Mount Everest की चढ़ाई हुई महंगी, विदेशियों को अब भरनी पड़ेगी 15 हज़ार डॉलर की फीस
एवरेस्ट की चोटी पर झंडा फहराना हर पर्वतारेही का सपना होता है लेकिन ये सपना अब जेब पर भारी पड़ेगा…क्योंकि नेपाल सरकार 2025 से इसकी फीस बढ़ाकर 15 हज़ार डॉलर करने वाली है…नेपाल सरकार ने दुनियाभर के पर्वतारोहियों को जानकारी देते हुए कहा कि साल 2025 से Mount Everest पर चढ़ने की इजाज़त लेने के लिए रॉयल्टी शुल्क को 4 हज़ार अमेरिकी डॉलर बढ़ाकर 15 हज़ार अमेरिकी डॉलर करने पर विचार कर रही है…शुल्क में ये बढ़ोतरी करके सरकार चढ़ाई के लिए कुलियों, श्रमिकों और गाइडों के इंश्योरेंस, सैलरी और दूसरी सुविधाओं को बेहतर बनाने का प्लान कर रही है…सरकार ने बताया कि काफी सारी एजेंसियों ने 2024 के लिए पहले से बुकिंग ले ली है…इसलिए उन्हें ये अतिरिक्त समय दिया जा रहा है…कैबिनेट की मंजूरी के बाद 2025 से नया शुल्क लागू कर दिया जाएगा…
आपको बता दें कि 8,848.86 मीटर ऊंचाई वाले दुनिया के सबसे ऊंचे पर्वत पर चढ़ने के इच्छुक विदेशी पर्वतारोहियों को 11 हज़ार अमेरिकी डॉलर का रॉयल्टी शुल्क देना पड़ता है…नेपाली पर्वतारोहियों को 75 हज़ार नेपाली रुपये शुल्क देना पड़ता है…इससे पहले नेपाल सरकार ने जनवरी 2015 में रॉयल्टी शुल्क में बढोतरी की थी…वर्तमान शुल्क की बात करें तो किसी भी विदेशी पर्वतारोही को 11 हज़ार अमेरिकी डॉलर के भुगतान पर साउथ फेस यानि नेपाल की ओर से माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने की अनुमति होती है…2015 से पहले समूह अभियानों में प्रति व्यक्ति 10 हज़ार अमेरिकी डॉलर का भुगतान करना होता था…हालांकि बाद में समूह प्रावधान हटा दिया गया और प्रति विदेशी पर्वतारोही 11 हज़ार अमेरिकी डॉलर का एक समान शुल्क लागू किया गया…
शुल्क बढ़ोतरी के साथ-साथ नेपाल सरकार कुछ दूसरे नियम भी लेकर आ रही है जिससे एवरेस्ट पर भीड़ कम होने के साथ-साथ आने-जाने वाले रास्ते में सफाई भी रहेगी…नेपाल सरकार चढ़ाई करा रही एजेंसियों के लिए पहाड़ में मरने वाले पर्वतारोहियों के शवों को निकालना अनिवार्य बनाने का भी एक नियम लेकर आ रही है…दरअसल बीमा होने के बावजूद ये एजेंसियां पहाड़ों में शवों को छोड़ देती थीं जिससे दूसरे पर्वतारोहियों को काफी परेशानी होती है…
इस साल की बात करें तो फरवरी में वसंत की चढ़ाई के दौरान 17 पर्वतारोहियों ने अपनी जान गंवा दी…वहीं 2014 के हिमस्खलन में भी 16 नेपाली शेरपा गाइडों की जान चली गई थी…इसके बाद अगले साल यानि 2015 में नेपाल में एक विनाशकारी भूकंप आया था जिससे एवरेस्ट बेस कैंप में हिमस्खलन हुआ था जिसमें 20 लोगों की मौत हो गई थी…
नेपाल सरकार शवों को लेकर ये नियम इसलिए ला रही है क्योंकि दुर्लभ वातावरण के खतरे के कारण ऊंचे शिविरों से शवों को निकालना महंगा और कठिन है…किसी शव को चोटी से नीचे लाने में 20 हज़ार अमेरिकी डॉलर से 2 लाख अमेरिकी डॉलर का खर्च आ सकता है…इसके अलावा नेपाल सरकार ने कहा कि चढ़ाई अभियान चलाने वाली विदेशी एजेंसियों को अपने लेन-देन और कारोबार को ऑफिशियल करना होगा…एवरेस्ट और दूसरी चोटियों पर चढ़ने के लिए विदेशी एजेंसियां अपने ग्राहकों से कितना शुल्क लेती हैं इसका फिलहाल कोई रिकॉर्ड नहीं है लेकिन अब उन्हें इसके बारे में पारदर्शी होना होगा और इसकी पूरी जानकारी नेपाल सरकार को देनी होगी…
#mounteverest #nepal #mountaineering #feerenewal #himalaya