Adani Group Controversy: Unveiling the Truth Behind the Hindenburg Research Allegations | AIRR News Special Report

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Adani Group Controversy: Unveiling the Truth Behind the Hindenburg Research Allegations | AIRR News Special Report

Adani Group विवाद: हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोपों के पीछे की सच्चाई का खुलासा | एआईआरआर न्यूज विशेष रिपोर्ट

नमस्कार , आप देख रहे है AIRR न्यूज़ । 

Adani Group के खिलाफ एक अमेरिकी रिसर्च एजेंसी हिंडनबर्ग रिसर्च ने जून 2022 में एक रिपोर्ट जारी की थी, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि Adani Group ने अपने शेयरों की कीमत बढ़ाने के लिए एक साजिश रची है, जिसमें वे अपने ऑफशोर फंडों के माध्यम से अपने शेयरों को खरीदते और बेचते हैं। इस रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया था कि अडानी समूह के ऑफशोर फंडों के अंतिम लाभार्थी एक ही भारतीय नागरिक है। इस रिपोर्ट के बाद अडानी समूह के शेयरों में तेजी से गिरावट आई, और इससे छोटे निवेशकों को भारी नुकसान उठाना पड़ा।

इस आरोप के जवाब पर अडानी  समूह ने इसे बेबुनियाद और भ्रामक बताया, और अपने ऑफशोर फंडों की पारदर्शिता को साबित करने के लिए अपने ऑडिटरों के प्रमाण पत्र जारी किए। Adani Group ने यह भी कहा कि उनके ऑफशोर फंडों के अंतिम लाभार्थी विदेशी नागरिक हैं और किसी भी भारतीय से इसका कोई संबंध नहीं है। हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी समूह के इन दावों को खारिज किया, और अपनी रिपोर्ट को सत्यापित करने के लिए और अधिक सबूत पेश किए।

लेकिन ये विवाद ऐसे ही थमने वाला नहीं था ,आगे इस मामले को लेकर, कई याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की और अडानी समूह के खिलाफ जांच की मांग की।इस पर सुप्रीम कोर्ट ने भी भारतीय निवेशकों के हितों की सुरक्षा के लिए एक मजबूत नियामक तंत्र की जरूरत को लेकर चिंता जाहिर की और नियामक सुधारों का सुझाव देने के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन करने का प्रस्ताव किया। कोर्ट द्वारा गठित इस समिति में श्री ओपी भट्ट, जस्टिस जेपी देवधर, श्री केवी कामथ, श्री नंदन नीलेकणि, श्री सोमशेखर सुंदरेसन और जस्टिस अभय मनोहर सप्रे को शामिल किया गया, लेकिन इस समिति के गठन के बाद भी इस समिति और इसके कुछ सदस्यों की निष्पक्षता पर सवाल उठाए गए । उनपर ये आरोप लगाये गए कि समिति के कुछ सदस्यों के अडानी समूह के साथ सीधे संबंध हैं, और वे अडानी के हितों की रक्षा के लिए अपनी रिपोर्ट में भेदभाव करेंगे ।

आपको बता दे की इस समिति में शामिल ओपी भट्ट जिन्होंने अडानी समूह के शेयरों को बेचने का काम किया था और बाद में उन्हें अडानी समूह के बोर्ड में निदेशक के रूप में नियुक्त किया गया था। इसके अलावा केवी कामथ जो अडानी पावर लिमिटेड के बोर्ड में निदेशक के रूप में कार्य कर चुके थे और नंदन नीलेकणि वो व्यक्ति थे जिन्होंने खुद अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड के बोर्ड में निदेशक के रूप में काम करते हुए उनका एक डिजिटल प्लेटफॉर्म बनाने का प्रोजेक्ट भी पूरा किया था। बाकि एक और व्यक्ति जिन्होंने अडानी समूह को विदेशी निवेशकों से फंडिंग दिलाने वाले और बाद में अडानी ट्रांसमिशन लिमिटेड के बोर्ड में निदेशक के रूप काम करने वाले सोमशेखर सुंदरेसन की भूमिका वैसे भी संदेह के घेरे में आती है। 

याचिकाकर्ता ने कोर्ट से इन सदस्यों को समिति से हटाने की मांग की है और उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से निवेदन किया है कि वे एक नई समिति का गठन करें, जिसमें कोई भी अडानी समूह के साथ जुड़ा हुआ व्यक्ति न हो।लेकिन फिर भी इस पर कोई बदलाव नहीं किया गया। 

आपको बता दे की इस घटना का प्रभाव राजनीतिक और सामाजिक रूप से भी देखा गया है। विपक्षी दलों ने अडानी समूह के खिलाफ जोरदार हमला बोला है और उन्हें बड़े घोटाले का दोषी ठहराया है। उन्होंने केंद्र सरकार को भी अडानी समूह का साथ देने का आरोप लगाया है और उनकी इस्तीफा की मांग की है।

इसके अलावा, इस घटना से भारत के निवेशकों के बीच भी आशंका और असुरक्षा की भावना पैदा की है। इस रिपोर्ट के बाद अडानी समूह के शेयरों का मूल्य गिरता जा रहा है और उनके निवेशकों को लगातार नुकसान हो रहा है। इससे भारत के शेयर बाजार पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। सबसे बड़ी बात की इस घटना ने भारत के नियामक तंत्र की कमजोरी और असमर्थता को भी उजागर किया है।

अपनी घटती शाख से चिंतित , अडानी समूह का कहना है कि वे इस रिपोर्ट को पूरी तरह से नकारते हैं और वे अपनी पारदर्शिता और ईमानदारी पर पूरा भरोसा रखते हैं। वे सुप्रीम कोर्ट की समिति का सम्मान करते हैं और उनके साथ पूरी तरह से सहयोग करेंगे। वे अपने निवेशकों और ग्राहकों को आश्वस्त करते हैं कि वे उनके हितों की रक्षा करेंगे और उनके साथ न्याय करेंगे।

आपको बता दे की , यह एक बड़ा घोटाला है, जिसका अंतिम परिणाम अभी तक नहीं निकला है। इसके पीछे का सच क्या है, यह तो समय ही बताएगा। लेकिन इस घटना ने भारत के व्यापार और निवेश के क्षेत्र में एक नया मोड़ लाया है, जिसका प्रभाव लंबे समय तक देखा जा सकता है।

यह थी AIRR न्यूज़ की खास पेशकश, जिसमें हमने आपको अडानी समूह के खिलाफ हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट, सुप्रीम कोर्ट की समिति, विपक्ष का प्रतिक्रिया और इस घटना के प्रभाव के बारे में बताया है। आपको कैसा लगा ये वीडियो? हमें कमेंट में जरूर बताएं। और अगर आपने अभी तक हमारा चैनल सब्सक्राइब नहीं किया है, तो जल्दी से AIRR न्यूज़ को सब्सक्राइब करें और बेल आइकन को दबाएं, ताकि आपको हमारे नए वीडियो की सूचना मिलती रहे।

धन्यवाद।

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