Growing Relations between India and UAE: Pakistan’s Concern and Positive Development of India and UAE
भारत और यूएई के बीच बढ़ते रिश्ते: पाकिस्तान की चिंता और भारत-यूएई का सकारात्मक विकास
India and UAE के बीच द्विपक्षीय व्यापार दशकों से चल रहा है। अगर हम बात करे 1970 के दशक में तो अंतराल में केवल 18 करोड़ डॉलर प्रति वर्ष का कारोबार होता था। जबकि अब वही कारोबार वित्त वर्ष 2019-20 में 60 अरब डॉलर यानी 4.55 लाख करोड़ रुपये हो गया है। यूएई अब भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार बन गया है। भारत ने वर्ष 2019-20 में यूएई को 29 अरब डॉलर के सामानों का निर्यात किया था। यह उस वर्ष में दूसरा सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य भी है, जबकि इसी अवधि में भारत ने यूएई से 30 अरब डॉलर का आयात किया, उसमें 21.83 एमएमटी कच्चा तेल करीब 10.9 अरब डॉलर भी शामिल रहा। संयुक्त अरब अमीरात 18 अरब डॉलर के अनुमानित निवेश के साथ भारत में आठवां सबसे बड़ा निवेशक भी है।
इसके अलावा इंडो पैसिफिक क्षेत्र में चीन के आक्रामक रवैये को देखते हुए भी भारत और यूएई नजदीक आ रहे हैं। इस मुहिम को मजबूत करने के लिए भारत, इजरायल, यूएए और अमेरिका ने मिलकर I2U2 ग्रुप का गठन किया है, जिसे वेस्ट एशिया का क्वाड कहा जा रहा है। यह समूह पश्चिम एशिया में एकजुट होकर चीन की दबंगई को रोकना चाहता है। इसके साथ ही भारत, फ्रांस और यूएई की तिकड़ी भी इलाके में काम कर रही है, जिसका मकसद इलाके में आर्थिक-सामरिक संबंधों को नई ऊंचाई देना है। आपको बता दे की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जलवायु सम्मेलन COP-28 में , अपने दुबई पहुंचने पर सम्मेलन के आयोजक और संयुक्त अरब अमीरात के शासन प्रमुख मोहम्मद बिन जायेद अल नाह्यान से मुलाकात की और इस मुलाकात के दौरान दोनों नेता एक दूसरे के गले मिले और हाल-चाल पूछा। उनका इस तरह आत्मीय रूप से गले मिलना कोई पहली बार नहीं है। दोनों नेताओं की इस जबरदस्त बॉन्डिंग के साथ ही दोनों देशों के आर्थिक और सामरिक संबंध भी पहले से ज्यादा मजबूत होते जा रहे हैं। इन सबके प्रतिफल स्वरूप, भारत और यूएई के बीच संबंधों की गहराई और विविधीकरण हो रहा है, जो दोनों देशों के लिए सकारात्मक है। इसके विपरीत, पाकिस्तान की चिंता बढ़ती जा रही है, क्योंकि वह अपने आप को मुस्लिम दुनिया का नेता मानता है, लेकिन यूएई और अन्य गल्फ देशों ने उसे अपने आत्मीय संबंधों के लिए पूरी तरह से नकार दिया है। इसका प्रमुख कारण यह है कि यूएई और अन्य गल्फ देशों ने भारत के साथ अपने अधिक सामरिक और आर्थिक संबंध स्थापित करने का निर्णय लिया है। यूएई और अन्य गल्फ देशों ने भारत को एक विकासशील देश मानते हैं, जिसमें उन्हें निवेश करने के लिए बहुत सारे अवसर मिलते हैं। इसके अलावा, भारत और यूएई के बीच व्यापार और निवेश के क्षेत्र में भी बड़ी मात्रा में वृद्धि हुई है।
इसके विपरीत, पाकिस्तान के साथ उनके संबंध अधिकतर राजनीतिक और सामरिक मुद्दों के आधार पर हैं, जो उनके लिए अधिक जोखिम भरे हो सकते हैं। इसलिए, यूएई और अन्य गल्फ देशों ने भारत के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने का निर्णय लिया है, जो उनके लिए अधिक लाभकारी है। दूसरी तरफ पाकिस्तान का मानना है कि मुस्लिम मुल्क होने के नाते यूएई के संबंध पाकिस्तान से ज्यादा मजबूत होने चाहिए। हालांकि, यूएई ने पाकिस्तान की इस सोच को खारिज कर दिया है। इसलिए, जब भारत ने जम्मू और कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया, तो पाकिस्तान की विरोध के बावजूद यूएई ने उसका कोई साथ नहीं दिया।
इस प्रकार हम कह सकते है की , भारत और यूएई के बीच बढ़ते हुए संबधो पर पाकिस्तान की चिंता स्वाभाविक है , लेकिन यह भारत और यूएई के लिए एक सकारात्मक विकास है। इसके आगे, यह देखना रोचक होगा कि भारत और यूएई के बीच संबंध कैसे विकसित होते हैं और इसका प्रभाव पाकिस्तान पर कैसे पड़ता है।
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