बांग्लादेश में भी नौकरी में आरक्षण के खिलाफ प्रदर्शन, पुलिस ने छात्रों पर चलाई गोलियां चलाई, 400 से ज्यादा घायल

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पूरी दुनिया में जॉब्स और बेरोजगारी के साथ-साथ नौकरी में आरक्षण जैसे मुद्दे पर जंग होना आम हो चला है…इसी को लेकर बांग्लादेश में सरकारी नौकरी में आरक्षण खत्म करने की मांग को लेकर देशभर में हिंसा फैल गई है…पुलिस के साथ हुई इस झड़प में 400 से ज्यादा लोग घायल हो गए…बांग्लादेश की यूनिवर्सिटीज में प्रदर्शन कर रहे स्टूडेंट्स पर पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े और लाठियां बरसाईं, जिसमें दर्जनों लोग घायल हो गए…हिंसा तब और ज्यादा भड़क गई जब 16 जुलाई को पुलिस की कार्रवाई के दौरान रंगपुर बेगम रोकेया यूनिवर्सिटी के एक 22 साल के स्टूडेंट अबू सईद की मौत हो गई…यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स का कहना है कि पुलिस ने उस पर गोली चलाई थी…जबकि पुलिस का कहना है कि उसने सिर्फ आंसू गैस के गोले दागे, गोली नहीं चलाई…-Bangladesh Reservation Protest

यहां पर सवाल ये उठता है कि जब हर ओर आरक्षण की मांग को लेकर प्रदर्शन हो रहे हैं वहां बांग्लादेश में सरकारी नौकरी में आरक्षण खत्म करने की मांग को लेकर इतना संग्राम क्यों मचा है…दरअसल एक हफ्ते पहले सुप्रीम कोर्ट ने नौकरी में आरक्षण पर रोक लगा दी थी…लेकिन प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इसे लागू नहीं किया है…हसीना सरकार का कहना है कि ये फैसला हमारे हाथों में है, और आरक्षण जारी रहेगा…जिसे खत्म करने की मांग पर पूरे देश में युनिवर्सिटी के छात्रों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है…-Bangladesh Reservation Protest

पुलिस ने ढाका यूनिवर्सिटी के बाहर स्टूडेंट्स पर जमकर लाठियां भांजी…इतना ही नहीं प्रधानमंत्री शेख हसीना समर्थक लोगों ने स्टूडेंट्स पर रॉड, डंडे और पत्थर से हमला कर दिया…ढाका में स्टूडेंट्स पुलिस की लाठियों से भागते हुए नजर आए…

ढाका यूनिवर्सिटी में 3 दिनों से हिंसा जारी है…इसमें सबसे ज्यादा छात्राएं घायल है…खुद को बचाने के लिए यूनिवर्सिटीज के स्टूडेंट्स ने पत्थर और लाठियों से पुलिस पर पलटवार किया…

इस साल जनवरी में हुए आम चुनाव के बाद ये पहली बार है जब देश में इतने बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हो रहे हैं…इन प्रदर्शनों को 1971 में बांग्लादेश को आजादी दिलाने वाले लोगों के बच्चे भी शामिल हैं…लोगों का कहना है कि हसीना सरकार ने उन लोगों को आरक्षण दिया है, जिनकी आमदनी ज्यादा है…ये लोग वे लोग है जिन्हें हसीना का वोटर्स माना जाता है…सरकार का कहना है कि विकलांग लोगों और अल्पसंख्यक समुदाय लोगों को नौकरी में 30% आरक्षण दिया गया था…

प्रदर्शन कर रहे स्टूडेंट्स की 5 मांगे हैं, आरक्षण 56% से घटाकर 10% किया जाए…अगर कोई आरक्षित सीटों से योग्य उम्मीदवार नहीं मिलता है तो भर्ती मेरिट लिस्ट से कि जाए…सभी के लिए एक समान परीक्षा हो…सभी उम्मीदवारों के लिए उम्र सामान हो…कोई भी उम्मीदवार एक बार से ज्यादा बार आरक्षण का इस्तेमाल ना करें…पूरे देश में पिछले तीन दिन से हिंसा जारी है…इस बीच हसीना के समर्थकों ने यूनिवर्सिटीज स्टूडेंट्स पर हमला कर दिया…यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स के मुताबिक हसीना समर्थक लोगों ने हमारे कैंपस पर रॉड, डंडे और पत्थर से हमला कर दिया और 150 लोग घायल हो गए, जिसमें 30 महिलाएं और 20 स्टूडेंट्स की हालत गंभीर है…

बांग्लादेश में आरक्षण खत्म करने की मांग को लेकर देशभर में हिंसा फैल गई है

क्या बांग्लादेश में छात्रों का प्रदर्शन थमने वाला नहीं है?
छात्रों की मांगे मानने के अलावा शेख हसीना के सामने दूसरा क्या विकल्प है?
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