हैं कि सेमीकंडक्टर क्या हैं और वे हमारे जीवन में कैसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं? क्या आप जानते हैं कि भारत के प्रधानमंत्री Narendra Modi ने भारत के सेमीकंडक्टर मिशन को आगे बढ़ाने के लिए तीन नए सेमीकंडक्टर यूनिट की स्थापना को मंजूरी दी है? क्या आप जानते हैं कि ये यूनिट भारत को इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने में कैसे मदद करेंगे? अगर नहीं, तो आपको इस वीडियो को जरूर देखना चाहिए, क्योंकि हम आपको इन सवालों के जवाब बताएंगे, और आपको भारत के सेमीकंडक्टर मिशन के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे। नमस्कार, आप देख रहे हैं AIRR न्यूज़।Big Step in India’s Semiconductor Mission
सेमीकंडक्टर वे पदार्थ हैं, जो विद्युत धारा को आंशिक रूप से चालित कर सकते हैं। ये पदार्थ इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों में बहुत उपयोगी होते हैं, क्योंकि वे विद्युत धारा को नियंत्रित करने, संचालित करने, संकेतों को संशोधित करने, और संगणकों को चलाने में मदद करते हैं। सेमीकंडक्टर के उदाहरण हैं सिलिकॉन, जर्मेनियम, गालियम आर्सेनाइड, आदि।Big Step in India’s Semiconductor Mission
सेमीकंडक्टर के छोटे-छोटे टुकड़े को चिप्स कहते हैं, जो इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसों में लगाए जाते हैं। चिप्स में लाखों या करोड़ों तक ट्रांजिस्टर होते हैं, जो विद्युत धारा को चालू या बंद करने वाले स्विच की तरह काम करते हैं। ट्रांजिस्टर के आकार को नैनोमीटर में मापा जाता है, जो एक मिलीमीटर का एक अरबवां हिस्सा होता है। ट्रांजिस्टर के आकार को कम करने से चिप्स में अधिक ट्रांजिस्टर लगाए जा सकते हैं, जिससे चिप्स की क्षमता और गुणवत्ता को टेक्नोलॉजी के रूप में जाना जाता है, जो चिप्स के निर्माण में इस्तेमाल किए जाने वाले ट्रांजिस्टर के आकार को दर्शाता है। टेक्नोलॉजी को नैनोमीटर में व्यक्त किया जाता है, जैसे कि 28 नैनोमीटर, 14 नैनोमीटर, 7 नैनोमीटर, आदि। टेक्नोलॉजी को कम करने से चिप्स में अधिक ट्रांजिस्टर फिट होते हैं, जिससे चिप्स अधिक शक्तिशाली, तेज, और ऊर्जा कुशल होते हैं।Big Step in India’s Semiconductor Mission
चिप्स का उपयोग विभिन्न प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों में किया जाता है, जैसे कि मोबाइल फोन, कंप्यूटर, टेबलेट, लैपटॉप, स्मार्ट वॉच, गेमिंग कंसोल, टीवी आदि। इन उत्पादों की डिमांड दुनिया भर में बढ़ती जा रही है, जिसके कारण सेमीकंडक्टर उद्योग में भी वृद्धि हो रही है।
भारत में भी इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों की खपत लगातार बढ़ रही है, जिसके लिए देश को विदेश से चिप्स आयात करनी पड़ती है। इससे देश को विदेशी मुद्रा को ज्यादा खर्च करना पड़ता है, जो देश की आत्मनिर्भरता को भी प्रभावित करता है। इसलिए, भारत को अपने देश में ही चिप्स बनाने की क्षमता विकसित करनी चाहिए, जिससे देश को इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने में मदद मिले।
इसी उद्देश्य के साथ, भारत सरकार ने भारत के सेमीकंडक्टर मिशन को शुरू किया है, जिसके तहत देश में चिप्स के निर्माण के लिए अनेक परियोजनाएं चलाई जा रही हैं। इनमें से तीन परियोजनाओं को हाल ही में प्रधानमंत्री Narendra Modi ने मंजूरी दी है, जो देश के सेमीकंडक्टर उद्योग को एक नया आयाम देंगी।
ये तीन परियोजनाएं कौन सी है ?
धोलेरा में टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स प्राइवेट लिमिटेड (TEPL) द्वारा एक सेमीकंडक्टर फैब की स्थापना, जिसमें ताइवान की पावरचिप सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कॉर्प (PSMC) के साथ साझेदारी होगी। इस परियोजना में 91,000 करोड़ रुपये का निवेश होगा, और इसमें 50,000 वेफर प्रति माह की क्षमता होगी। इस परियोजना में 28 नैनोमीटर की टेक्नोलॉजी के साथ उच्च प्रदर्शन के कंप्यूट चिप्स बनाए जाएंगे, जो इलेक्ट्रिक वाहनों, टेलीकॉम, रक्षा, ऑटोमोटिव, उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स, डिस्प्ले और पावर इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्रों में उपयोगी होंगे।
इसके अलावा दूसरी परियोजना मोरीगांव में टाटा सेमीकंडक्टर असेंबली और टेस्ट प्राइवेट लिमिटेड (TSAT) द्वारा एक सेमीकंडक्टर यूनिट की स्थापना करना है, जिसमें 27,000 करोड़ रुपये का निवेश होगा। इस यूनिट में 48 लाख प्रति दिन की उत्पादन क्षमता होगी, जो ऑटोमोटिव, इलेक्ट्रिक वाहनों, उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स, टेलीकॉम, मोबाइल फोन, आदि के क्षेत्रों में चिप्स बनाएगी।
तीसरी यूनिट सानंद में सीजी पावर, जापान की रेनेसास इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन, और थाईलैंड की स्टार्स माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स के साथ मिलकर एक सेमीकंडक्टर यूनिट की स्थापना करेंगे, जिसमें 7,600 करोड़ रुपये का निवेश होगा। इस यूनिट में 15 लाख प्रति दिन की क्षमता होगी, जो उपभोक्ता, औद्योगिक, ऑटोमोटिव, और पावर अनुप्रयोगों के लिए चिप्स बनाएगी।
इन तीन यूनिटों के साथ, भारत में सेमीकंडक्टर का पूरा पारिस्थितिकी तंत्र स्थापित हो जाएगा। भारत में पहले से ही चिप डिजाइन में गहरी क्षमताएं हैं। इन यूनिटों के साथ, हमारे देश में चिप फैब्रिकेशन की क्षमताएं भी विकसित होंगी। और भारत में उन्नत पैकेजिंग तकनीकें भी स्वदेशी रूप से विकसित होंगी।
इन यूनिटों से सीधे 20 हजार उन्नत प्रौद्योगिकी नौकरियां और लगभग 60 हजार परोक्ष नौकरियां पैदा होंगी। ये यूनिट ऑटोमोटिव, इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन, टेलीकॉम उत्पादन, औद्योगिक उत्पादन, और अन्य सेमीकंडक्टर उपभोगी उद्योगों में रोजगार की गति तेज करेंगे।
ये यूनिट भारत को एक स्थायी, स्वच्छ, और सतत ऊर्जा भविष्य की ओर ले जाएंगे, जिसमें नाभिकीय संलयन, एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
तो यह था हमारा आज का विशेष कार्यक्रम, जिसमें हमने आपको भारत के सेमीकंडक्टर मिशन के बारे में बताया। आशा है कि आपको यह जानकारी पसंद आई होगी, और आप इस विषय पर और अधिक जानना चाहेंगे। अगर आपके पास कोई सवाल या सुझाव हैं, तो आप हमें कमेंट बॉक्स में बता सकते हैं। हम आपके सवालों का जवाब देने का प्रयास करेंगे।
अगले वीडियो में हम आपको बताएंगे कि भारत के सेमीकंडक्टर मिशन का विश्व पर क्या प्रभाव पड़ेगा, और कैसे भारत इस क्षेत्र में एक नेतृत्व भूमिका निभा सकता है। तो बने रहिए हमारे साथ, और देखिए हमारा अगला वीडियो, जिसका शीर्षक है “भारत के सेमीकंडक्टर मिशन का विश्व पर प्रभाव: एक विश्लेषणात्मक रिपोर्ट”।
नमस्कार, आप देख रहे थे AIRR न्यूज़।
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