Lower 01 — How Would One Country-One Election Affect Political Parties?-One country-One Election right or wrong?
Lower 02 — Is One Country-One Election the Future of Democracy?
-नमस्कार, आप देख रहे हैं AIRR NEWS…..दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत में लोकतंत्र की नींव को मज़बूत रखने के लिए चुनाव एक खास भूमिका निभाता है…पारदर्शी और निष्पक्ष चुनाव के लिए समय-समय सरकारें चुनावी प्रक्रिया में संशोधन करती रही हैं…मौजूदा समय में भी चुनाव की पुरानी व्यवस्था को बदलकर नई व्यवस्था के बारे में चर्चा चल रही है…’-One country-One Election right or wrong?
One country-One Election ‘ के पक्ष और विपक्ष में देश में काफी लंबे समय से बहस हो रही है…अलग-अलग मंचों से देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी भी इस विचार पर अपना समर्थन देते रहे हैं…इसके तहत लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने के पेशकश हो रही है…सितंबर 2023 में इस मुद्दे पर बनी एक उच्च स्तरीय समिति ने अभी हाल में ही राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपनी रिपोर्ट पेश की है…इस समिति के सामने देश की करीब 47 राजनीतिक पार्टियों ने ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ के मसले पर अपनी राय रखी है…32 राजनीतिक दलों ने एक साथ चुनाव कराए जाने का समर्थन किया है तो वहीं 15 दल इस इलेक्शन प्रोसेस के खिलाफ हैं…
लेकिन सवाल उठता है कि आखिर देश को ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ की ज़रूरत है भी या नहीं…नई चुनावी प्रक्रिया को लागू करने में क्या दिक्कतें आ सकती हैं……इसे लागू करने के फायदे और नुकसान क्या हैं…चलिए आपको एक-एक करके बताते हैं…. ये तो हम सब जानते हैं कि देश में हर साल किसी ना किसी राज्य में चुनाव होते रहते हैं…जिसके चलते देश में बार-बार आचार संहिता लागू करनी पड़ती है…
जिसका सीधा असर सरकार के नीतिगत फैसलों और अलग-अलग योजनाओं पर पड़ता है…देश का डेवलपमेंट रुक जाता है और सरकारी खजाने पर भारी बोझ आता है…चुनावों में होने वाले खर्च का लगातार बढ़ना देश की आर्थिक हालात के लिए बेहद ही खतरनाक और चिंताजनक भी है…ये किसी से छिपा नहीं है हर चुनाव में बड़े पैमाने पर काले धन को खुलकर खर्च किया जाता है…
जहां देश का खजाना खर्च होता है वहीं देश का प्रशासनिक और सुरक्षा बल भी इससे खासा प्रभावित होता है…अगर देश में वन नेशन, वन इलेक्शन’ लागू हो जाता है तो ये देश के विकास में संजीवनी का काम कर सकता है…ऐसा होने से बार-बार मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट नहीं लगेगा…जिससे विकास कार्यों में तेजी आएगी…जिससे देश का पैसा, सरकारी, प्रशासनिक और सुरक्षा तंत्र काफी मजबूत होगा…
लेकिन कई एक्सपर्ट और राजनीतिक दल इसका विरोध कर रहे हैं…उनका कहना है कि संविधान में कई ऐसे प्रावधान हैं जो इससे बिल्कुल अलग दिखाई देते हैं…ऐसा होने से कुछ विधानसभाओं के मर्जी के खिलाफ जाकर उनके कार्यकाल को बढ़ाया या घटाया जायेगा…जो कि राज्य के अधिकारों का हनन होगा…देश में एक साथ चुनाव होने से राष्ट्र के मुद्दों के सामने राज्यों की समस्याओं की अनदेखी हो सकती है…कुछ एक्सपर्ट तो ये भी मानते हैं कि भारत की बढ़ती जनसंख्या के लिहाज से ‘One country-One Election ‘ की कल्पना करना भी बेमानी है…
वैसे तो ‘One country-One Election’ के मसले पर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय समिति ने मौजूदा राष्ट्रपति को अपनी रिपोर्ट सौंप दी गई है लेकिन जब-तक इस विचार पर आम राजनीतिक सहमति नहीं बनती…तब तक देश को चुनावी चक्रव्यूह से राहत नहीं मिलेगी…पूरा विडियो देखने के लिए धन्यवाद…ऐसी तमाम खबरों के लिए देखते रहिए AIRR NEWS……