S jaishankar’s Commentary on UNSC: A New Turn in India’s Foreign Policy
यूएनएससी पर एस जयशंकर की टिप्पणी: भारत की विदेश नीति में एक नया मोड़
आज हम बात करेंगे एक ऐसे मुद्दे पर जो पूरी दुनिया के लिए महत्वपूर्ण है। हमारे विदेश मंत्री एस जयशंकर ने हाल ही में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद UNSC के बारे में कुछ ऐसी टिप्पणी की है जिसने विश्व स्तर पर चर्चा का विषय बना दिया है। हम इन टिप्पणियों को विस्तार से समझने का प्रयास करेंगे और जानेंगे कि इसका भारत और दुनिया पर क्या प्रभाव पड़ सकता है। तो बने रहिए हमारे साथ।
हाल ही में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने UNSC की तुलना एक पुराने क्लब से की है, जिसमें कुछ सदस्य अपनी पकड़ ढीली नहीं करना चाहते हैं। उनके अनुसार, इससे दुनिया को नुकसान हो रहा है और संयुक्त राष्ट्र कम असरदार होता जा रहा है।
भारत कि विदेश निति के सन्दर्भ में जयशंकर का यह बयान बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि भारत UNSC में सुधार की वकालत कर रहा है और वह इसमें स्थायी सदस्यता का प्रबल दावेदार है। वर्तमान में, UNSC में अमेरिका और पश्चिमी देशों का वर्चस्व है, और भारत चाहता है कि बदलती दुनिया के साथ इस वर्चस्व को तोड़ा जाना चाहिए।
आपको बता दे कि जयशंकर की इस बेबाकी के कारण ही भारतीय की विदेश नीति में आक्रामकता आई है। उन्होंने यूरोप को आईना दिखाया था, जब यूक्रेन से जंग के बीच रूस से पेट्रोल खरीदने पर सवाल खड़े किए गए थे। उन्होंने कहा कि अपने लिए कुछ और दूसरों के लिए कुछ नियम नहीं रह सकते हैं।
यह बदलाव संयुक्त राष्ट्र में प्रतिबिंबित नहीं होता है, जो दुनिया में शक्ति का संतुलन तेजी से बदल रहा है। इस प्रकार, जयशंकर के टिप्पणी ने एक नई चर्चा की शुरुआत की है, जिसमें उन्होंने संयुक्त राष्ट्र की संरचना और कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं।
भारत और चीन के बीच UNSC में तनाव का मुख्य कारण चीन की वेटो पावर है, जिसके कारण वह भारत की स्थायी सदस्यता के प्रयासों को रोक रहा है। चीन ने भारत के न्यायिक आपूर्तिकर्ता समूह और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की सदस्यता के लिए भारत के प्रयासों को रोका है। जयशंकर ने कहा कि चीन के इस व्यवहार में “द्वैतवाद” है।
आपको याद होगा कि चीन ने पाकिस्तानी आतंकवादियों के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र की सूचीबद्ध करने की अवरोधना की थी, जो भारत पर हमले कर चुके थे। इस प्रकार, जयशंकर के टिप्पणी ने एक नई चर्चा की शुरुआत की है, जिसमें उन्होंने संयुक्त राष्ट्र की संरचना और कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं।
इस चर्चा के मध्यम से, भारत ने अपनी विदेश नीति की ओर एक नया मोड़ लिया है, जिसमें वह अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहा है। यह एक नया युग है, जिसमें भारत अपनी विदेश नीति को नई दिशा देने का प्रयास कर रहा है।
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