छत्तीसगढ़ में छा गई बीजेपी.. Bhupesh का जादू नहीं चला
छत्तीसगढ़ के चुनाव परिणाम सबसे अधिक चौंकाने वाले रहा है..किसी ने सोचा भी नहीं होगा की Bhupesh Baghel के हांथ से छत्तीसगढ़ इतनी आसानी से निकल जाएगा.. छत्तीसगढ़ में भाजपा स्पष्ट बहुमत से सरकार बना रही है. अब लोगों के मन में कई तरह के सवाल उठ रहे होंगे की कांग्रेस क्यों हारी? भाजपा ने ऐसा क्या किया कि इतनी ज्यादा सीटें आईं? अब मुख्यमंत्री कौन होगा? नए सरकार का स्वरूप क्या होगा? तो हम आपको हर सवाल का जवाब देंगे.. Bhupesh सरकार ने सिर्फ किसानों की कर्जमाफ़ी पर भरोसा किया.. किसानों को धान की कीमत देने का वादा भाजपा ने भी कर दिया, बोनस देने की भी घोषणा कर दी, लेकिन सरकार बार-बार कर्जमाफी को दोहराती रही.. सरकार में भ्रष्टाचार ने भी असर डाला.. ठीक चुनाव से पहले मुख्यमंत्री Bhupesh Baghel पर 508 करोड़ महादेव सट्टा ऐप से लेने के आरोप लगे.. पीएससी घोटाले को भाजपा ने बड़ा मुद्दा बनाया..बड़े नेता ईडी के घेरे में आ गए, लेकिन सरकार आश्वस्त रही कि सरकार बनेगी..सरकार के खिलाफ एंटी इनकम्बेंसी थी। यही वजह है कि सरकार के 9 मंत्री हार गए.. आपको बता दें की दो महीने पहले तक भाजपा कहीं भी लड़ाई में नहीं थी.. प्रदेश संगठन ने बड़े मुद्दों को उस तरह नहीं उठाया, जैसे उठाया जाना चाहिए था..धरने, प्रदर्शन पांच साल तक गायब थे..ठीक एक साल पहले सामाजिक समीकरण के चलते प्रदेश अध्यक्ष बदला गया, लेकिन एक साल के भीतर भी कोई बड़ा आंदोलन खड़ा नहीं हुआ.. एक बात ये रही की भाजपा ने जातिगत और सामाजिक समीकरण का जो फॉर्मूला अपनाया, उसने काम किया और सरकार के खिलाफ स्वाभाविक एंटी इनकम्बेंसी जीत का कारण बनी…
वहीं सवाल ये है की बीजेपी में जीत का श्रेय किसे दिया जाना चाहिए.. निश्चित रूप से छत्तीसगढ़ में भाजपा की जीत का श्रेय अमित शाह, ओम माथुर और मनसुख मंडाविया को दिया जा सकता है.. तीनों ही नेता लगातार प्रदेश के दौरे करते रहे..संगठन को मथते रहे.सामाजिक समीकरणों के तहत टिकट बांटने का फॉर्मूला तय किया..इसका असर ये रहा कि एक दो जगह कमजोर प्रत्याशी देकर उस समाज का साथ बाकी सीटों पर हासिल किया..जैसे कसडोल में धीवर समाज से धनीराम धीवर को उतारा गया, जो हार गए, लेकिन इस समाज का समर्थन पूरे प्रदेश में मिला.. ऐसा कई सीटों पर हुआ..अब आपको बताते हैं की बीजेपी की जीत की सबसे बड़ी वजह क्या रही..दरअसल बीजेपी ने सामाजिक और जातिगत समीकरणों के तहत टिकट बांटे..नए और पुराने प्रत्याशियों का तालमेल रखा..47 नए प्रत्याशी उतारे, जिनमें से 30 जीतकर आए..साहू समाज एकतरफा भाजपा के पक्ष में दिखा..करीब 10 टिकट साहू समाज से दिए गए थे.. इसके बावजूद सबसे बड़ी वजह अंतिम समय में भाजपा का घोषणा पत्र आना है..कांग्रेस ने कर्जमाफी और धान खरीदी के जरिए किसानों को अपने पक्ष में किया तो भाजपा ने 21 क्विंटल धान एकमुश्त खरीदने का वादा किया..वहीं ट्रंप कार्ड साबित हुआ महिलाओं को 12 हजार देने की महतारी वंदन घोषणा.. अब सवाल हैं प्रदेश का मुख्यमंत्री कौन होगा .. जहां तक मुख्यमंत्री की बात है, तो भाजपा में पहला नाम डॉ. रमन सिंह का ही होगा.. इसके साथ ही आदिवासी चेहरे के रूप में विष्णुदेव साय और रामविचार नेताम भी बड़ा चेहरा हैं..अगर ओबीसी चेहरे की बात करें, तो प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव और धरमलाल कौशिक बड़े चेहरे हैं..हो सकता है कि संघ भी अपना कोई नाम भेजे..इधर, नेता प्रतिपक्ष के लिए चरणदास महंत और भूपेश बघेल का नाम पहली कतार में है..भूपेश बघेल ओबीसी के रूप में कांग्रेस के पास राष्ट्रीय चेहरा हैं, इसलिए हो सकता है कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस इसे भुनाना चाहे.. ख़ैर अभी बीजेपी के पास जश्न मनाने का समय है.. बीजेपी की मेहनत रंग लाई है.. या यूँ कहें की छत्तीसगढ़ में बीजेपी छा गई है..
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