अखिलेश यादव के सपोर्ट का मायावती ने आभार जताया। जिससे यह कयास लगाए जा रहे हैं कि अखिलेश यादव ने महफिल लूट ली। इसका माइलेज उन्हें उपचुनावों में मिल सकता है। – Mayawati On Akhilesh yadav
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नेताओं के रंग और अंदाज अलग-अलग होते हैं. कब कौन नेता किसके साथ चला जाए और किसके समर्थन में खड़ा हो जाए? इसके बारे में अनुमान लगा पाना बहुत मुश्किल होता है। नेताओं की विचारधाराएं भले अलग होती हैं, लेकिन कई बार एक दूसरे का समर्थन करते हुए नजर आ आ जाते हैं। इसी तरह का एक वाकया उत्तर प्रदेश में देखने को मिला। जब मथुरा से भाजपा के विधायक राजेश चौधरी ने एक निजी टीवी चैनल के डिबेट में शामिल होकर मायावती को सबसे भ्रष्ट सीएम बताया तो सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव आगबबूला हो गए. अखिलेश के इस अंदाज की मायावती मुरीद बन गईं और उन्होंने सोशल साइट एक्स पर एक पोस्ट करके अखिलेश यादव के आभार जताया। इतना ही नहीं सोशल मीडिया पर अखिलेश यादव को शुक्रिया देने के लिए बहुजनों की बाढ़ आ गई। – Mayawati On Akhilesh yadav
अखिलेश ने मारा मौके पर चौका
अखिलेश यादव ने मौके पर चौका मार दिया। अखिलेश यादव के समर्थन से बहुजन समाज उनके सपोर्ट का मुरीद हो गया। अभी हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनावों के दौरान समाजवादी पार्टी को बहुजनों ने खुलकर सपोर्ट किया, जिसका नतीजा यह हुआ कि समाजवादी पार्टी के सांसदों की संख्या पांच से बढ़कर 37 पर पहुंच गई। ऐसे में अब विधानसभा के उपचुनाव कराए जाने हैं तो क्या बसपा का कोर वोटर अखिलेश यादव पर फिर से भरोसा जताएगा? – Mayawati On Akhilesh yadav
भाजपा विधायक की टिप्पणी की अखिलेश ने की निंदा
अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया के जरिए प्रतिक्रिया देते हुए लिखा कि उप्र के एक भाजपा विधायक द्वारा सूबे की एक भूतपूर्व महिला मुख्यमंत्री जी के प्रति कहे गये अभद्र शब्द दर्शाते हैं कि भाजपाइयों के मन में महिलाओं और खासतौर से वंचित-शोषित समाज से आनेवालों के प्रति कितनी कटुता भरी है।
राजनीति में मतभेद अपनी जगह होते हैं लेकिन एक महिला के रूप में उनका मान-सम्मान खंडित करने का किसी को भी अधिकार नहीं है। भाजपाई कह रहे हैं कि उन्हें मुख्यमंत्री बनाकर हमने गलती की थी, ये भी लोकतांत्रिक देश में जनमत का अपमान है और बिना किसी आधार के ये आरोप लगाना कि वो सबसे भ्रष्ट मुख्यमंत्री थीं, बेहद आपत्तिजनक है। भाजपा के विधायक के ऊपर, सार्वजनिक रुप से दिये गये इस वक्तव्य के लिए मानहानि का मुकदमा होना चाहिए। – Mayawati On Akhilesh yadav
भाजपा ऐसे विधायकों को प्रश्रय देकर महिलाओं के मान-सम्मान को गहरी ठेस पहुँचा रही है। अगर ऐसे लोगों के ख़िलाफ़ भाजपा तुरंत अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं करती है तो मान लेना चाहिए, ये किसी एक विधायक का व्यक्तिगत विचार नहीं है बल्कि पूरी भाजपा का है। घोर निंदनीय।
इसके साथ ही उन्होंने उस वीडियो को भी ट्वीट किया जिसमें भाजपा विधायक मायावती को सबसे भ्रष्ट मुख्यमंत्री बताते हुए सुने जा सकते हैं।
मायावती ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करके जताया अखिलेश का आभार
अखिलेश यादव का सपोर्ट पाते ही बसपा सुप्रीमो मायावती ने मामले को लपक लिया। जैसे वे इसी बात का इंतजार कर रही हों। मायावती ने अखिलेश के समर्थन के लिए उनका आभार जताया। मायावती ने लिखा कि सपा मुखिया ने मथुरा जिले के एक भाजपा विधायक को उनके गलत आरोपों का जवाब देकर बीएसपी प्रमुख के ईमानदार होने के बारे में सच्चाई को माना है, उसके लिए पार्टी आभारी है। साथ ही कई ट्वीट करके भाजपा विधायक के आरोपों की कड़े शब्दों में निंदा की।
उन्होंने आगे लिखा कि पार्टी को भाजपा के इस विधायक के बारे में ऐसा लगता है कि उसकी अब भाजपा में कोई पूछ नहीं रही है। इसलिए वह बसपा प्रमुख के बारे में अनाप-शनाप बयानबाजी करके सुर्खियों में आना चाहता है, जो अति-दुर्भाग्यपूर्ण।
सोशल मीडिया पर अखिलेश को मिला भरपूर सपोर्ट
जिसके बाद सोशल मीडिया पर अखिलेश यादव के प्रशंसकों के विचारों की मानो बाढ़ सी आ गई। सोशल मीडिया पर लिखने वाले तो यहां तक लिखने लगे कि मानो मायावती और अखिलेश यादव फिर से एक साथ आने जा रहे हैं।
अखिलेश के कदम से झूम उठे दलित
अब सवाल यह है कि राज्य में 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने जा रहे हैं. उसमें कितनी सीटें किसके फेवर में जाती हैं। यह देखने वाली बात है। हाल ही में लोकसभा चुनाव के नतीजों के आधार पर अनुमान लगाया जाए तो यह कहा जा सकता है कि सपा और भाजपा में कड़ा मुकाबला हो सकता है. लेकिन, बसपा और आजाद समाज पार्टी ने भी उपचुनावों में उतरने का ऐलान किया है। ऐसे में दलित वोट बंटने के कयास लगाए जा रहे हैं। अगर दलित वोटों का बंटवारा होता है तब भी समाजवादी पार्टी फायदे में रह सकती है। साथ ही जितनी सीटों पर उपचुनाव कराए जा रहे हैं, उसमें से पांच सीटें सपा के कब्जे वाली ही खाली हुई हैं। तीन सीटें भाजपा के कब्जे वाली थीं, जबकि दो सीटें उसके सहयोगी दलों की रही हैं। अब इन सीटों पर भी भाजपा अपने ही प्रत्याशी उतारने के फिराक में है।
संविधान और आरक्षण के मुद्दे पर अखिलेश के साथ दलित
लोकसभा चुनावों में दलित वोटर काफी हद तक अखिलेश यादव और राहुल गांधी को सपोर्ट किया था। जिसकी वजह आरक्षण और संविधान था। भाजपा नेता लोकसभा चुनावों के दौरान 400 सीटें जीतने की बातें कर रहे थे, जिससे संविधान में संशोधन उनके लिए आसान हो जाता। लेकिन सपा और कांग्रेस के गठबंधन ने भाजपा का बाजा बजा दिया। मायावती की सीटें तो जीरो हो गईं। लोकसभा चुनावों के दौरान मायावती की गतिविधियां शक के दायरे से देखी जाने लगीं। जिससे दलित मतदाताओं ने अखिलेश और राहुल को हाथोहाथ लिया।
सामान्य सीटों पर सपा ने उतारा दलित प्रत्याशी
इसके अलावा अखिलेश यादव दो सामान्य लोकसभा सीटों अयोध्या और मथुरा में दलित प्रत्याशी उतार दिया। जिसका असर पूरे उत्तर प्रदेश में देखा गया। दलितों में पासी मतदाता तो एकदम से अखिलेश यादव के साथ हो गए। नतीजा यह हुआ कि अयोध्या अवधेश प्रसाद चुनाव जीतने में कामयाब हो गए जो पासी समाज से आते हैं। वहीं मथुरा सीट पर भाजपा प्रत्याशी को बड़ी मुश्किल से जीत मिली।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
उत्तर प्रदेश की राजनीति को गहराई से समझने वाले वरिष्ठ पत्रकार ललित मोहन का कहना है कि लोकसभा चुनावों से ही दलित मतदाताओं का झुकाव अखिलेश यादव के प्रति बढ़ा है। अब मायावती का सपोर्ट करने से दलितों को यह लगेगा कि इसके पहले भी गलती अखिलेश यादव की नहीं खुद मायावती की रही है। मायावती अखिलेश यादव के साथ रहती तो आज राजनीतिक स्थिति कुछ और होती। ऐसे में उपचुनावों में अखिलेश यादव को माइलेज मिल सकता है। लोकसभा चुनावों में दलित मतदाताओं में जो भटकाव था। आने वाले उपचुनावों में वो कम हो सकता है।
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