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Manipur सरकार ने इम्फाल पूर्व जिले के हट्टा कांगजेबुंग में ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ को शुरू करने के लिए अनुमति नहीं दी। यह यात्रा राहुल गांधी के नेतृत्व में 14 जनवरी से शुरू होने वाली थी, और 20 मार्च को मुंबई में समाप्त होने वाली थी। इस यात्रा का उद्देश्य देश की आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक समस्याओं को उजागर करना और न्याय की मांग करना है।
मणिपुर प्रदेश कांग्रेस कमेटी (MPCC) के अध्यक्ष केशम मेघाचंद्र ने इस फैसले को ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ बताया, और कहा कि यह लोगों के अधिकारों का उल्लंघन है। उन्होंने कहा, कि हमने मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह से मिलकर यात्रा को शुरू करने के लिए वेन्यू की अनुमति मांगी थी, लेकिन उन्होंने इसे मना कर दिया। उन्होंने कहा, कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। यह लोकतंत्र की हत्या और लोगों के अधिकारों का उल्लंघन है। प्रस्तावित वेन्यू एक सार्वजनिक मैदान भी है।
आपको बता दे कि इस यात्रा के दौरान, राहुल गांधी बसों और पैदल चलकर 6,713 किमी की दूरी तय करेंगे, और 110 जिलों, 100 लोकसभा सीटों और 337 विधानसभा क्षेत्रों को शामिल करेंगे। यह यात्रा 66 दिनों की होगी, और 20 मार्च को मुंबई में समाप्त होगी।
आपको बता दे कि मणिपुर में काफी दिनों से हिंसक माहौल बना हुआ है। राज्य में हुई हिंसा से मणिपुर के जन जीवन को प्रभावित किया है। इस हिंसा की जड़ एक न्यायालय के आदेश में छिपी है, जिसने मणिपुर के 18 जिलों में से 7 पहाड़ी जिलों को अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा दिया था। इस आदेश के विरोध में, मैतेई समुदाय ने 3 मई को ‘जनजातीय एकता मार्च’ निकाला, जिसमें उन्होंने कहा कि यह आदेश उनके अधिकारों और संस्कृति को खतरे में डालता है। उन्होंने यह भी कहा कि यह आदेश राज्य के भौगोलिक और जनगणना के आधार पर गलत है, क्योंकि मैतेई समुदाय राज्य की आबादी का 60 प्रतिशत है, जबकि पहाड़ी जनजातियां मात्र 40 प्रतिशत हैं।
इस मार्च के दौरान, कुछ लोगों ने हिंसा फैलाई, और सुरक्षाबलों से हथियार लूटे। इसके बाद, कुकी समुदाय ने भी इस आदेश का समर्थन करने के लिए प्रदर्शन किया, और कहा कि वे अपने जमीन और अधिकारों की रक्षा करेंगे। इस प्रक्रिया में, कई घरों और वाहनों को आग लगाई गई, और कई लोगों को मार डाला गया।
सरकार ने इस हिंसा को रोकने के लिए कई कदम उठाए। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 31 मई को मणिपुर का दौरा किया, और वहां के विभिन्न समुदायों और राजनीतिक दलों से मुलाकात की। उन्होंने शांति और सद्भाव की अपील की, और लोगों को अपने घरों में वापस आने का आश्वासन दिया। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार मणिपुर की शांति और समृद्धि के लिए प्रतिबद्ध है, और उन्हें शांति भंग करने वाली किसी भी गतिविधि से सख्ती से निपटने का निर्देश दिया।
आपको बता दे कि, राज्य सरकार ने इस हिंसा के पीड़ितों के लिए कई मुआवजे और राहत कार्यों का ऐलान भी किया। उन्होंने कहा कि हर मारे गए व्यक्ति के परिवार को 10 लाख रुपए का मुआवजा, एक सदस्य को नौकरी, और एक घर दिया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि चिन-कुकी-मिजो समुदाय को 15 दिनों में राजनीतिक समाधान का आश्वासन दिया गया है। उन्होंने अफवाह दूर करने के लिए बीएसएनएल की टेलीफोन लाइन को फिर शुरू करने का भी निर्णय लिया।
वैसे मणिपुर में जारी हिंसा एक गंभीर मुद्दा है, जिसका समाधान जल्द से जल्द निकालना चाहिए। इस हिंसा के पीछे के कारणों को समझने और उन्हें हल करने के लिए, सभी समुदायों और राजनीतिक दलों को एकजुट होकर काम करना होगा। सरकार का भी फर्ज है कि वह लोगों की सुरक्षा और न्याय की गारंटी दे, और उनके आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए कदम उठाए। हमें उम्मीद है कि मणिपुर में जल्द ही शांति और सद्भाव का वातावरण बनेगा, और लोग अपने जीवन को फिर से आनंदित करेंगे।
हमें उम्मीद है कि आपको मणिपुर की हालिया हिंसा और ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ के बारे में यह जानकारी उपयोगी लगी होगी। इसके साथ ही, हमें उम्मीद है कि आपने इन दोनों घटनाओं के बीच संबंध को समझने में सहायता मिली होगी।
अगले वीडियो में हम आपके साथ ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ के अन्य पहलुओं और उसके प्रभावों के बारे में और अधिक जानकारी साझा करेंगे। हम आपको इसके बारे में और गहराई से समझाएंगे कि कैसे यह यात्रा भारत की राजनीति और समाज को प्रभावित कर रही है। तो बने रहिए हमारे साथ AIRR न्यूज़ पर, और अगर आपने अभी तक हमें सब्सक्राइब नहीं किया है, तो कृपया सब्सक्राइब करें और बेल आइकन दबाएं, ताकि आपको हमारे नए वीडियो की सूचनाएं मिलती रहें। धन्यवाद, और हम मिलेंगे अगले वीडियो में। तब तक के लिए नमस्कार।
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