Bodoland and Bathou Religion: A Glimpse into the Culture and Struggles of the Bodo People | AIRR News

HomeBlogBodoland and Bathou Religion: A Glimpse into the Culture and Struggles of...

Become a member

Get the best offers and updates relating to Liberty Case News.

― Advertisement ―

spot_img

भारत के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में असम के चार जिलों को मिलाकर बना बोडोलैंड एक स्वायत्त शासित क्षेत्र है, जिसमें बोडो और अन्य आदिवासी समुदाय रहते हैं। बोडोलैंड के लोगों का अपना एक पारंपरिक धर्म है, जिसे बथौ कहते हैं। बथौ धर्म में पांच तत्वों की पूजा की जाती है, और उनका प्रमुख देवता बथौबराई है। बोडोलैंड के लोगों की आवाज और अधिकारों के लिए कई वर्षों से संघर्ष चल रहा है, जिसमें हिंसा और शांति समझौते दोनों हुए हैं। इस साल के शुरुआत में, केंद्र सरकार ने बोडोलैंड के साथ एक नया समझौता किया, जिससे उन्हें अधिक स्वायत्तता और विकास का वादा किया गया। आज हम आपको बोडोलैंड और बथौ धर्म के बारे में बताने जा रहे है, जो असम की विविधता और संस्कृति का एक अभिन्न अंग हैं। नमस्कार, आप देख रहे हैं AIRR न्यूज।  – Bodoland and Bathou Religion

बोडोलैंड कोकराझार, चिरांग, बक्सा और उदालगुड़ी जिलों से मिलाकर बना है, जो ब्रह्मपुत्र नदी के उत्तरी किनारे पर भूटान और अरुणाचल प्रदेश के नीचे फैला है। इस क्षेत्र में बोडो के अलावा अन्य आदिवासी समुदाय भी रहते हैं, जैसे राबा, मिशिंग, देवरी, दिमासा, टी-ट्राइब्स आदि। बोडोलैंड का शासन एक निर्वाचित निकाय है, जिसे बोडोलैंड प्रशासनिक परिषद कहते हैं, जो 2003 में एक शांति समझौते के तहत बनी थी, और 2020 में एक और समझौते के बाद इसकी स्वायत्तता को और बढ़ाया गया।-Bodoland and Bathou Religion

आपको बता दे की बोडोलैंड के लोगों का अपना एक पारंपरिक धर्म है, जिसे बथौ कहते हैं। बथौ शब्द का अर्थ है पांच गहरे विचार, जो पांच तत्वों को दर्शाते हैं, जो हैं बार (वायु), सान (सूर्य), हा (पृथ्वी), ओर (अग्नि) और ओख्रांग (आकाश)। बथौ धर्म में इन पांच तत्वों की पूजा की जाती है, और उनका प्रमुख देवता बथौबराई या शिबराई है, जो सर्वशक्तिमान, सर्वज्ञ और सर्वव्यापी हैं। बथौ धर्म में किसी भी प्रतिमा की पूजा नहीं की जाती, बल्कि परमेश्वर की दिव्य गुणों को पांच तत्वों के माध्यम से प्रकट किया जाता है। 

हालाँकि बथौ धर्म के अनुयायी वर्ष में कई पर्व और त्योहार मनाते हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं बैसागु, दोमासी, आइरावती, और बथौबराई जात्रा। इन त्योहारों में लोग अपने देवताओं को चावल, फूल, फल, और अन्य वस्तुओं से अर्पण करते हैं, और अपनी संस्कृति को जीवंत रखने के लिए अपने पारंपरिक नृत्य, गीत, और वेशभूषा का प्रदर्शन करते हैं। बथौ धर्म के लोग अपने जीवन को सरल और शांतिपूर्ण बनाने के लिए बुद्ध की शिक्षाओं का भी पालन करते हैं, और अहिंसा, करुणा, और समता के मूल्यों को अपनाते हैं।

वैसे बोडोलैंड के लोगों का संघर्ष उनके अधिकारों और आवाज के लिए लंबा और कठिन रहा है। जो उन्होंने अपने अलग राज्य की मांग से शुरू किया था, लेकिन बाद में उन्होंने अपने क्षेत्र को स्वायत्त बनाने के लिए समझौते किए। इस दौरान, उन्हें कई बार हिंसा, आतंकवाद, और राजनीतिक दबाव का सामना करना पड़ा। इस साल के शुरुआत में, केंद्र सरकार ने बोडोलैंड के साथ एक नया समझौता किया, जिसमें उन्हें अधिक शक्तियां, विकास के अवसर, और शांति की आशा दी गई। इस समझौते से उम्मीद है कि बोडोलैंड के लोगों का जीवन बेहतर होगा, और वे अपनी संस्कृति और पहचान को सम्मानित करेंगे।

यह था बोडोलैंड और बथौ धर्म के बारे में हमारा विशेष कार्यक्रम। आशा है कि आपको यह कार्यक्रम पसंद आया होगा। अगली बार फिर मिलेंगे एक नए विषय के साथ। तब तक के लिए, नमस्कार।

Bodoland#Bathou Religion#Assam#Bodo People#Autonomous Region#Traditional Religion#Five Elements#Bathouborai#Struggle#Rights#Violence#Peace Agreements#Central Government#New Agreement#Autonomy#Development#Hope#Culture#Identity#बोडोलैंड#बथौ धर्म#असम#बोडो लोग#स्वायत्त क्षेत्र#पारंपरिक धर्म#पांच तत्व#बथौबराई#संघर्ष#अधिकार#हिंसा#शांति समझौते#केंद्र सरकार#नया समझौता#स्वायत्तता#विकास#आशा#संस्कृति#पहचान#AIRR न्यूज.

RATE NOW
wpChatIcon