधी के विचारों से प्रभावित हैं और उनके साथ देश की एकता और न्याय की लड़ाई में जुड़ना चाहते हैं। उन्होंने कहा है कि वे अपने चुनाव क्षेत्र अमरोहा के लोगों की सेवा करने के लिए जुटे हुए हैं और उनकी आवाज़ को बुलंद करने के लिए हर मंच का इस्तेमाल करेंगे। वहीं, बसपा और कांग्रेस दोनों ही दानिश अली के इस कदम को अपने लिए फायदेमंद साबित करने की कोशिश कर रहे हैं। बसपा का दावा है कि दानिश अली का निलंबन उनके वोट बैंक पर कोई असर नहीं डालेगा, जबकि कांग्रेस का कहना है कि दानिश अली के साथ उनकी भाईचारा और न्याय के लिए लड़ने की नीति को मुस्लिम समुदाय की तरफ से समर्थन मिलेगा। इस तरह, दानिश अली का एक फैसला यूपी की राजनीति में नए रंग लाने वाला है। यह था आज का खास वीडियो, नमस्कार आप देख रहे है AIRR न्यूज़।
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