Baba Ramdev: बाबा रामदेव का विवाद और सुप्रीम कोर्ट की फटकार
सच्चाई का खुलासा: बाबा रामदेव का विवाद और सुप्रीम कोर्ट की फटकार – हर भारतीय को अवश्य देखना चाहिए!
बाबा रामदेव, पतंजलि आयुर्वेद के संस्थापक और योग गुरु खुद को हमेशा विवादों में घिरे पाते है , खासकर उनकी आधुनिक चिकित्सा प्रणाली, खासकर एलोपैथी, की आलोचना या फिर अपने उत्पादों में इस्तेमाल किये जाने वाली सामग्री को लेकर।
आज की इस खास पेशकश में हम बात करेंगे बाबा रामदेव से जुड़े हुए पुराने विवाद और सुप्रीम कोर्ट द्वारा लगाई गयी उनपर फटकार पर।
तो चले शुरू करते है आज का ये जानकारी और ज्ञानवर्धक एपिसोड।
बाबा रामदेव ने मई 2021 में अपने दो उत्पादों कोरोनिल और स्वासारि वटी को कोरोना की कारगर दवा के रूप में पेश किया और इसके बाद अपने दावों पर उन्हें इंडियन मेडिकल एसोसिएशन और अन्य चिकित्सा संगठनों के विरोध सामना करना पड़ा , और इसी विवाद को लेकर, सुप्रीम कोर्ट ने रामदेव को 23 अगस्त 2023 को अन्य किसी भी चिकित्सा प्रणालियों की आलोचना नहीं करने का निर्देश दिया था
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने 23 अगस्त 2023 को योग गुरु बाबा रामदेव के खिलाफ सख़्त टिप्पणी की और उन्हें आधुनिक दवाओं और अन्य इलाज प्रणालियों की आलोचना नहीं करने का निर्देश दिया। इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने भी बाबा रामदेव को आयुर्वेद के बारे में भ्रामक दावे ना करने को कहा था ।
आपको बता दे की बाबा रामदेव के विवादित बयानों में से एक कोरोनिल के बारे में था, जिसे उनकी कंपनी पतंजलि आयुर्वेद ने कोविड-19 का इलाज के रूप में पेश किया था। उन्होंने दावा किया था कि यह दवा सात दिनों में कोरोना वायरस को ठीक कर देती है और इसे विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा प्रमाणित किया गया है। जबकि बाद में उनके इन दावों को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने खारिज कर दिया और उन्होंने बाबा रामदेव पर मानहानि का मुकदमा दायर किया। उन्होंने कहा कि बाबा रामदेव ने एलोपैथी को एक “बेवक़ूफ़ विज्ञान” चिकित्सा पद्धति बताया है और रेमडेसिविर, फेविफ्लू जैसी दवाओं और भारत के ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया द्वारा कोरोना के इलाज़ में प्रभावी प्रस्तावित दवाओं को कोविड -19 रोगियों के इलाज में विफल बताया था ।
इसके बाद रामदेव ने माफ़ी मांगी और अपना ब्यान वापिस ले लिया लेकिन बात यही पर ख़त्म नहीं हुई , इसके बाद भी आईएमए ने उनके ख़िलाफ़ आगे की कार्रवाई की मांग की और और आगे जाँच करने के लिए याचिका दायर की।
इसके बाद आया सुप्रीम कोर्ट का ये आदेश बाबा रामदेव के लिए एक बड़ा झटका था , क्योंकि उनकी कंपनी पतंजलि आयुर्वेद ने आयुर्वेदिक दवाओं के बाजार में एक बड़ा नाम बनाया हुआ है। अपने आयुर्वेदिक उत्पादों द्वारा कंपनी ने खुद को भारतीय परंपरा और संस्कृति से जोड़कर लोगों में अपनी पकड़ बनाई थी जो अब धूमिल होती नजर आ रही थी।
आपको बता दे की रामदेव के लिए ये बुरा वक़्त तब सुरु हुआ जब साल 2020 में अप्रैल महीने से कोरोना महामारी ने पुरे विश्व मे आतंक मचा दिया था , पूरी तरह से खुद को कैद पाते हुए भारतीयों के लिए किसी आस की जरुरत थी जो उन्हें कोरोना जैसी महामारी से बचा सके ऐसे में बाबा रामदेव ने अपने उत्पादों को कोरोना का इलाज बताकर लोगों को भरोसा दिलाने की कोशिश की, लेकिन उनके दावों को वैज्ञानिक आधार से साबित नहीं किया गया। इससे न केवल लोगों को गलत जानकारी मिली, बल्कि इससे आधुनिक चिकित्सा विज्ञान को भी नुकसान पंहुचा था।
इसी बीच बाबा रामदेव ने एक और ऐसा काम कर दिया जिसने उन्हें गुनहगारों की कतार में खड़ा कर गया बात मई 2021 की है जब अपने एक वीडियो में योग सिखाते सिखाते बाबा ने एलोपैथी को “बेवकूफ विज्ञान” और “दिवालिया साइंस” कहा था। साथ ही उन्होंने ये दावा भी किया कि रेमडेसिविर, फेविफ्लू जैसी दवाएं और भारत के ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया द्वारा अनुमोदित अन्य दवाएं कोविड -19 रोगियों के इलाज में विफल रही हैं। उन्होंने यह भी बताया था कि लाखों मरीज़ों की मौत एलोपैथिक दवाओं के कारण हुई हैं न कि ऑक्सीजन की कमी से। आपको बता दे की कोरोना की दूसरी लहर में साल 2021 में सबसे ज्यादा भारतीयों की मौत हुई थी जिसका ज्यादातर कारन ऑक्सीजन की कमी बताया गया था , बाबा का ये ब्यान मौजूदा केंद्र सरकार के लिए काफी फायदा देने वाला था , क्योंकि उस वक़्त केंद्र सरकार पर ये आरोप लगाए जा रहे थे की उनकी कमी की वजह से हॉस्पिटलों में ऑक्सीजन नहीं पहुंच पायी और ऑक्सीजन की कमी से मरीजों की जान डॉक्टर नहीं बचा पाए।
अब हम फिर मुददे पर आते है बाबा की ये वीडियो तमाम मेडिकल जगत के लिए हैरान करने वाली थी , इस वीडियो को देखकर, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने रामदेव की इस वीडियो में दी गयी टिप्पणी पर आपत्ति जताई और उन्हें माफी मांगने का आग्रह किया।एसोसिएशन ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन को भी पत्र लिखकर रामदेव के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने यह भी कहा कि रामदेव के बयान से जनता को भ्रमित किया जा रहा है और वह एलोपैथी दवाओं को बदनाम करने के लिए ऐसे ब्यान देकर जनता के मन में एलोपैथी दवाओं के लिए भरोसा ख़त्म कर रहे है।
इसके बाद बाबा रामदेव ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन को एक खुला पत्र लिखा और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन से एलोपैथी चिकित्सा पद्धति से संबंधित 25 सवाल अपने ट्विटर प्रोफाइल माध्यम से पूछे इस पत्र में लिखा था , “अगर एलोपैथी सभी शक्तिशाली और ‘सर्वगुण संपन्न’ है, तो डॉक्टरों को बीमार नहीं पड़ना चाहिए।”
बाबा रामदेव का ये पत्र काफी वायरल हुआ लेकिन बाद में रामदेव ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो के माध्यम से अपनी कही कथित टिप्पणी को वापस लेने और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन से माफी मांगने का ऐलान किया। जवाब में रामदेव ने कहा की “उनका उद्देश्य किसी को ठेस पहुंचाना नहीं था, बल्कि आयुर्वेद को बढ़ावा देना था।”
आगे उन्होंने ये भी कहा “वे एलोपैथी के लिए सम्मान का भाव रखते हैं और उसके चिकित्सा क्षेत्र में इसके योगदान को मानते भी हैं।”
मामला यही पर समाप्त होता नजर आ रहा था लेकिन रामदेव के माफीनामे के बाद भी इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने बाबा रामदेव के खिलाफ एक मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया और उन्हें 1000 करोड़ रुपये का हर्जाना देने को कहा। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने कहा अपने जवाब में कहा कि रामदेव की माफी काफी नहीं है और उन्होंने एलोपैथी के लिए अपमानजनक शब्दों का प्रयोग किया है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने यह भी कहा कि रामदेव के द्वारा बताई गई आयुर्वेदिक दवाएं कोविड-19 के इलाज के लिए वैज्ञानिक रूप से पूरी तरह से प्रमाणित नहीं हैं।
अब बात करते है इस मुकदमे की , सुप्रीम कोर्ट ने 23 अगस्त 2023 को रामदेव को अन्य चिकित्सा प्रणालियों की आलोचना नहीं करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा कि रामदेव को अपने बोले गए शब्दों का ध्यान रखना चाहिए और वह किसी भी चिकित्सा प्रणाली को बदनाम नहीं कर सकता। कोर्ट ने यह भी कहा कि रामदेव को अपने आयुर्वेदिक उत्पादों के बारे में भी सत्यापित और विश्वसनीय जानकारी देनी चाहिए।
बाबा रामदेव और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के बीच हुए इस विवाद ने भारत में चिकित्सा प्रणालियों के बीच एक टकराव को उजागर किया है। एलोपैथी और आयुर्वेद दोनों चिकित्सा पद्धति भारत में काफी सालो से इस्तेमाल की जाती रही है और जनता का दोनों ही प्रणालियो पर भरोसा रहा है लेकिन रामदेव के एक बयान ने एलोपैथी के डॉक्टरों को आहत किया है और उन्हें अपने पेशे के लिए अवमानित महसूस कराया है।
आपकी जानकारी के लिए बता दे की रामदेव के द्वारा बताई गई आयुर्वेदिक दवाईया जैसे “कोरोनिल और स्वासारि वटी” दोनों दवाईया कोविड-19 के इलाज के लिए वैज्ञानिक रूप से अभी तक प्रमाणित नहीं हुई हैं। लेकिन रामदेव ने अपने उत्पादों पर किये अपने दावों के समर्थन में कोई भी वैध अध्ययन या शोध को सार्वजानिक नहीं किया है।
Baba Ramdev का एक और झूठ जो उन्होंने अपने उत्पादों को विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा मान्यता प्राप्त बताया है, का खंडन विश्व स्वास्थ्य संगठन ने किया है और कहा है की वह किसी भी आयुर्वेदिक उत्पाद को कोविड-19 के लिए अनुमोदित नहीं करता है, चाहे वो रामदेव की कोरोनिल या स्वासारि वटी ही क्यों ना हो ।
भारतीय जनता जो Baba Ramdev के भारतीय संस्कृति से जुड़े हुए मानती थी के मन में भी इस विवाद ने एक भ्रम को पैदा कर किया , जो लोग Baba Ramdev के उत्पादों पर भरोसा करते हैं और उन्हें आयुर्वेद का एक चमत्कार मानते हैं। वे एलोपैथी के डॉक्टरों को भ्रष्ट और लालची समझने लगे और दूसरी ओर, कुछ लोग Baba Ramdev के उत्पादों को नकली और खतरनाक मानते थे । वे एलोपैथी की चिकित्सा पद्धति को विश्वसनीय समझते थे के बीच विरोधाभास और असहमति का माहौल बन गया जिसकी वजह से कोविड-19 के मरीजों का जीवन मुश्किलों में फस सकता था ।
तो दोस्तों ये थी आज की खास पेशकश जिसमे हमने आपको ये जानकारी दी कि Baba Ramdev और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के बीच का ये विवाद काफी पुराना है, जिसकी जड़े काफी गहरी है ,और विवाद से अलग जनता को भी अपने स्वास्थ्य के लिए जागरूक होना चाहिए और किसी भी चिकित्सा प्रणाली को किसी के कहने से ना ले बल्कि बीमारी से संबधित किसी एक्सपर्ट डॉक्टर से परामर्श लेकर ही इलाज़ कराये।
बाकि आयुर्वेदिक या अन्य चिकित्सा पद्धति के अपने तौर तरीके होते है जिनके अपने परहेज होते है या दवाई लेने का समय सारणी होती है जिसका पालन करना आवश्यक होता है।
तो आपको ये जानकारी कैसी लगी इस पर अपनी राय जरूर लिखिए।
बाकि आप जरूर बताये ऊपर बताये गए विवाद में कौन सही है कौन गलत ?
आज के लिए इतना ही।
“भारत के प्रसिद्ध योग गुरु और पतंजलि आयुर्वेद के संस्थापक Baba Ramdev के चारों ओर चल रहे विवाद को गहराई से जानने के लिए हमारे साथ बने रहिए। इस वीडियो में हम उनकी आलोचनाओं, उनके द्वारा बनाई गई दवाओं, और सुप्रीम कोर्ट द्वारा उनपर लगाई गई फटकार के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे। यह वीडियो हर भारतीय के लिए अनिवार्य है, जो अपने देश की स्वास्थ्य और आयुर्वेदिक उद्योग के बारे में अधिक जानना चाहता है।”
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धन्यवाद !
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