lok sabha election 2024 जारी है और इस बीच केरल के वायनाड से कांग्रेस पार्टी को एक बड़ा झटका लगा है। वायनाड जिला समिति के महासचिव पीएम सुधाकरन ने रविवार को कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया और भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए। इस घटना से वायनाड में चुनावी समीकरण बदल सकते हैं। आइए जानते हैं की आखिर क्यों पीएम सुधाकरन ने कांग्रेस पार्टी छोड़ी?- PM Sudhakaran Decides to Join BJP
क्या सुधाकरन के भाजपा में शामिल होने से वायनाड में भाजपा की जीत की संभावना बढ़ गई है?
और वायनाड में अब कौन-कौन से प्रमुख दलों के उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं?
नमस्कार, आप देख रहे हैं AIRR न्यूज़।
कांग्रेस नेता पीएम सुधाकरन ने रविवार को वायनाड जिला समिति के महासचिव पद से इस्तीफा दे दिया और भाजपा में शामिल हो गए। सुधाकरन ने कांग्रेस पार्टी पर हमला करते हुए कहा कि वायनाड से सांसद राहुल गांधी आम आदमी के लिए सुलभ नहीं हैं। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी उनसे भी मिलने के लिए “उपलब्ध” नहीं हैं।- PM Sudhakaran Decides to Join BJP
भाजपा में शामिल होने के बाद, सुधाकरन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के काम और दृष्टिकोण की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि वह चाहते हैं कि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के. सुरेंद्रन वायनाड संसदीय क्षेत्र से जीत हासिल करें।- PM Sudhakaran Decides to Join BJP
सुधाकरन ने कहा, “भाजपा एक ऐसा दल है जिसकी आज के समाज में प्रासंगिकता अधिक है। प्रधानमंत्री मोदी की विकास परियोजनाओं को लागू करने के लिए के. सुरेंद्रन को वायनाड से सांसद के रूप में चुना जाना चाहिए और मैं उस दिशा में काम करूंगा। अगर वायनाड के लोग भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के. सुरेंद्रन को चुनते हैं, तो वायनाड के लोगों को इसका फायदा मिलेगा।”
वायनाड से कांग्रेस नेता राहुल गांधी चुनाव लड़ रहे हैं। उनके खिलाफ माकपा की एनी राजा और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के. सुरेंद्रन चुनाव मैदान में हैं।
केरल के सभी 20 लोकसभा क्षेत्रों में दूसरे चरण के तहत 26 अप्रैल को मतदान होना है।
वैसे सुधाकरन का भाजपा में शामिल होना वायनाड में कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका है। सुधाकरन कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता थे और उनका इलाके में अच्छा खासा प्रभाव है। उनके भाजपा में शामिल होने से वायनाड में भाजपा की जीत की संभावना बढ़ गई है।
वायनाड उत्तर-पूर्वी केरल का एक पहाड़ी इलाका है और 2009 से कांग्रेस का गढ़ रहा है। 2019 लोकसभा चुनाव में, कांग्रेस नेता और वायनाड के सांसद राहुल गांधी को 4.31 लाख से अधिक वोटों के बड़े अंतर से जीत मिली थी।
हालाँकि 2014 के लोकसभा चुनाव में, एमआई शनावास वायनाड लोकसभा सीट से जीते थे। 2019 के चुनावों में, कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) ने 20 में से 19 सीटें जीती थीं। कांग्रेस पार्टी ने 15 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की, जबकि उसके सहयोगी इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने 2 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की। वहीं, क्रांतिकारी समाजवादी पार्टी ने एक और केरल कांग्रेस (एम) ने एक सीट पर जीत हासिल की।
आपको बता दे की पूर्व कांग्रेस नेता पीएम सुधाकरन का भारतीय जनता पार्टी में शामिल होना वायनाड लोकसभा सीट पर कांग्रेस के लिए एक बड़ी चुनौती है। सुधाकरन का इलाके में अच्छा खासा प्रभाव है और उनके भाजपा में शामिल होने से वायनाड में भाजपा को मजबूती मिलेगी।
बाकि सुधाकरन का भाजपा में शामिल होना वायनाड में भाजपा के लिए कई लाभ लेकर आएगा। सबसे पहले, इससे भाजपा को कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगाने में मदद मिलेगी। सुधाकरन का इलाके में अच्छा खासा प्रभाव है और उनके समर्थक अब भाजपा की ओर आ सकते हैं।
दूसरे, सुधाकरन के शामिल होने से वायनाड में भाजपा का जमीनी स्तर पर संगठन मजबूत होगा। सुधाकरन कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता थे और उनके संपर्क हैं जिसका इस्तेमाल भाजपा अपने लाभ के लिए कर सकती है।
तीसरे, सुधाकरन का भाजपा में शामिल होना वायनाड में कांग्रेस का मनोबल गिराएगा। कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं को बड़ा झटका लगेगा और इससे उनके जीतने की संभावनाओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
ऐसे में सुधाकरन का भाजपा में शामिल होना कांग्रेस के लिए एक बड़ी चुनौती है। सबसे पहले, इससे वायनाड में कांग्रेस का वोट बैंक कमजोर होगा। जैसे-जैसे सुधाकरन के समर्थक भाजपा की ओर बढ़ेंगे, वैसे-वैसे कांग्रेस के लिए वोट हासिल करना और अधिक कठिन हो जाएगा।
दूसरे, सुधाकरन के शामिल होने से वायनाड में कांग्रेस का जमीनी स्तर पर संगठन कमजोर होगा। सुधाकरन का इलाके में अच्छा खासा प्रभाव था और अब उस प्रभाव का इस्तेमाल भाजपा अपने लाभ के लिए करेगी।
तीसरे, सुधाकरन का भाजपा में शामिल होना वायनाड में कांग्रेस का मनोबल गिराएगा। कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं को बड़ा झटका लगेगा और इससे उनके जीतने की संभावनाओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
बाकि यह कहना अभी भी जल्दबाजी होगी कि सुधाकरन के भाजपा में शामिल होने का वायनाड में चुनावी परिणाम पर क्या प्रभाव पड़ेगा। हालाँकि, यह स्पष्ट है कि इससे कांग्रेस की जीत की संभावनाओं को नुकसान पहुंचेगा और भाजपा के लिए जीतना आसान हो जाएगा।
वायनाड पारंपरिक रूप से कांग्रेस का गढ़ रहा है और राहुल गांधी को 2019 के चुनावों में बड़े अंतर से जीत मिली थी। हालाँकि, सुधाकरन के भाजपा में शामिल होने से भाजपा को उम्मीद है कि वह इस गढ़ को तोड़ सकती है और वायनाड में जीत हासिल कर सकती है।
कुल मिलाकर, सुधाकरन का भाजपा में शामिल होना वायनाड लोकसभा सीट पर कांग्रेस के लिए एक बड़ी चुनौती है। इससे कांग्रेस का वोट बैंक और जमीनी स्तर पर संगठन कमजोर होगा और इसका मनोबल गिरेगा। यह देखना बाकी है कि सुधाकरन का भाजपा में शामिल होने का वायनाड में चुनावी परिणाम पर क्या प्रभाव पड़ेगा, लेकिन यह स्पष्ट है कि इससे कांग्रेस की जीत की संभावनाओं को नुकसान पहुंचेगा।
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