किस हद तक पेट्रोल से छुटकारा दिलवा सकता है Biodiesel?
कोरोना का समय तो याद ही होगा आप सब लोगों को ?. हमारी दुनिया बिना पेट्रोल और डीज़ल के धुए के कैसी दिखती है?.यह देखने का सौभाग्य हमें तब मिला था। सोचिए अगर वह शुद्ध वातावरण बिना हमारी दिनचर्या और दैनिक परिवहन को रोके हमें मिल सके तो?. इस तो का जवाब है, बायोडीजल , एक ऐसा विकल्प जो न सिर्फ प्रदूषण को कम करता है बल्कि पेट्रोल के लिए जो हमारी दूसरे देशों पर निर्भरता है उसे भी काफी हद तक कम कर सकता है।
हाल ही में , केंद्रीय सड़क और राजमार्ग परिवहन मंत्री नितिन गडकरीजी ने बयान जारी किया है कि अगस्त में 100% इथेनॉल पर चलने वाले वाहन लॉन्च किए जाएंगे। मंत्री जी ने कहा है कि वह टोयोटा कंपनी की कैमरी कार लॉन्च करके इस अभियान की शुरुआत करेंगे। साथ ही, पेट्रोल की तुलना में इथेनॉल के दर का समीकरण समझाते हुए उन्होंने कहा की “ इथेनॉल का दर ६० रुपए प्रति लीटर है और इसके साथ ४० % बिजली का इस्तेमाल किया जाएगा इसलिए , यदि पेट्रोल के दर के साथ इसकी तुलना की जाए , जो की १२० रुपए प्रति लीटर है, तो इथेनॉल का दर १५ रुपए प्रति लीटर होगा।
यदि मोटे मोटे तौर पर देखा जाए, तो इथेनॉल में पेट्रोल की दहशत ख़तम करने की क्षमता तो है, पर किस हद तक ?. इस सवाल का जवाब ढूढ़ने से पहले हमे ये समझना होगा की इथेनॉल है क्या? और यह पदार्थ बनता कैसे है ?.
इथेनॉल एक अल्कोहोलिक तरल पदार्थ है। इसे बनने के लिए मक्का , ज्वार, जौ , गन्ने और चुकंदर के स्टार्च में पाए जाने वाली शुगर (Sugar , चीनी ) को किण्वित (Fermentation ) प्रक्रिया द्वारा इथेनॉल में बदला जाता है। इसमें डिनेटुरेन्ट्स नामक पदार्थ को भी मिलाया जाता है ताकि ये पीने योग्य न रहे और इसका इस्तेमाल ईंधन के तौर पे किया जा सके।
क्या इसे हर प्रकार के वाहनों में इस्तेमाल किया जा सकता है ? .
जी नहीं , यदि आप Biodiesel का इस्तमाल करना चाहते है तो ,आपको अपने इंजन में कुछ विशेष प्रकार के बदलाव करवाने पड़ेंगे।इसलिए कई कंपनियां इस प्रकार के इंजन पहले से ही अपने वाहन में उपलब्ध करवा रही है।
क्या है जो Biodiesel के इस्तमाल में रूकावट बन सकता है ?.
हालांकि Biodiesel से पर्यावरण में प्रदूषण की मात्रा कम ज़रूर होगी ,परंतु क्यूंकि इथनॉल का प्राथमिक स्त्रोत ज़्यदातर खाद्य सामग्री है, इसे वैश्विक तौर पर प्राथमिक ईंधन के तौर पर स्वीकृति मिलना कठिन हैं। फ़िलहाल केनेडा ,ब्राज़ील जैसे कुछ देश १०० % तक Biodiesel का इस्तमाल अपने वाहनों’में कर रहे हैं। वही भारत की ज़्यादा आबादी के चलते, इसे यहाँ वही स्वीकृति मिलना थोड़ा कठिन है। इस वक्त हमने शुरुआत २० % की है। यदि इसे १०० % तक लाना है, तो हमें एक एसा स्त्रोत ढूँढना पड़ेगा जो की खाद्य सामग्री न हो, जो ज़्यदा ज़मीन न रोके और जो ज़्यदा मात्रा में उपलब्ध भी हो। इंदौर इस काम को कर भी रहा है, अपनी कुछ बसों में वह कचरे में फेंके जाने वाले प्लास्टिक से बने बायोडीजल का इस्तेमाल कर रहा है।
इन सभी बातो को ध्यान में रखकर, यह कहा जा सकता है की थोड़ी और ज़्यादा रिसर्च और सरकार के सहयोग से Biodiesel निश्चित तौर पर पेट्रोल को धोबी पछाड़ दे सकता है।
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