मध्य प्रदेश में BJP में आंतरिक विवाद उभर रहे हैं, जिसमें नेता सार्वजनिक रूप से अपनी रोष व्यक्त कर रहे हैं। छतरपुर में केंद्रीय मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार खटिक की नियुक्तियों पर आलोचना हो रही है, जबकि विंध्य क्षेत्र में सिद्धार्थ तिवारी और जनार्दन मिश्रा के बीच टकराव बढ़ गया है। केंद्रीय हिस्से में भी झगड़े सामने आ रहे हैं। पार्टी नेतृत्व ने इन मुद्दों को सुलझाने के प्रयास किए हैं, जबकि प्रवक्ता ने बड़े विवादों से इनकार किया है।
मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (BJP) वर्तमान में आंतरिक संघर्षों का सामना कर रही है, जिसमें पार्टी के अलग-अलग गुट के नेता सार्वजनिक तौर पर अपना असंतोष जता रहे हैं। इस स्थिति ने राज्य के BJP अध्यक्ष वी डी शर्मा को हस्तक्षेप करने और नेताओं को अपने मतभेदों को निजी रूप से सुलझाने का प्रयास कर रहे हैं। पार्टी के अंदक यह अशांति ऐसे समय में सामने आई है, जब पार्टी पड़ोसी राज्य हरियाणा में चुनाव प्रचार में लगी हुई है, जिससे चुनावों से पहले पार्टी की एकजुता को लेकर चिंताएं बढ़ती जा रही हैं।
छतरपुर में बढ़ता असंतोष
छतरपुर में केंद्रीय मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार खटिक की नियुक्ति को लेकर विवाद बढ़ गया है। स्थानीय BJP नेता खुलकर खटिक की आलोचना कर रहे हैं। उनके ऊपर यह आरोप लगा रहे हैं उन्होंने अपने प्रतिनिधियों के रूप में संदिग्ध बैकग्राउंड के लोगों को चुना है।
हाल ही में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में, पूर्व BJP मंत्री मनवेन्द्र सिंह ने भी इस मुद्दे को उठाया और अनुसूचित जाति (एससी) विंग के प्रमुख लाल दीवान अहिरवार के आरोपों का समर्थन किया। अहिरवार ने खटिक पर आरोप लगाया कि उन्होंने मर्डर के मामलों में शामिल अपराधी को अपना प्रतिनिधि बनाया है, जिससे पार्टी के प्रति वफादार लोगों में रोष फैल गया है।
खटिक ने दमोह में खुद के डिफेंस में अपनी राजनीतिक विरासत को स्पष्ट किया। उन्होंने अपने आलोचकों को चुनौती दी कि वे अपने आरोपों को साबित करें और यह बताया कि उनके खिलाफ आरोप उस समय आए हैं, जब उन्होंने अवैध व्यवसायों पर लगाम लगाने की कोशिश की।
विंध्य क्षेत्र में भी तनाव की स्थिति
विंध्य क्षेत्र में भी BJP नेताओं में तनाव बढ़ रहा है, खासकर BJP नेता सिद्धार्थ तिवारी और रीवा सांसद जनार्दन मिश्रा के बीच। मिश्रा ने हाल ही में तिवारी के दिवंगत दादा, श्रीनिवास तिवारी की आलोचना की। मिश्रा ने श्रीनिवास को आतंक, गुंडागर्दी, लूट, भ्रष्टाचार, और पक्षपातपूर्ण राजनीति करने वाला बताया, जिससे तिवारी के समर्थकों में नाराजगी फैल गई।
सिद्धार्थ तिवारी ने मिश्रा की टिप्पणियों पर निराशा व्यक्त की और उन्हें इसे शॉकिंग और दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया। उन्होंने कहा कि उनके दादा के प्रति लोगों का भावनात्मक संबंध है और ऐसे बयान उचित नहीं हैं। इस व्यक्तिगत लड़ाई ने BJP के भीतर अलग-अलग राजनीतिक पृष्ठभूमियों को एकजुट रखने की जटिलताओं को लेकर संशय पैदा कर दिया है।
मध्य प्रदेश के केंद्रीय हिस्से में झगड़े
मध्य प्रदेश के केंद्रीय हिस्से, खासकरके रायसेन जिले में, जन स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल और होशंगाबाद सांसद दर्शन सिंह चौधरी के बीच मतभेद उभर रहे हैं। हाल ही में एक सार्वजनिक कार्यक्रम के निमंत्रण में पटेल का नाम चौधरी के नाम के बाद लिया गया, जिससे पटेल नाराज हो गए और जिला शिक्षा अधिकारी ने स्कूल को एक नोटिस जारी किया।
इस घटना ने कई सवाल उठाए हैं और विपक्ष के नेताओं, जैसे उमंग सेंगर, ने पूछा कि क्या यह BJP में आंतरिक झगड़े और जलन का प्रतीक है। सेंगर ने इस बात पर ध्यान दिलाया कि कैसे पार्टी के भीतर की ऐसे छोटे-छोटे विवादों का स्तर इस हद तक बढ़ गया कि आधिकारियों को नोटिस जारी किए जा रहे हैं।
नेतृत्व की मध्यस्थता के प्रयास
इन उभरते विवादों के बीच, राज्य BJP नेतृत्व, जिसमें वी डी शर्मा और संगठन के महासचिव हितानंद शर्मा शामिल हैं, जो सक्रिय रूप से शामिल नेताओं से संपर्क कर रहे हैं। वे उन्हें सार्वजनिक बयानों से बचने के लिए कह रहे हैं, जो स्थिति को और बिगाड़ सकते हैं। वहीं, पार्टी कार्यकर्ताओं का मानना है कि ये घटनाएं पार्टी की छवि और एकता को नुकसान पहुंचा रही हैं।
BJP के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस के पूर्व सदस्यों का BJP में शामिल होना स्वाभाविक रूप से मतभेद पैदा करता है। नए चेहरों के साथ, मतभेद पैदा होना स्वाभाविक है, लेकिन पार्टी पदाधिकारियों का प्रयास है कि ये विवाद बड़ी लड़ाई में न बदलें।
पार्टी प्रवक्ता का बड़े मुद्दों से इनकार
BJP प्रवक्ता शिवम शुक्ला ने कहा कि ये कोई बड़े मुद्दे नहीं हैं। उन्होंने बताया कि पार्टी लोकतांत्रिक आधार पर काम करती है और इसी में भरोसा करती है। जहां सदस्यों को अपनी राय व्यक्त करने की स्वतंत्रता है। उन्होंने पार्टी के भीतर बड़े विवादों के होने के दावों को खारिज कर दिया और कहा कि किसी भी शिकायत को आंतरिक रूप से सुलझा लिया जाएगा।
शुक्ला ने कांग्रेस पार्टी की भी आलोचना की, यह सुझाव देते हुए कि उन्हें अपने आंतरिक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए बजाय कि BJP के मुद्दों को उजागर करने के। उन्होंने पार्टी की एकता बनाए रखने के प्रति प्रतिबद्धता पर जोर दिया, विशेष रूप से आगामी चुनावों के संदर्भ में।
गौरतलब है कि जैसे-जैसे BJP मध्य प्रदेश में इन आंतरिक लड़ाइयों का सामना कर रही है, नेतृत्व इस बात के प्रति सतर्क है कि इनसे चुनावी संभावनाओं पर क्या प्रभाव पड़ेगा? महत्वपूर्ण चुनावों की तैयारी करते समय पार्टी की एकता बनाए रखना अत्यंत आवश्यक होगा। वर्तमान स्थिति इस बात की याद दिलाती है कि विभिन्न राजनीतिक पृष्ठभूमियों को एकजुट रखना और व्यक्तिगत विरोधों को मैनेज करने कितनी चुनौतियां आती हैं। पार्टी नेतृत्व इन मुद्दों को किस तरह से सुलझाने में सफल होता है। इससे आगामी चुनावों में उसकी ताकत को तय करेगी।