Ghulam Bharat’s shop की दुकान बनी नंबर वन भुजिया ब्रांड, बीकानेर से 80 देशों का सफर
कहते हैं दिल का रास्ता पेट से होकर गुजरता है…इसी सोच के साथ सिर्फ 8वीं पास एक लड़के ने आजादी से पहले राजस्थान के बीकानेर में एक Ghulam Bharat’s shop खोली थी जिसका रेवेन्यू अब 12 हज़ार करोड़ से ज्यादा है…हिन्दुस्तान के हर घर में इस कंपनी के प्रॉडक्ट प्रेमी आपको मिल जाएंगे…जिसकी पहुंच अब दुनिया के 80 देशों में है…आपने भी कभी ना कभी हल्दीराम की भुजिया या नमकीन जरूर खाई होगी
मेहनत और लगन कभी भी बेकार नहीं जाती…अगर दिल से मेहनत करो तो एक ना एक दिन सफलता मिलती ही है…ऐसा ही कुछ बीकानेर के रहने वाले गंगाविशनजी अग्रवाल के साथ भी हुआ है…जगह राजस्थान का बीकानेर…मारवाड़ी परिवार से आने वाले भीखाराम अग्रवाल ने 1918 में यहां एक छोटी सी चाय-नाश्ते की दुकान खोली…भीखाराम के साथ उनके पोते गंगाविशनजी अग्रवाल भी दुकान जाते थे…गंगाविशनजी अग्रवाल की मां उन्हें प्यार से हल्दीराम कहकर बुलाती थी…घर में सभी गंगाविशनजी अग्रवाल को हल्दीराम कहते थे…इन्हीं के नाम पर दुकान का नाम भी हल्दीराम रख दिया गया…दुकान पर मिलने वाली भुजिया धीरे-धीरे लोगों की जुबान पर चढ़ने लगी…दुकान का कारोबार बढ़ने लगा…
कहा जाता है कि जब हल्दीराम सिर्फ 11 साल के थे तब से ही वो एक कंपनी खोलना चाहते थे…इसी उम्मीद में उन्होंने अपने दादा की दुकान में काम करना शुरू कर दिया…हल्दीराम का मन दुकान में नहीं लगता था…लेकिन दुकान में जब भुजिया बनती तो वे ध्यान से देखते और सीखने की कोशिश करते…उन्होंने नमकीन और भुजिया बनाने की कला अपनी बुआ ‘बीखी बाई’ से सीखी थी…उनकी दुकान पर भुजिया की खूब मांग होती थी…दुकान पर भुजिया का बिजनेस बढ़िया चल रहा था लेकिन हल्दीराम इतने से संतुष्ट नहीं थे…वे बिजनेस को और बढ़ाना चाहते थे… भुजिया का टेस्ट भी उन्हें खास पसंद नहीं आ रहा था…वे ऐसी भुजिया बनाना चाहते थे जिसका स्वाद बाकियों से अलग हो…वे अलग-अलग मसालों और दूसरी चीजें मिलाकर भुजिया बनाने लगे लेकिन जैसा स्वाद वे चाहते थे उसे पाना आसान नहीं था…वे बार-बार इसमें फेल होते…आखिरकार कई कोशिशों के बाद उन्हें कामयाबी मिली और एक बहुत ही खास स्वाद वाली भुजिया बनाई जो लोगों के जुबान पर चढ़ गई…
भुजिया और नमकीन को लेकर उनका प्रयोग चल गया…उन्होंने अलग-अलग तरह की भुजिया बनाना शुरू किया…कोई पतला तो कोई मोटा, लेकिन जो सबसे ज्यादा हिट रहा, वो था हल्दीराम की एक दम पतली भुजिया…लोगों को उसका चटपटी और क्रिस्पी स्वाद खूब पसंद आया..लोगों को पंसद तो आ रहा था लेकिन बाजार तक उसकी पहुंच बढ़ नहीं रही थी…विशनशनजी अग्रवाल भले ही 8वीं पास थे लेकिन उनके पास गजब की मार्केटिंग स्किल थी…बिजनेस को आगे ले जाने के लिए उन्होंने बीकानेर के महाराजा डूंगर सिंह के नाम पर भुजिया का नाम ‘डूंगर सेव’ रख दिया…उस वक्त हल्दीराम की नमकीन ‘डूंगर सेव’ बिकना शुरू हो गया…महाराजा का नाम जुड़ने के बाद भुजिया का नाम तेजी से फैलने लगा…ज्यादा लोग अब इसे खरीदने लगे…पसंद करने लगे और इसका स्वाद फैलता गया…
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