Pakistan Military: Desperately Cultivating a Future Through Farming-Pakistan Military update

HomeBlogPakistan Military: Desperately Cultivating a Future Through Farming-Pakistan Military update

Become a member

Get the best offers and updates relating to Liberty Case News.

― Advertisement ―

spot_img

Apart from desperate attempts of Pakistani armed forces to control all the financial resources in the land they have targeted the domestic agriculture  production. –Pakistan Military update 

The Role of Pakistan Military in Agricultural Development

Pakistan Military has embarked on a unique mission to support and uplift the agriculture sector in the country. While traditionally known for its defense capabilities, the military has now turned its focus towards farming to combat food insecurity and promote self-sustainability. This unexpected shift has sparked curiosity among the masses, raising questions about the military’s involvement in such a civilian-centric domain. Strategic experts told AIRRNEWS. –Pakistan Military update

A Strategic Approach to Agricultural Support

With vast resources and manpower at its disposal, Pakistan Military has strategically deployed its personnel and expertise to assist farmers in enhancing their agricultural practices. From providing technical training on modern farming techniques to offering logistical support for crop transportation, the military has become an indispensable ally for rural communities striving to improve their livelihoods. Finds AIRRNEWS as a public dialogue .-Pakistan Military update

Nurturing Growth Amidst Challenges

In a nation where agriculture serves as the backbone of the economy, the challenges faced by farmers are numerous and complex. From water scarcity to outdated farming methods, the hurdles seem insurmountable. However, the intervention of Pakistan Military has injected a new sense of hope and resilience into the agricultural landscape, paving the way for sustainable growth and prosperity.

Building Bridges Between Defense and Agriculture

The synergy between the military and agriculture may seem unconventional, but it exemplifies the adaptability and versatility of Pakistan’s armed forces. By diversifying their role beyond traditional defense mechanisms, the military is forging connections with civilians at the grassroots level, fostering a sense of unity and collaboration towards a common goal of national development.

How They Felt in Loss for Basmati  Rice

In India, basmati cultivation is dictated by geography. There is a ‘Basmati growing region’, one which includes the states and Union territories of Jammu and Kashmir, Himachal Pradesh, Punjab, Haryana, Chandigarh, Delhi, Uttarakhand and Uttar Pradesh. EU had  just given it a an unofficial Basmati Rice GI tagged producer that’s a USD$24 billion rough values, as per the AIRRNEWS estimates.   

Cultivating a Brighter Future Together

As the Pakistan Military continues its mission to fight for farming, the impact of this endeavor reverberates across the nation. By empowering farmers, enhancing agricultural productivity, and ensuring food security, the military is sowing the seeds of a prosperous future for generations to come. This unique blend of defense and agriculture not only symbolizes innovation but also underscores the unwavering commitment of the military towards serving the nation in multifaceted ways.

In conclusion, the Pakistan Military’s foray into farming signifies a paradigm shift in its role, demonstrating a holistic approach towards national development. By embracing this unconventional path, the military is not only safeguarding the country’s borders but also nurturing its agricultural landscape, embodying a true spirit of service and dedication. The synergy between defense and agriculture highlights the potential for transformative change, showcasing the power of innovation and collaboration in shaping a sustainable future for Pakistan Stay tuned with AIRRNEWS for Inside reports.  

1. #PakistanMilitary

2. #FarmingForFuture

3. #AgriculturalInitiatives

4. #SustainableFarming

5. #FoodSecurity

6. #ModernAgriculture

7. #GreenRevolution

8. #FarmToTable

9. #SelfSufficiency

10. #RuralDevelopment

11.# Basmati

12.#Rice

13.#India

14. #EU

15.#Citizen 

16.#airr news

Questions:

  1. Why Pakistani Military so desperate for all the resources?
  2. Will this step make common men revolt in Pakistan?
  3. How lasting is friendship with farmers and Military in Pakistan?
  4. How much award an Armed forces person get in Pakistan?
  5. From Construction to IT, Armed forces control everything in Pakistan. Your opinion on it?
RATE NOW
Previous article
राजनीती के दंगल में महिलाओं के हिस्सेदारी को लेकर हमेशा से ही प्रश्न चिन्ह खड़े होते रहे हैं।-women politic update महिलाओं की  हिस्सेदारी सिर्फ और सिर्फ कहने बस भर के लिए नहीं होनी चाहिए बल्कि उसको धरातल पर  उतारना  भी चाहिए और अमल भी करना चाहिए इसी तरह का एक कानून भी निकल कर सामने आया था नारी शक्ति वंदन अधिनियम जिसको केंद्र सरकार  लोकसभा में और फिर उसके बाद राज्यसभा में पास किया उसके बाद जिस तरह से राष्ट्रपति की मुहर के बाद यह कानून बन गया उसके बाद से ही लगातार महिलाओं के वर्ग में एक ख़ुशी साफ़ तौर पैर देखने को मिली थी हालांकि  पहले भी कई बार यह सवाल उठते रहे हैं की महिला वर्ग आज़ादी से पहले भी काफी हद तक सकिर्य  था महिलाओं की हिस्सेदारी और उसके बाद महिलाओं की आत्मनिर्भरता हमेशा से ही कायम रही है आज़ादी के युद्ध का जिक्र किया जाए या फिर तमाम युद्ध जिनमें महिलाओं की भागीदारी साफ़ तौर पर  देखने को मिली है न सिर्फ हमारे देश में बल्कि विदेशों में भी महिलाओं ने एक उच्च पद को हमेशा से ही हासिल कर रखा है अगर बात की जाए ब्रिटेन की  तो ब्रिटेन  की रानी एलिज़ाबेथ का जिक्र हो तो वह शक्तिशाली नेत्रियों में गिनी जाती हैं. तो हमारे भारत में यह कमल इंदिरा गाँधी हैं ,,, जो की हमारे देश की पूर्व प्रधानमंत्री रह चुके हैं और साथ ही साथ प्रतिभा पाटिल जो राष्ट्रपति का पदभार संभाल  चुकी हैं और अभी हाल ही में राष्ट्रपति द्रौपदी इस लिस्ट में शामिल हैं जिन्होंने अपने कर्मों से यह साबित किया है की महिलाएं न सिर्फ घरों तक सिमित हैं बल्कि महिलाएं देश को भी चलाने  में पूरी तरह से सक्षमता के सामने आती है.. लेकिन सवाल यही उठता है की महिलाओं की राजनीती में हिस्सेदारी से आख़िरकार फर्क किसे पड़ता है.. क्या महिलाएं एक मास लेवल पर  ऑडियंस को प्रभावित कर सकती है क्या वोटर्स को प्रभावित करने में महिला उम्मीदवारों का दबदबा रहता है और महिलाएं के तरह से राजनीती में अपना दबदबा कायम कर सकती हैं वह भी उस हालत में जब आज के समय पर  ही देखा जाए तो दागी उम्मीदवारों की संख्या कई ज्यादा है यानि की कुछ ऐसे उम्मीदवार भी हमारे उम्मीदवार के लिस्ट में शामिल हैं जिनके सर पर कई तरह के क़ानूनी आरोप लगे हुए हैं जो की बिहार से बाहुबली.. तो वही जौनपुर से धनञ्जय सिंह अपनी पत्नी को चुनावी मैदान में उतारते हुए नजर आये थे पहले जिनका नाम श्री कला रहती है उन्होंने अपने बाहुबली के डैम पर  अपनी पत्नी को चुनाव लड़ाने  की कोशिश की थी लेकिन मायावती जो की खुद एक महिलाएं को टिकट दे दिया उनका दवा था की हमारी तरफ से किसी भी तरह के बाहुबली या फिर अपराधी का समर्थन नहीं किया जाएगा… लेकिन इधर श्री कला का टिकट कटा उधर धनञ्जय सिंह की बीजेपी के सांठ  गांठ हो गई धनञ्जय सिंह का साफ़  कहना है की किसी भी तरह से उनकी पार्टी उनके नेता उनसे जुड़े हुए कार्यकर्त्ता और उनके समर्थक जितने भी उनके समर्थक हैं सभी के सभी भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशियों की मदद करेंगे न सिर्फ इसमें जौनपुर का नाम शामिल है बल्कि उसे लोकसभा सीट का भी नाम शामिल है जिसको लेकर हमेशा से ही राजनीती में चर्चा चरम पर  रही है उसका नाम है मछली शहर मछली शहर में आपको बता दें की पिछली बार भी बसपा विधायकों की तरफ से ही खास तौर पर  दबदबा देखने को मिला था बसपा के कार्यकर्ताओं का यहाँ पर …तो वही मछली शहर के लोकसभा चुनाव को लेकर अब अटकलें लगाई जा रही हैं की बसपा के प्रत्याशी की यहाँ से छुट्टी होने वाली है साथ ही इंडिया गठबंधन के प्रत्याशियों की तरफ से भी कोई खासा स्वराज नहीं की गई है तो साफ़ तौर पैर देखने को मिल रहा है की इस बार यह सीट बीजेपी के कहते में जाती हुई दिख रही है और खास तौर पैर बाहुबली धनञ्जय सिंह की तरफ से जो समर्थन मिला है उसके बाद से तो यह थी पूरी तरह से बीजेपी के दबदबे में पहुँच रही है लेकिन मुद्दा यह है की महिलाओं ने राजनीती में… अपना दबदबा कायम किया है और सवाल ये उठता है की क्या महिलाओं की भागीदारी से जन  सरोकार  पर एक बेड  इम्पैक्ट पड़ता है वह देखना बेहद जरुरी हो जाता है तो आपको बता दें की जिस तरह से महिलाओं की भागीदारी न सिर्फ हमारे घरों में हमारे स्कूलों में हमारे दफ्तरों में हमारे आसपास हमारे वर्ग क्षेत्र में यहाँ तक की चाय की गुमटियों पैर भी महिलाओं की जिस तरह से भागीदारी देखने को मिलती है उसी तरह से यह सवाल भी कहीं न कहीं साफ़  ही हो जाता है की जब महिलाएं हर एक क्षेत्र में बेहतर कर सकती हैं महिलाएं घर के चूल्हे से लेकर डस्टर की उलझन तक को सँभालने में पूरी तरह से सक्षम है तो इसी तरह से महिलाओं का राजनीती में उतरना एक मास लेवल पर  पूरे  देश और दुनिया को एक अच्छा सन्देश देता हुआ नजर आता है-women politic update
Next article
wpChatIcon