क्या आपने कभी सोचा है कि जम्मू और कश्मीर के विशेष दर्जे को हटाने के बाद वहां के लोगों के बीच एकता और विश्वास कैसे मजबूत होगा? आइए, हम आपको इंट्रा पीपल डायलॉग फोरम (IPDF) के बारे में बताते हैं, जो इसी सवाल का जवाब ढूंढ़ने का प्रयास कर रहा है। जुड़े रहिये हमारे साथ , जहां आज हम जम्मू और कश्मीर के लोगों के अधिकारों की लड़ाई को देखेंगे? नमस्कार आप देख रहे है AIRR न्यूज़
जम्मू और कश्मीर के राज्य के विशेष दर्जे को हटाने के बाद से वहां के लोगों के बीच एकता और विश्वास को मजबूत करने का एक प्रयास है इंट्रा पीपल डायलॉग फोरम । यह फोरम जम्मू और कश्मीर के विभिन्न वर्गों, समुदायों और राजनीतिक दलों के लोगों के साथ चर्चा करता है और उनके सामान्य मुद्दों और समाधानों का एक एजेंडा तैयार करने का काम करता है।
इस फोरम के संयोजक है हरी चंद जल्मेरिया, जो एक वरिष्ठ वकील हैं। उन्होंने मंगलवार को उधमपुर में इस फोरम की एक बैठक में अपने की–नोट एड्रेस में इंट्रा पीपल डायलॉग की अवधारणा, आवश्यकता और एजेंडे का परिचय दिया। उन्होंने केंद्र सरकार के 2019 अगस्त के बिल को जम्मू और कश्मीर के विशेष दर्जे को हटाना, राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटना, स्थानीय निवासियों को नौकरियों और जमीन की सुरक्षा हटाना, जम्मू और कश्मीर के लोगों की पहचान, रोजगार और आजीविका पर एक हमला बताया।
उन्होंने कहा कि इससे राज्य के दुर्लभ संसाधनों का शोषण करने वालो के लिए द्वार खोल दिए गए हैं जबकि स्थानीय युवा और व्यापारियों को अवसरों की कमी का सामना करना पड़ रहा है। बेरोजगारी के अलावा, युवाओं में नशीली दवाओं का उपयोग बढ़ रहा है। स्थायी निवासी प्रमाणपत्र को डोमिसाइल से बदलने से, महाराजा हरि सिंह ने 1927 में जम्मू और कश्मीर के नागरिकों के लिए बनाई गई सुरक्षा को हटा दिया गया है।
यह सब बिना जम्मू और कश्मीर के लोगों से परामर्श किए किया गया है। इसलिए जम्मू और कश्मीर के लोगों को आपस में बातचीत करने, मतभेदों को दूर करने और एक सामान्य एजेंडा बनाने की बहुत जरूरत है, उन्होंने कहा।
आपको बता दे कि बैठक में शामिल हुए लोगों ने जम्मू और कश्मीर के विशेष दर्जे को हटाने और स्थायी निवासियों की सुरक्षा को खत्म करने पर दुख जताया। उन्होंने जम्मू और कश्मीर के राज्य को केंद्र शासित प्रदेश में घटाने पर असंतोष व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि राज्य की सामृज्यिक अखंडता भी खतरे में है जबकि उसके काफी हिस्से पाकिस्तान और चीन के अवैध कब्जे में हैं। उन्होंने कहा कि महाराजा के समय का राज्य अक्षुण्ण रखा जाना चाहिए था।
जल्मेरिया ने कहा कि इंट्रा पीपल डायलॉग जम्मू और कश्मीर के लोगों के बीच एकता और विश्वास को मजबूत करने का एक माध्यम है, जो उनके सामान्य मुद्दों और समाधानों का एक एजेंडा तैयार करने के लिए आवश्यक है। इस फोरम ने पिछले कुछ महीनों में जम्मू और कश्मीर के विभिन्न जिलों में अपनी बैठकें आयोजित की हैं और वहां के लोगों की राय ली है। इस फोरम के अन्य सदस्य हैं डॉ. शकील अहमद, एक जाने–माने शिक्षाविद, राजेश शर्मा, एक सामाजिक कार्यकर्ता, और शबीर अहमद, एक अन्य युवा नेता।
इस फोरम का उद्देश्य जम्मू और कश्मीर के लोगों को अपने हकों और अधिकारों के लिए एकजुट करने और केंद्र सरकार से अपनी मांगों को रखने के लिए एक मंच प्रदान करना है। इस फोरम ने कहा है कि वे किसी भी हिंसक या असामाजिक तरीके से अपना विरोध नहीं करेंगे, बल्कि ससदीय और न्यायिक प्रक्रिया के माध्यम से अपनी आवाज उठाएंगे। इस फोरम ने यह भी कहा है कि वे जम्मू और कश्मीर के लोगों के बीच किसी भी धार्मिक या सांस्कृतिक विभेद को नहीं बढ़ाएंगे, बल्कि उनकी एकता और भाईचारे को बढ़ावा देंगे।
इस फोरम के अनुसार, जम्मू और कश्मीर के लोगों की सबसे बड़ी चुनौती है कि वे अपने राज्य को फिर से प्राप्त करें और उसके विशेष दर्जे को बहाल करें। इसके लिए, वे केंद्र सरकार से बातचीत की मांग करते हैं और उन्हें अपने राज्य के भविष्य के बारे में निर्णय लेने में शामिल करने की गुहार लगाते हैं। वे यह भी चाहते हैं कि जम्मू और कश्मीर के लोगों को नौकरियों, शिक्षा, स्वास्थ्य, विकास और खुशहाली के अवसर मिलें और उनके खिलाफ किए गए किसी भी अन्याय या अत्याचार को रोका जाए।
इस फोरम का कहना है कि वे आने वाले समय में जम्मू और कश्मीर के लोगों को जागरूक और सक्रिय बनाने के लिए और अधिक बैठकें और सेमिनार आयोजित करेंगे और उनके साथ अन्य राजनीतिक और सामाजिक संगठनों के साथ भी संपर्क बनाएंगे। वे यह भी उम्मीद करते हैं कि जम्मू और कश्मीर के लोगों की आवाज को देश और दुनिया के सामने लाने के लिए मीडिया और सामाजिक मीडिया का भी प्रभावी उपयोग करेंगे।
इस तरह कह सकते है कि लोकसभा चुनाव से पहले जम्मू और कश्मीर के लोगों के लिए एक नई उम्मीद का संकेत करती हुई, इंट्रा पीपल डायलॉग फोरम मौजूदा बीजेपी सरकार के लिए किसी बड़े संकट से कम नहीं होगी। जो सीधे सीधे केंद्र सरकार कि धारा 370 कि खिलाफत करती नजर आ रही है। इसका परिणाम क्या होगा ? क्या केंद्र सरकार इनके प्रतिनिधियों से मिलकर कोई रास्ता निकलेगी ? इसपर अपने जवाब आप जरूर दीजिये धन्यवाद।
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