How correctly the problem of faulty arms was seen in Jawan.

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Jawan मे देखि गई Faulty Arms की Problem कितनी सही ।

आशा करते है अप सब ने Jawan देख ली होगी और अगर नहीं तो इस छोटे से स्पोइलर के लिए हमे माफ कर दीजिएगा । जवान की तारीफ आज कल सब कर रहे है । इस फिल्म मे हमे जो scene सबसे ज़्यादा emotional कर जाता है , वो सीन है जब हमरे जवान faulty ammunition यानि की  खराब हथियार की वजह से अपनी जान गवा देते है । सोचिए कितना दुख होगा अगर से सब सच में हुआ हो । 

2014 – 2020 के बीच ये घटना सच मे हैं । आर्मी केक रिपोर्ट के अनुसार 2014 से 2020 तक यानी की 6 साल में क्वालिटी एम्युनिशन यानी कि खराब गोला बारूद की वजह से तकरीबन 27 जवानों  ने अपनी जान गवाई औऱ 159 जवनो को serious injuries हुई जिस वजह से कई जवान को disability का सामना करना पड़ा। इतना ही नही खराब ammunition के disposal की वजह से देश को 980 करोड़ का नुकसान भी झेलना पड़ा ।पूरा मामला तब सामने आया जब 155mm की आर्टिलरी गन को टेस्ट करते समय OFB के द्वारा बनाया गया गोला टॉप में ही फट गया।  इन 6 साल में 403 accident hue यानी कि हर हफ्ते एक एक्सीडेंट । सबसे पहले तो क्या हैं ये ordianance factory (OFb ) ये समज लेते हैं । 

OFb 41 फैक्ट्रीज का एक समूह था, जिसका काम था आर्मी के लिये पैराशूटसे लेके गोला बारूद तक सब बनना । इसकी शुरुआत अंग्रेजों ने लगभग आजसे 300 साल पहले कोलकाता से की थी गन पाउडर बनाने के लिये । पर वक्त के साथ साथ ना  OFB quality दे पाई औऱ ना ही quantity । army की requirements OFB 40% ही पूरी कर पाती थीं । quality भी वक्त के साथ बत्तर होती जा रही थी, इतनी की नेपाल जैसे देशों ने इन्हें मुफ्त भी लेने से इंकार कर दिया था । यहाँ पर  problem lack of effiency से ज़्यादा lack of accountibilty भी थी । 

इंडिया टीवी को एक interview देते हुए एक्स OFB के एक्स  चेयरमैन हरि मोहन ने Army रिपार्ट के बारे में कहा था कि बताये गए एक्सीडेंट्स में से सिर्फ 19 % accidents faulty ammunition की वजह से हुए हैं और बाकी सारे स्टोरेज या फिर हैंडलिंग error की वजह से हो सकते हैं।  यहाँ ये समझना बहुत ज़रूरी हैं कि आर्मी की कोई भी प्रोसीडिंग्स बहुत सारी प्रोसेस से निकलती है और फिर कोई भी रिपोर्ट बनाई जाती । ऐसे में सिर्फ 19 % कहकर अपनी ज़िम्मेदारी से पीछा छुड़ा लेना कहा तक सही हैं। वो भी तब जब इससे पहले भी 2000 – 2016 के बीच बिठाई गई 5 commitee का भी यही कहना था कि ofb को corporatise करना बोहोत ज़रूरी हैं ।पर इस इंडस्ट्री के 70000 कर्मचारी इस फैसले के सख्त खिलाफ थे।

यहाँ सरकार ने सरहानीय काम करते हुए  Army रिपोर्ट के बाद तुरंत  ही एक्शन लेते हुए OFB की 41 फैक्ट्रीज को dissolve कर दिया  और 7 PSUs यानी कि पब्लिक सेक्टर यूनिट्स  खड़े किये । ताकि ammunation के प्रोडक्शन को बढ़ाकर एक्सपोर्ट भी किया जा सके और company की जवाबदेही अपने शेयर होल्डर्स की तरफ बढ़ सके। 

और ऐसा हुआ भी , DPSUs को बने आज 1 साल से ज़्यादा हो चुका है , और already company profitable है। इतना ही नही  आज इंडिया के पास एक्सपोर्ट के लिये ऑर्डर्स भी ready है । उम्मीद करते है कि PSUs की यह तरक्की बढ़ती रहे क्योंकि जब देश का कोई भी Jawan दुश्मन की जगह अपने ही देश की गोली से मरता है तो लहू उस देश की इज़्ज़त और आत्मसम्मान से निकलता है ।

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