भारत और अमेरिका के बीच के संबंधों को एक नए मोड़ पर ले जाने के लिए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुनिया के सबसे बड़े आर्थिक मंच, World Economic Forum के सम्मेलन में भाग लिया। उन्होंने अपने भाषण में भारत के विकास की कहानी, चीन के साथ तनाव, ताइवान के मुद्दे और अमेरिका के साथ साझेदारी के बारे में बात की। उन्होंने भारत को एक लोकतांत्रिक, विकासशील और स्वावलंबी देश के रूप में पेश किया, जो दुनिया के साथ सहयोग करने के लिए तैयार है। नमस्कार, आप देख रहे हैं AIRR न्यूज,
विश्व आर्थिक मंच का सम्मेलन दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित और प्रभावशाली आर्थिक घटना है, जिसमें विश्व के शीर्ष नेता, उद्योगपति, वैज्ञानिक, चिंतक और पत्रकार शामिल होते हैं। इस साल, इस सम्मेलन का विषय था “एक नया दौर: विश्व के लिए एक नया रुख”। इस सम्मेलन में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के लिए एक नया रुख तय किया, जो उनके भाषण में साफ़ झलकता था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में भारत के विकास की कहानी को उजागर किया, जिसमें वे भारत को एक आधुनिक, विकसित और स्वावलंबी राष्ट्र के रूप में पेश करते हैं। उन्होंने भारत की आर्थिक, सामाजिक, शैक्षिक, तकनीकी, स्वास्थ्य और पर्यावरणीय प्रगति के बारे में बताया। उन्होंने भारत के लोकतंत्र, विविधता, सहिष्णुता और समानता के मूल्यों को उजागर किया। उन्होंने भारत के युवा, महिला, किसान, श्रमिक और उद्यमी की ताकत और साहस की प्रशंसा की।
आपको बता दे की, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में चीन के साथ तनाव के बारे में भी बात की, जो भारत के लिए एक बड़ी चुनौती है। उन्होंने कहा कि भारत चीन के साथ शांति और सहयोग की बात करता है, लेकिन अपनी स्वतंत्रता, सार्वभौमता और अखंडता के लिए लड़ने के लिए भी तैयार है। उन्होंने कहा कि भारत चीन के दबाव को झेलने और अपनी सेना को तैयार रखने के लिए आत्मनिर्भर बनने का प्रयास कर रहा है। उन्होंने चीन को लड़ाकू और अस्थिर शक्ति के रूप में चित्रित किया, जो अपने पड़ोसी देशों के साथ विवादों को बढ़ावा देता है। उन्होंने भारत को एक शांतिपूर्ण और जिम्मेदार शक्ति के रूप में प्रस्तुत किया, जो रक्षा करने के लिए न केवल अपने आप को, बल्कि अपने मित्रों और साझेदारों को भी मदद करता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में ताइवान के मुद्दे पर भी अपना रुख स्पष्ट किया, जो चीन और अमेरिका के बीच एक गर्म मुद्दा है। उन्होंने कहा कि भारत ताइवान को एक अलग देश के रूप में मानता है, और उसके साथ आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनयिक संबंध बढ़ाना चाहता है। उन्होंने चीन को ताइवान के ऊपर दबाव डालने और उसे अपना हिस्सा बताने के लिए आलोचना की, और अमेरिका को ताइवान का समर्थन करने के लिए प्रशंसा की।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में अमेरिका के साथ भारत की साझेदारी के बारे में भी बात की, जो दोनों देशों के लिए एक महत्वपूर्ण रिश्ता है। उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका लोकतंत्र, मानवाधिकार, उद्योग, शिक्षा, विज्ञान, सुरक्षा, आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन आदि के क्षेत्रों में एक-दूसरे के साथ सहयोग कर रहे हैं। उन्होंने अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन को बधाई दी, और उनसे भारत-अमेरिका के बीच के बंधनों को और मजबूत बनाने की उम्मीद जताई।
इस प्रकार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्व आर्थिक मंच के सम्मेलन में एक प्रभावशाली भाषण देकर भारत की छवि को उभारा, और दुनिया के साथ अपने संबंधों को नए स्तर पर ले जाने का संकेत दिया। उन्होंने भारत के विकास के लक्ष्यों, चुनौतियों और अवसरों के बारे में बताया, और चीन, ताइवान और अमेरिका के साथ अपने रुख को स्पष्ट किया। उन्होंने भारत को एक विश्वस्तरीय शक्ति के रूप में प्रस्तुत किया, जो दुनिया के लिए एक नया रुख निर्धारित करने में अपना योगदान देना चाहता है।
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