पूर्व आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू को बुधवार को आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट ने तीन मामलों से जुड़े अग्रिम जमानत दे दी। इन मामलों में अंतर्गत रोड आईआरआर मामला, शराब नीति मामला और Sand Mining मामला शामिल हैं।
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यह एक ऐसा मामला है, जिसमें एन चंद्रबाबू नायडू पर रेत खनन के दौरान अवैध रूप से रेत बेचने और राज्य कोष को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया गया है। इस मामले में उनके साथी और एक मंत्री, जिन्हें भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तार किया गया था, भी शामिल हैं।
एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट (ईडी) ने तमिलनाडु में लगभग 30 स्थानों पर छापेमारी की थी, जिसमें त्रिची, नमक्कल, वेल्लोर और करुर जिलों में रेत खनन ठेकेदारों और मंत्री के सहयोगियों को निशाना बनाया गया था।
इस पर ईडी का कहना है कि इस अवैध रेत खनन से 4,730 करोड़ रुपये की आय हुई है, जबकि राज्य के जल संसाधन विभाग ने रेत खनन से मात्र 36 करोड़ रुपये की आय दर्ज की है।
आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट ने नायडू को अग्रिम जमानत देते हुए उन्हें जांच में सहयोग करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने उन्हें यह भी आदेश दिया है कि वे जनसभाओं और मीडिया प्लेटफॉर्मों पर मामले से जुड़े मामलों का उल्लेख न करें।
आपको बता दे कि इस मामले पर राज्य सरकार और राजनीतिक दलों के बीच तनाव बढ़ गया है। तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) ने ईडी के कार्रवाई को राजनीतिक बदले की साजिश बताया है और नायडू का पूरा समर्थन किया है। टीडीपी ने कहा है कि नायडू ने रेत खनन को नियमित बनाने के लिए ऑनलाइन बिक्री प्रणाली शुरू की थी, जिससे राज्य कोष को लाभ हुआ था।
इसके विपरीत, यूवा शक्ति पार्टी (वाईएसआरसीपी) ने नायडू को रेत माफिया का नेता बताया है और उन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। वाईएसआरसीपी के नेता और मुख्यमंत्री वाईएस जगनमोहन रेड्डी ने कहा है कि नायडू ने रेत खनन के दौरान राज्य को 1 लाख करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाया है।
बाकि इस मामले से स्पष्ट होता है कि रेत खनन एक गंभीर सामाजिक और पर्यावरणीय समस्या है, जिसका निगरानी और नियंत्रण करना जरूरी है। रेत खनन से नदियों, तटों और जलस्तर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। रेत खनन से जैव विविधता को खतरा होता है, जलवायु परिवर्तन को बढ़ावा मिलता है और बाढ़, तूफान और तटीय अवसादन की संभावना बढ़ जाती है।
इसलिए, रेत खनन को वैज्ञानिक तरीके से अनुमानित, नियमित और नियंत्रित करना चाहिए। रेत खनन के लिए उचित नियमों, नीतियों और प्रवर्तन की आवश्यकता है। रेत खनन के पर्यावरणीय प्रभावों का आकलन करना और रेत के टिकाऊ विकल्पों को बढ़ावा देना भी जरूरी है।
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