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भारत के सबसे चाहिते अपराधी और 1993 के मुंबई धमाकों के मास्टरमाइंड Dawood Ibrahim को कराची में अस्पताल में भर्ती किया गया है और उन्हें कड़ी सुरक्षा के तहत रखा गया है, ऐसी खबरें कुछ मीडिया आउटलेट्स ने अपनी खबरों में दिखाई है । इन खबरों के अनुसार, दाऊद को जहर दिया गया था और उन्हें हार्ट अटैक आया था, जिसके कारण उनकी हालत गंभीर हो गई थी। इन खबरों को आधार “भारतीय खुफिया सूत्रों” को बताया गया है।
आपको बता दे कि इन खबरों की सच्चाई सिर्फ अफवाहें और अनुमान ही हैं, जिनका कोई प्रमाण नहीं है। दाऊद के करीबी सहयोगी छोटा शकील ने इन खबरों को खारिज करते हुए कहा कि , भाई फिट और फाइन हैं और इन खबरों को अफवाह बताया है । साथ ही दाऊद के परिवार के सूत्रों ने भी इन खबरों को झूठा बताया और कहा कि दाऊद अच्छे स्वास्थ्य में हैं और उन्होंने हाल ही में अपनी पत्नी के चाचा की तबीयत के बारे में पूछा था, जो कि अस्पताल में भर्ती हैं।
इसके अलावा, भारतीय खुफिया एजेंसियों के सूत्रों ने भी इन खबरों को नकारा है और कहा है कि उन्हें ऐसी कोई जानकारी नहीं है। वे कहते हैं कि दाऊद की हालत गंभीर नहीं है, बल्कि वह अपने घर पर ही है। वे यह भी कहते हैं कि दाऊद को 19 अप्रैल को आखिरी बार देखा गया था। जब उन्होंने पाकिस्तान के पूर्व क्रिकेटर जावेद मियांदाद के घर पर एक पार्टी में शामिल हुए थे।
अब सवाल है कि ये खबरें कहां से आईं और इनका मकसद क्या था? इसका जवाब शायद इस बात में छिपा है कि दाऊद इब्राहिम एक ऐसा नाम है, जिसके बारे में बात करने से मीडिया को टीआरपी मिलता है और राजनीतिक दलों को वोट मिलते हैं। दाऊद इब्राहिम को भारत लाने का वादा करने वाले राजनेता अपने चुनावी अभियान में इसे एक मुद्दा बनाते हैं और अपने विरोधियों पर पाकिस्तान के साथ मिलीभगत का आरोप लगाते हैं। दाऊद इब्राहिम की खबरों से मीडिया को भी अपने चैनल और वेबसाइटों पर अधिक दर्शक और विज्ञापन आय बढ़ाने का मौका मिलता है। इसलिए, ऐसी खबरें जो दाऊद इब्राहिम की मौत या बीमारी का दावा करती हैं, बार-बार इन अफवाहों को उड़ाती है , चाहे उनका कोई सबूत हो या न हो।
इस तरह, दाऊद इब्राहिम को कराची में अस्पताल में भर्ती किया गया, कड़ी सुरक्षा के तहत रखा गया, यह एक विवादित और असत्य खबर है, जिसका उद्देश्य सिर्फ लोगों को भ्रमित करना और उनकी भावनाओं का शोषण करना है। ऐसी खबरों पर विश्वास न करने और उन्हें फैलाने से बचने की जरूरत है। दाऊद इब्राहिम का पकड़ा जाना या मारा जाना भारत के लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी, लेकिन उसके लिए ठोस सबूतों और विधिक प्रक्रिया की आवश्यकता होगी, न कि अफवाहों और अनुमानों की।
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