हाल ही में हुए जहाजों पर हमलों ने दुनिया को चौंका दिया है। इन Attacks के पीछे यमन के ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों का हाथ माना जा रहा है। इन हमलों से न केवल भारत की ऊर्जा और आर्थिक सुरक्षा पर खतरा बढ़ा है, बल्कि इससे पूरे क्षेत्र में शांति और स्थिरता को भी आघात पहुंचा है। इस मुद्दे पर भारत और ईरान के बीच विस्तृत बातचीत हुई है, जिसमें दोनों देशों ने इस समस्या का शीघ्र समाधान करने की जरूरत जताई है।
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जहाजों पर हुए हमलों की शुरुआत इसराइल और हमास के बीच चल रहे युद्ध से हुई थी। यमन के हूती विद्रोहियों ने कहा था कि वे उन जहाजों को निशाना बना रहे हैं, जो इसराइल की तरफ जा रहे हैं। लेकिन अब तक ये साफ नहीं है कि इन विद्रोहियों ने जिन जहाजों पर हमले किए, वो सभी असल में इसराइल की तरफ ही जा रहे थे।
आपको बता दे की इन हमलों में सबसे बड़ा हमला 23 दिसंबर 2023 को हुआ, जब हूती विद्रोहियों ने अरब सागर में लाइबेरिया के झंडे वाले टैंकर पर ड्रोन से हमला किया। इस जहाज पर भारत के करीब 15 नाविक भी थे, जो इस हमले में बच गए। इस जहाज का लक्ष्य भारत था, जहां ये कच्चा तेल ले जा रहा था। इस हमले के बाद भारत ने अपनी नौसेना को अलर्ट कर दिया था।
इसके अलावा, 16 जनवरी 2024 को एक अमेरिकी कार्गो शिप पर बैलिस्टिक मिसाइल से हमला हुआ, जिसका जिम्मेदार हूती विद्रोहियों ने खुद को बताया। इस जहाज का लक्ष्य भी भारत था, जहां ये वस्तुओं की आपूर्ति करने जा रहा था। इस हमले में भी किसी को चोट नहीं आई, लेकिन जहाज को कुछ नुकसान पहुंचा।
इन हमलों के कारण, लाल सागर में आवाजाही करने वाले जहाजों को खतरा बढ़ गया है। लाल सागर एक ऐसा समुद्री मार्ग है, जिससे दुनिया का 10 प्रतिशत व्यापार होता है। इस मार्ग से भारत को तेल, खाद्यान्न, और अन्य वस्तुओं की आपूर्ति होती है। इसलिए, इस मार्ग पर होने वाले हमले भारत के लिए बहुत चिंताजनक ममने जा रहे हैं।
इन हमलों के परिणामस्वरूप, भारत ने अपनी नौसेना को सतर्क रखने के साथ-साथ ईरान के साथ बातचीत भी की है। ईरान के बीच बातचीत का मुख्य उद्देश्य यमन के हूती विद्रोहियों को रोकना और लाल सागर में आवाजाही की सुरक्षा सुनिश्चित करना था। दोनों देशों ने इस मुद्दे पर एक साझा रुख अपनाया और एक दूसरे के सहयोग की आशा जताई। भारत ने ईरान को यमन में शांति प्रक्रिया को बढ़ावा देने और हूती विद्रोहियों को अंतर्राष्ट्रीय कानून का पालन करने के लिए प्रेरित करने का आग्रह किया। ईरान ने भारत को अपना एक महत्वपूर्ण साझेदार मानते हुए, भारत की ऊर्जा और आर्थिक हितों का सम्मान करने और इसराइल के खिलाफ एक निष्पक्ष रवैया अपनाने का अनुरोध किया।
भारत और ईरान के बीच बातचीत का एक और पहलू चाबहार पोर्ट का विकास और संचालन था। चाबहार पोर्ट भारत के लिए अफगानिस्तान और मध्य एशिया तक पहुंचने का एक वैकल्पिक मार्ग है, जो भारत के रणनीतिक और व्यापारिक हितों के लिए महत्वपूर्ण है। भारत ने चाबहार पोर्ट के निर्माण में अपना योगदान दिया है और इसके संचालन के लिए 10-साल का समझौता करने की बात चल रही है। ईरान ने भारत को चाबहार पोर्ट के विकास और संचालन में पूरी तरह से भागीदारी देने का आश्वासन दिया है।
भारत और ईरान के बीच बातचीत के नतीजे में, दोनों देशों ने अपने संबंधों को मजबूत और गहरा बनाने का संकल्प लिया है। दोनों देशों ने विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के लिए नई पहलों की घोषणा की है, जैसे कि ऊर्जा, पर्यावरण, संस्कृति, शिक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष, और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर एकजुटता। भारत और ईरान के बीच बातचीत ने न केवल दोनों देशों के बीच विश्वास और समझ को बढ़ाया है, बल्कि पूरे क्षेत्र में शांति और स्थिरता को बढ़ावा देने में भी एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ है।
आज के लिए इतना ही। मिलते है फिर एक नयी जानकारी के साथ , नमस्कार आप देख रहे है AIRR न्यूज़
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