The arrest of Newsclick Founders Prabir Purkayastha and Amit Chakravarti: The State of Journalism in India
न्यूज़क्लिक के संस्थापक प्रबीर पुरकायस्थ और अमित चक्रवर्ती की गिरफ्तारी: भारत में पत्रकारिता की स्थिति
“भारत में पत्रकारिता के क्या हालत है इस पर रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स द्वारा 2023 में अपनी ग्लोबल रैंकिंग में भारत को 142वें स्थान पर रखा है, जो कि 180 देशों में से एक है , जिसका सीधा सा मतलब निकलता है कि भारत में पत्रकारों की क्या स्थिति है और उन्हें अपना काम करने के लिए कितनी आजादी मिलती है।”
आज की हमारी ये वीडियो पत्रकारिता के इतिहास में इसी अध्याय पर आधारित है , जिसमे आज का मुद्दा है न्यूज़क्लिक के संस्थापक और मुख्य संपादक प्रबीर पुरकायस्था और उनके साथी अमित चक्रवर्ती के खिलाफ चल रहा एक आपराधिक मामला।
17 अगस्त, 2023 का वो दिन था जब दिल्ली पुलिस ने न्यूज़क्लिक के दफ्तर और और उसके संस्थापक प्रबीर के घर पर छापे मारे थे। और इस छापेमारी में उन्होंने उनके दफ्तर और घर से लैपटॉप, मोबाइल और अकाउंट और अन्य मामलो से जुड़े अन्य सामने की जब्ती की , इस मामले में पुलिस द्वारा कहा गया की ये सब जाँच के बाद सामने आएगा की इन बरमंद की गयी वस्तुओ से क्या जानकारी मिलती है, और प्राप्त हुई जानकारियों के आधार पर ही आगे की कार्यवाही की जाएगी। फ़िलहाल उस दिन किसी की भी गिरफ्तारी नहीं हुई।
इसके बाद 3 अक्टूबर 2023 को पुलिस ने फिर से पुरकायस्था और चक्रवर्ती से काफी देर तक पूछताछ के बाद दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया । आपको बता दे की उन पर UAPA की धारा 13 जो अवैध गतिविधियां पर लगती है , 16 जिसमे आतंकवाद संबंधित कार्य करने , 17 आतंकवादी गतिविधियों के लिए फंड जुटाना , 18 जिसमे षड्यंत्र रचने और 22 (C) कंपनियों या ट्रस्ट का आपराधिक गतिविधियों में इस्तेमाल करने के साथ-साथ भारतीय दंड संहिता की धारा 153A जिसमे अलग अलग समूहों या समुदायों के बीच दुश्मनी फैलाना और 120B पूर्व निर्धारित तरीके से आपराधिक षड्यंत्र करना जैसी धाराएँ लगाई गई थी ।
उनकी गिरफ्तारी के बाद 6 अक्टूबर को सीनियर वकील कपिल सिब्बल ने उसी दिन मामले को लिस्ट करने के लिए कोर्ट को कहा। कोर्ट में न्यूजक्लिक के मामले में गिरफ्तारी को अवैध रूप से और सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का उल्लंघन करके की गई बताया। जिसके बाद शुक्रवार को हुई सुनवाई में बेंच में शामिल संजीव नरूला ने इस मांग पर “ठीक है” कहकर सहमति जताई थी।
इससे पहले गुरुवार को दिल्ली की एक ट्रायल कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के 2016 के आदेश और दिल्ली हाई कोर्ट के 2010 वाले आदेश का हवाला देते हुए दिल्ली पुलिस को पुरकायस्थ और चक्रवर्ती को FIR की कॉपी देने को कहा था।
आपको बता दे की प्रबीर पुरकायस्थ और अमित चक्रवर्ती को मंगलवार के दिन दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने जब गिरफ्तार किया तो , पुलिस ने दिल्ली स्थित न्यूज़क्लिक के दफ्तर को भी सील कर दिया था ।
अगर हम पुलिस की माने तो न्यूज़क्लिक ने अमेरिका के जरिए चीन से अवैध रूप से 28 करोड़ रुपये का फंड प्राप्त किया है, जिसका उपयोग भारत की एकता, अखंडता, सुरक्षा और संप्रभुता को खतरे में डालने और देश को नुकसान पहुंचाने के लिए किया गया है। इसके साथ ही पुलिस ने यह भी कहा है कि न्यूज़क्लिक ने चीन के पक्ष में अपने पोर्टल पर विभिन्न लेख, वीडियो और रिपोर्ट अपने डिजिटल पोर्टल से प्रकाशित किए हैं, ये सब सामग्री वो थी जिसमे मौजूदा मोदी सरकार के साथ साथ भारत की आंतरिक और बाहरी नीतियों का विरोध किया गया था ।
उनकी इस गिरफ्तारी पर पुरकायस्था और चक्रवर्ती के वकीलों ने इन आरोपों को झूठा और निराधार बताया है, और कहा है कि यह एक बदले का कार्य है, जिसका उद्देश्य उनकी आज़ाद और निष्पक्ष पत्रकारिता को दबाना है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि Newsclick ने अपनी आय का सभी विवरण आयकर विभाग को दिया है, और उनके पास कोई चीन से संबंधित फंड नहीं है। Newsclick के अपने पोर्टल पर विविध विषयों पर निष्पक्ष और गहन रिपोर्टिंग करने का दावा करते हुए उन्होंने आगे कहा की उनके विषय देश की राजनीति, अर्थव्यवस्था, सामाजिक मुद्दे, विदेश नीति और अंतर्राष्ट्रीय मामले होते है ।
ताजा जानकारी के अनुसार पुरकायस्था और चक्रवर्ती को अभी तक जमानत नहीं मिली है, और वे 22 दिसंबर तक जेल में रहेंगे। उनके वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है, जिसमें उन्होंने अपनी गिरफ्तारी को अवैध और अनुचित बताया है, और उन्हें जमानत देने की मांग की है।
आपको बता दे की , यह केस भारत में पत्रकारों के खिलाफ बढ़ती हुई दमन की एक और मिसाल है, जिसका विरोध विभिन्न संगठनों, संस्थाओं और व्यक्तियों ने किया है। Newsclick के समर्थकों ने इसे एक अभियोग युक्त और अनुचित कार्रवाई कहा है, जिसका उद्देश्य एक स्वतंत्र और निष्पक्ष मीडिया को चुप कराना है।
इन केसों के अलावा भी भारत में पत्रकारों के खिलाफ कई और मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें उन्हें धमकी, उत्पीड़न, लाठीचार्ज, गिरफ्तारी, जेल और हत्या का सामना करना पड़ा है। इसके पीछे के कारणों में सरकारी दबाव, निजी मुद्दे, साम्प्रदायिक तनाव, नक्सलवाद और अपराधी तत्व शामिल हैं।
इस प्रकार, Newsclick के केस ने भारत में पत्रकारों के अधिकारों और स्वतंत्रता के बारे में एक गंभीर सवाल उठाया है, जिसका जवाब अभी तक नहीं मिला है। इस केस का आगे का निर्णय इस बात पर निर्भर करेगा कि क्या भारत में पत्रकारिता को एक लोकतंत्र का अभिन्न अंग माना जाएगा, या एक शत्रु का हथियार।
Newsclick, Prabir Purkayastha, Amit Chakravarti, Arrest, #indianJournalism #reporters #globalranking #UAPA #delhipolice #terrorism #criminalcase #china #america #delhi #highcourt #arrest #modigovernment #india #airrnews