इन दिनों उत्तर प्रदेश की सियासत में गरमाहट देखने को मिल रही है. सीएम योगी को अखिलेश यादव ने तंज कसते हुए है कि पार्टी और मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर नई पार्टी बना लें और उसका चुनाव चिन्ह बुलडोजर ले लें. उसके बाद पता चलेगा कि जनता उन्हें कैसे सबक सिखाती है?-Akhilesh Yadav v/s yogi
जैसे-जैसे उत्तर प्रदेश में उपचुनावों को लेकर सरगर्मियां बढ़ती जा रही हैं. वैसे-वैसे सत्ताधारी दल और मुख्य विपक्षी दल के बीच तल्खियां भी बढ़ने लगी हैं. बीते दिनों उत्तर प्रदेश के मुख्य विपक्षी दल के मुखिया अखिलेश यादव पार्टी कार्यालय पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जिले के सपा नेताओं के साथ एक बैठक की. बैठक में पार्टी के नेताओं ने फीडबैक दिया होगा, उसके आधार पर अखिलेश यादव योगी के बुलडोजर को लेकर बड़ा बयान दिया. उन्होंने कहा कि 2027 में जब हमारी सरकार बनेगी तो सभी बुलडोजरों के मुंह गोरखपुर की तरफ मोड़ दिए जाएंगे. अखिलेश यादव का यह बयान कुछ पलों के भीतर ही वायरल होने लगा. जिसके बाद उत्तर प्रदेश के सीएम योगी ने भी उनका करारा जवाब दिया. -Akhilesh Yadav v/s yogi
योगी आदित्यनाथ ने अखिलेश यादव के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि बुलडोजर के लिए दिल और दिमाग दोनों की जरूरत होती है. बिना उसके बुलडोजर चला पाना मुश्किल होता है. -Akhilesh Yadav v/s yogi
योगी के इस बयान पर पलटवार करते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि बुलडोजर के पास दिमाग नहीं स्टीयरिंग होती है. स्टीयरिंग को जिस तरफ घुमाया जाता है, वह उसी तरफ जाता है.
बता दें, उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के पहले पार्ट से ही बुलडोजर चर्चा का विषय बना हुआ है. यहां तक कि लोकसभा चुनावों के दौरान कई जगहों पर बुलडोजर को अपने काफिले में शामिल करके पर्चा तक दाखिल करने गए थे और कई नेता तो बुलडोजर का जुलूस भी निकाले थे.
दरअसल, वे लोग योगी सरकार में कानून-व्यवस्था को लेकर लोगों को यह आश्वस्त करने के लिए संदेश देना चाह रहे थे कि उत्तर प्रदेश की कानून-व्यवस्था सुरक्षित हाथों में है. किसी को घबराने की जरूरत नहीं है. साथ ही जो अपराध करेगा या अन्याय करेगा उनके घरों पर बाबा का बुलडोजर चलाकर पीड़ितों के साथ न्याय किया जाएगा. इसके अलावा अपराधियों के लिए भी इसमें संदेश था कि सुधर जाओ वर्ना बाबा का बुलडोजर तु्म्हें कहीं का नहीं छोड़ेगा. इसमें दोनों बातों का संदेश छिपा हुआ था.
लेकिन, विपक्ष के नेता इसको दूसरे तरह से लेते रहे हैं. उनका कहना यह है कि अगर कोई व्यक्ति किसी अपराध में पकड़ा जाता है, तो उसको सजा देने का अधिकार कोर्ट के पास है, न कि पुलिस के पास है. पुलिस का काम है अपराधी को गिरफ्तार करना और उसको जेल भेजना. उसको जो भी कानून के मुताबिक, सजा बनेगी कोर्ट उसका फैसला करेगा, न कि सरकार और पुलिस. इससे कई कमजोर लोगों को अपन घरों से हाथ धोना पड़ा है.
साथ ही, कई जगहों पर जमीनों पर अवैध कब्जे को हटवाने के लिए भी सरकार ने बुलडोजर का इस्तेमाल किया. कई बस्तियों को उजाड़ दिया गया. काफी लंबे समय से रह रहे लोगों के घरों और बस्तियों पर बुलडोजर चलाकर उजाड़ दिया गया. इससे लोगों के मन में बुलडोजर को लेकर भय पैदा हो गया है.
दूसरी बात यह है कि बुलडोजर की जद में ज्यादातर ऐसे लोगों के घर आए हैं, जो सपा का कोर वोट बैंक माना जाता है. इसमें मुसलमान और पिछ़ड़े वर्ग में यादव जाति के लोगों को बहुत अधिक नुकसान उठाना पड़ा है. वहीं, आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो यह पता चलता है कि अगर अपराधी सवर्ण जाति का रहा है तो उसके घर पर बुलडोजर की कार्रवाई नहीं की गई है. लेकिन, वह यादव जाति से संबंध रखता है या मुसलमान है तो उसके घर पर बुलडोजर की कार्रवाई करने में सरकार को कोई गुरेज नहीं है.
इसी बात को लेकर अखिलेश यादव बौखलाए हुए हैं. यह बात सच भी है कि केंद्र और राज्य सरकारों की तरफ से इन दोनों वर्गों को तोड़ने के लिए बहुत से प्रयास किए गए लेकिन न तो मुसलमान झुका और न ही यादव इनके झांसे में आया. इसी खुन्नस में सरकार इनके घरों पर बुलडोजर की कार्रवाई ज्यादा करती आई है.
इसके अलावा कई बार यह भी देखा गया है कि उत्तर प्रदेश में अगर कोई अपराध होता है और अपराधी ठाकुर जाति से संबंध रखता है तो ज्यादातर मौकों पर उसको नजरअंदाज कर दिया जाता है या कार्रवाई होती भी है तो उस तरीके से नहीं जिस तरह से किसी अन्य जाति का अपराधी होने पर एक्शन लिया जाता है. अखिलेश यादव सुल्तानपुर की ताजी घटना पर सवाल खड़ा किया है. अखिलेश यादव ने कहा कि पुलिस की गोली जाति देखकर चलाई जा रही है.
यहां पर कत्तई इस बात का समर्थन नहीं किया जा रहा है कि अगर अपराधी यादव, ब्राह्मण या मुस्लिम है तो उसके साथ रियायत बरती जाए. अपराधी तो अपराधी होता है उसकी न तो कोई जाति होती है और न ही कोई धर्म होता है. लेकिन, अपराधियों को सजा देने के लिए अदालतें बनाई गई हैं. उसकी एक प्रक्रिया होती है. पुलिस उनको गिरफ्तार करे और जेल पहुंचा दे, न कि उनका एनकाउंटर करके जान से मार दे.
इन दिनों उत्तर प्रदेश में यह आम बात हो गई है कि कहीं पर अपराध होने पर सबसे पहले उसमें यादव और मुसलमान का एंगल निकाला जाता है. यह बात अब आम जनमानस के मन में आ गई है, जो अखिलेश यादव को हैरान करने वाली है. अगर अखिलेश यादव इसके खिलाफ खुलकरके बात नहीं करेंगे तो उनका यह वोट बैंक किसी दूसरी पार्टी में शिफ्ट हो सकता है. इन दिनों मायावती भी अपराध के खिलाफ खुलकर बोल रही हैं.
गौरतलब है कि राज्य में कानून-व्यवस्था की जिम्मेदारी सरकार की है. लेकिन, सरकार की एकतरफा कार्रवाई को रोकने के लिए विपक्ष दलों को आगे आने की जरूरत होती है. जिसकी भूमिका इस समय अखिलेश यादव और मायावती दोनों ही नेता निभा रहे हैं. राज्य में जितने अपराध हो रहे हैं, उन सभी में सबसे पहले जाति विशेष के लोगों को ढूंढा जा रहा है. इसके पहले 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान पीएम मोदी भी यह बात कह चुके हैं कि सपा सरकार में थानों पर सबसे ज्यादा दारोगा और पुलिस एक जाति के होते थे. वहीं, अब पूरे राज्य के थानों पर इस समय एक ही जाति के दारोगा और पुलिस अधिकांश हैं, लेकिन इस समय अब सरकार से सवाल करने वाला कोई नहीं है. उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले में आज एक अपराधी एनकाउंटर में मारा गया, जिसके साथ चार अपराधियों के पैरों में महज गोली लगी. इसमें कोई शक नहीं कि ये पांचो लोग अपराधी थे और इनके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए, लेकिन जो अपराधी ठाकर थे, उनके पैरों में गोली मारकर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया, लेकिन यादव जाति के अपराधी को एनकाउंटर में जान से मार दिया गया.
#yogi #yoga #yogapractice #yogainspiration #yogalife #yogaeverydamnday #meditation #yogateacher #yogini #yogaeveryday #namaste #yogaeverywhere #yogapose #yogachallenge #yogisofinstagram #mindfulness #asana #yogajourney #india #yogaposes #workout #bjp #Airrnews