The Places of Worship Act 1991- Bharat ke Dharmik sathano ka sanrakshan

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The Places of Worship Act 1991- Bharat ke Dharmik sathano ka sanrakshan

पूजा स्थल अधिनियम, 1991: भारत की धार्मिक विरासत का संरक्षण

The Places of Worship Act, 1991, भारत में एक महत्तवपूर्ण कानून है जिसका उद्देशीय communal harmony बनाए रखना और देश की diverse religious heritage  को संरक्षित करना है। हाल ही में, भारत के supreme court  ने इस Act की validity के संबंध में मामले को स्थिर कर दिया, और केंद्र को अपनी स्थिति स्पष्ट करने के लिए 31 october , 2023 तक का समय दिया है। यह लेख इस Act से जुड़े historical background , objectives, controversies और भारत के पूजा स्थलों की सुरक्षा में इसके महत्व को दर्शाता है।

भारत का इतिहास diverse religious traditions  से भरा हुआ है, जो centuries से कई धर्मों के co – existence  को दर्शाता है। However , इस harmonious tapestry को कई बार political turmoil  और social unrest के दौरान चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। पूजा स्थलों को संभावित communal tensions से बचाने के लिए ऐसे समय में होने वाली violence और धार्मिक स्थलों के विनाश की घटनाओं के कारण उत्पन्न हुई।

The Place of Worship Act , 1991 में Indian Parliament संसद द्वारा अधिनियमित किया गया था, जिसका प्रथम उपदेश कुछ पूजा स्थलों के धार्मिक चरित्र को स्थिर करना था क्योंकि 15 अगस्त, 1947 को अस्तित्व में था, जब भारत को स्वतंत्रता मिली थी। यह act Babri  Masjid – Ram janamnhoomi विवाद के बाद religious structures को निशाना बनाने और नष्ट करने की प्रथा थी, क्योंकि काई घाटानो की आलोचना थी, जिसने देश में गहरा ध्रुवीकरण कर दिया था।

Act का उद्देश्य ये सुनिशचित करना था कि कोई भी religious structure , उसका historical significance, various communities की मान्यताएं और विश्वास की परवाह किए बिना, distruction , conversion या religious state में परिवर्तन के अधीन नहीं होंगे। 1947 में existed religious places स्थलों की यथास्थिति को संरक्षित करके, Act ने धार्मिक सद्भाव की रक्षा करने और विविध धर्मों के बीच mutual respect  की भावना को बढ़ावा देने की मांग की।

हालांकी पूजा स्थल का act communal harmony को बढ़ावा देने के लिए बनाया गया था, लेकिन यह criticism और controversies से अलग नहीं है। Main criticism में एक यही है कि act की last date 15 august , 1947, हमेशा historical realities  के अनुरूप नहीं हो सकती। ऐसे मामले सामने आए हैं जहां इस तारीख के बाद religious structures बनाए गए या बदल दिए गए,जिससे  various religious communities के बीच विवाद पैदा हो गया।

Despite the controversies , पूजा स्थल act भारत की धार्मिक विरासत को संरक्षित करने में महत्पूर्ण भूमिका निभाती है। यह अधिनियम religious communities  के पवित्र स्थान की सुरक्षा करके उनके peaceful co- existence  को बाधित करने के लिए एक सुरक्षा कवच के रूप में एक प्रयास के विरुद्ध कार्य करता है। हां भारत के संविधान में धर्मनिरपेक्षता को बरकरार रखा गया है और tolerance और inclusivity का एक शक्तिशाली संदेश भेजा गया है।

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