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इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सोमवार को गौतम बुद्ध नगर की एक स्थानीय अदालत द्वारा राष्ट्रीय लोक दल के अध्यक्ष जयंत चौधरी के खिलाफ 2022 उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के दौरान मॉडल कोड और कोविड-19 नियमों का उल्लंघन करने के आरोप में शुरू की गई आपराधिक कार्रवाई को रोक दिया।
चौधरी, एक राज्यसभा सांसद, की याचिका पर सुनवाई करते हुए, न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने राज्य सरकार के वकील से चार हफ्ते के भीतर जवाब दायर करने को कहा। उच्च न्यायालय ने आवेदक के वकील को उसके बाद दो हफ्ते का समय दिया, ताकि वे पुनरावेदन हलफनामा दायर कर सकें।
अदालत ने इस मामले को अगली सुनवाई के लिए छह हफ्ते बाद सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया।
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2022 में ग्रेटर नोएदा के दादरी पुलिस पर पूर्व यूपी मुख्यमंत्री Akhilesh Yadav, आरएलडी प्रमुख चौधरी और अन्यों के खिलाफ भारतीय दण्ड संहिता और महामारी रोग अधिनियम के विभिन्न धाराओं के तहत एक एफआईआर दर्ज की गई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उन्होंने मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट और कोविड-19 नियमों का उल्लंघन किया। इसके बाद, 12 अक्टूबर, 2022 को उनके खिलाफ एक चार्जशीट दायर की गई थी।
सुनवाई के दौरान, चौधरी के वकील इमरान उल्लाह ने तर्क दिया कि आवेदक अखिलेश यादव के साथ थे, जिनके खिलाफ पूरी आपराधिक कार्रवाई को इसी अदालत की एक समान पीठ द्वारा पहले ही रोक दिया गया था।
उन्होंने आरोप लगाया कि उनके खिलाफ आपराधिक कार्रवाई अनुचित, अवैध और राजनीतिक रूप से प्रेरित है। उन्होंने कहा कि उन्होंने न तो मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट का उल्लंघन किया है और न ही कोविड-19 नियमों का। उन्होंने यह भी दावा किया कि उन्हें आरोपी बनाने के लिए कोई सबूत नहीं है और उनके खिलाफ चार्जशीट दायर करने का उद्देश्य उन्हें राजनीतिक रूप से बदनाम करना है।
उन्होंने अदालत से याचिका की कि उनके खिलाफ शुरू की गई आपराधिक कार्रवाई को निरस्त कर दिया जाए और उन्हें न्याय दिलाया जाए। उन्होंने यह भी याचिका की कि उनके खिलाफ दायर की गई एफआईआर और चार्जशीट को रद्द कर दिया जाए।
अदालत ने इस मामले को सुनते हुए राज्य सरकार को जवाब देने का मौका दिया और अगली सुनवाई के लिए तारीख तय की।
हाई कोर्ट का यह फैसला उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक नया मोड़ ला सकता है। जयंत चौधरी की पार्टी राष्ट्रीय लोक दल और अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी का गठबंधन पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा के खिलाफ एक मजबूत विकल्प बन सकता है। दोनों पार्टियों को जाट और मुस्लिम वोटरों का समर्थन मिलने की उम्मीद है।
जयंत चौधरी के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई को रोकने से उनकी पार्टी को राजनीतिक रूप से फायदा हो सकता है। उनकी पार्टी को किसान आंदोलन का लाभ मिल रहा है और उनके नेतृत्व में आरएलडी ने कई किसान महापंचायतों का आयोजन किया है। उनकी पार्टी को भाजपा के बागी विधायकों का भी समर्थन मिल रहा है।
अखिलेश यादव को भी जयंत चौधरी के साथ गठबंधन से राजनीतिक लाभ हो सकता है। उनकी पार्टी को पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आरएलडी के साथ मिलकर भाजपा को टक्कर देने का मौका मिल सकता है। उनकी पार्टी को इंडिया गठबंधन में कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल, जनता दल सेकुलर और अन्य छोटे-छोटे दलों का भी साथ मिल रहा है।
इस प्रकार, हाई कोर्ट का यह फैसला जयंत चौधरी और अखिलेश यादव के गठबंधन को एक नई ताकत दे सकता है और उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक नया दौर शुरू कर सकता है