अकबर का बेटा सलीम 1605 ई. में जहांगीर के नाम से मुगल बादशाह बना। लेकिन साम्राज्य की वास्तविक ताकत उसकी खूबसूरत बेगम नूरजहां के हाथों में थी क्योंकि जहांगीर नशे का आदी था। ठीक इसके विपरीत नूरजहाँ एक सुन्दर और बुद्धिमान महिला थी। वह न केवल बहुभाषी थीं, बल्कि फ़ारसी में कविताएँ भी लिखती थी। मुगल दरबार के सभी कामकाज नूरजहां ही संभालती थी। यहां तक कि शाही फरमानों पर नूरजहां ही दस्तखत भी करती थी। मुगलिया फरमानों में नूरजहां बादशाह बेगम लिखा होता था। जहांगीर ने नूरजहां को मलिका-ए-हिन्दुस्तान की उपाधि भी दी थी।
आपको जानकारी के लिए बता दें कि जहांगीर से पहले अकबर के शासनकाल में ही अंग्रेज़ी शासन भारत से व्यापार करने के लिए आतुर था। लिहाजा 1599 में ईस्ट इंडिया कंपनी इंग्लैंड की रानी एलिजाबेथ से हुक्मनामा लेकर हिंदुस्तान से व्यापार करने का अधिकार प्राप्त कर चुकी थी लेकिन यह अधिकार पत्र अभी सिर्फ कागजी ही था।
अंग्रेज यात्री विलियम हॉकिन्स ईस्ट इंडिया कंपनी के जहाजों को भारत लेकर अवश्य आया लेकिन उसे अकबर और उसके पुत्र जहांगीर के दरबार में जगह नहीं मिल पाई लिहाजा वह व्यापारिक संधि करवाने में नाकाम रहा। इसके बाद जहांगीर के शासनकाल में एक बार फिर से कंपनी ने 1615 में थॉमस रो को 600 पौंड सालाना की तनख्वाह के साथ भारत भेजा। सर टामस रो के साथ रानी एलिजाबेथ का दिया हुआ चार्टर था जो इंग्लैंड की तकदीर बदलने जा रहा था। सच कहें तो सर टामस रो की यह वह यात्रा थी जो हिन्दुस्तान को गुलामी की जंजीरों में जकड़ने जा रही थी। आपको याद दिला दें कि यह वही दौर था जब मुगल सत्ता जहांगीर की बेगम नूरजहां के हाथों में थी।
आप सोच रहे होंगे कि मुगलों की यूरोप से व्यापार करने में दिलचस्पी रही होगी, लेकिन जी नहीं। जब जहांगीर मुगल बादशाह था तब उसकी सालाना आय पांच करोड़ पाउंड्स के बराबर थी। ऐसे में अंग्रेजों को मुगलों की जरूरत थी। अंग्रेज इस बात को भलीभांति जानते थे कि मुगलों की सबसे बड़ी कमजोरी नौसेना का नहीं होना है।
उन दिनों मुग़लों की बेटियां और रानियां भी व्यापार करती थीं। जहांगीर की मां के जहाज़ अरब सागर में चक्कर लगाया करते थे तब इनके और व्यापारियों के जहाजों को पुर्तगाल के समुद्री लुटरे लूट लेते थे। थॉमस रो को ताकीद दी गयी कि वह जहांगीर से मिलकर यह बताए कि इंग्लैंड के जंगी बेड़े मुग़लों के जहाज़ों की पुर्तगालियों से रक्षा कर सकते हैं । इस प्रकार टामस रोने इन बातों की आड़ में जहांगीर से मुलाकात करने की योजना बनाई।
चूंकि टामस रो को इस बात की भनक पहले ही लग चुकी थी कि मुगल सत्ता नूरजहां के हाथों में हैं इसलिए मुगल दरबार में प्रस्तुत होने से पहले उसने नूरजहां, उसके भाई आसफ खां और शहजादा खुर्रम को बहुमूल्य उपहार दिए। मुगल भारत का इतिहास नामक पुस्तक के मुताबिक टामस रो ने रिश्वत और बहुमूल्य उपहारों के बाद नूरजहां ने ही वह सुरक्षा संधि करवाई थी जिसमें अंग्रेज कंपनी को अपनी सुरक्षा के लिए ब्रिटिश फौज भारत में लाने की अनुमति दी गई थी। यहीं से हिंदुस्तान इंग्लैंड की मुट्ठी में जाना शुरू हुआ।
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