फ्रांसिस केली: वो महिला जिसने दवा की मंजूरी के इतिहास को बदल दिया

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कल्पना कीजिए कि एक महिला, जिसकी आँखों में न केवल साहस, बल्कि गहरी समझ भी थी, दुनिया की सबसे खतरनाक दवा को रोकने में सक्षम हो गई। 1960 में Frances Kelsey ने FDA में एक नई दवा, थालिडोमाइड, की समीक्षा की और उसकी सुरक्षा पर संदेह जताया। इस दवा को “सुरक्षित” माना जाता था, लेकिन Kelsey ने “आम लोगों की जान से खेलना” स्वीकार नहीं किया। उनके इस निर्णय ने मानो समय की धारा को मोड़ दिया और लाखों जिंदगियों को बचा लिया। इस कहानी में छिपी है एक महान नायक की दास्तान, जिसने अपने दृढ़ संकल्प और सच्चाई के साथ एक बड़े संकट को टाल दिया।

**Frances Kelsey का नाम दवा की दुनिया में एक खास जगह रखता है। जब 1960 में उन्हें FDA में एक नई दवा, थालिडोमाइड, की समीक्षा करने का मौका मिला, तब उन्होंने एक साहसी फैसला लिया। यह फैसला न केवल एक दवा की सुरक्षा के लिए था, बल्कि यह पूरे दवा उद्योग को बदलने वाला साबित हुआ।

थालिडोमाइड एक ऐसी दवा थी, जिसे पहले एक सिडेटिव (शांत करने वाली दवा) के रूप में विकसित किया गया था। इसे एंजाइटी और गर्भवती महिलाओं के मॉर्निंग सिकनेस के लिए इस्तेमाल किया जाने लगा। लोग इसे पूरी तरह से सुरक्षित समझते थे, लेकिन Frances को इसके दुष्प्रभावों के बारे में कुछ संदेह था।

जब Frances Kelsey ने थालिडोमाइड के लिए FDA में आवेदन पढ़ा, तो उन्होंने देखा कि कई रिपोर्टें इसके दुष्प्रभावों के बारे में चिंता जता रही थीं। खासकर, इंग्लैंड में की गई एक स्टडी में कुछ लोगों को पैर और हाथों में झुनझुनी जैसी समस्याएं आ रही थीं। इसके अलावा, गर्भावस्था के दौरान इस दवा के प्रभावों की कोई स्पष्ट जानकारी नहीं थी। इस वजह से Frances को चिंता हुई, और उन्होंने इसे मंजूरी देने से इनकार कर दिया।

यह एक कठिन निर्णय था, क्योंकि उस समय पूरी दुनिया थालिडोमाइड का इंतजार कर रही थी। लेकिन Frances ने अपनी आशंका के आधार पर इसे सुरक्षित नहीं माना। जैसे-जैसे समय बीता, उनकी सोच सही साबित हुई।

1961 में, ऑस्ट्रेलिया के डॉ. विलियम मैकब्राइड और जर्मनी के डॉ. विडुकुंड लेंज़ ने देखा कि कई बच्चे जन्मजात अंगों की कमी के साथ पैदा हो रहे हैं। जब उन्होंने इसकी जांच की, तो पाया कि इन बच्चों की माताएं थालिडोमाइड का सेवन कर रही थीं। इससे पूरी दुनिया में हड़कंप मच गया, और थालिडोमाइड को बाजार से हटा दिया गया।

Frances Kelsey का यह प्रयास न केवल अमेरिका को इस दवा के दुष्प्रभावों से बचाने में सफल रहा, बल्कि यह भी सुनिश्चित किया कि भविष्य में दवाओं को मंजूरी देने के लिए सख्त मानक स्थापित किए जाएं। इसी के चलते राष्ट्रपति जॉन एफ. कैनेडी ने उन्हें सम्मानित किया और FDA के दवा मंजूरी प्रक्रिया में कई सुधार किए गए।

अब हम समझते हैं कि दवाएं हमारे शरीर पर किस तरह से असर डालती हैं। जब हम कोई दवा लेते हैं, तो वह हमारे शरीर में कई तरीके से काम करती है। दवाएं आमतौर पर शरीर के विशिष्ट रिसेप्टर्स से जुड़ती हैं और उन पर प्रभाव डालती हैं। उदाहरण के लिए, कुछ दवाएं दर्द को कम करने के लिए मस्तिष्क में स्थित रिसेप्टर्स से जुड़ती हैं।

हर दवा का अपना खास तरीका होता है। अगर हम थालिडोमाइड की बात करें, तो यह एक तरह से कई रिसेप्टर्स को बाइंड करता है, जिससे शरीर के कुछ प्रोटीनों का असर कम होता है। लेकिन जैसे Frances ने कहा, यह जरूरी है कि हम जानें कि कौन से रिसेप्टर्स को प्रभावित किया जा रहा है।

Frances Kelsey का यह कदम हमें यह सिखाता है कि विज्ञान में सावधानी और मानक कितना जरूरी है। हर दवा की समीक्षा करते समय यह देखना जरूरी है कि वह हमारे शरीर पर किस तरह से असर डालती है। 

Frances Kelsey की कहानी हमें यह बताती है कि एक व्यक्ति के संकल्प से इतिहास कैसे बदल सकता है। उनकी कोशिशों ने अमेरिका में दवाओं के लिए सख्त मानकों का निर्माण किया, जिससे लाखों लोगों की जिंदगी बचाई जा सकी। उनका संघर्ष एक प्रेरणा है, जो हमें यह याद दिलाता है कि सही निर्णय लेने के लिए कभी-कभी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।

आज, जब भी हम किसी दवा का सेवन करते हैं, हमें यह जानना चाहिए कि वह हमारे शरीर पर किस तरह का प्रभाव डाल रही है। Frances Kelsey ने जिस साहस का परिचय दिया, वह हम सभी के लिए प्रेरणा है। उनका कार्य सिर्फ दवा के क्षेत्र में नहीं, बल्कि हर क्षेत्र में उचित निर्णय लेने की प्रेरणा देता है।

Frances Kelsey की कहानी आज भी लोगों के दिलों को छूती है और हमें सिखाती है कि कभी-कभी सही निर्णय लेने के लिए एक व्यक्ति की आवाज कितनी महत्वपूर्ण हो सकती है। यह हम सभी की जिम्मेदारी है कि हम इस सच्चाई के खिलाफ खड़े हों और समझें कि हर जीवन कीमती है। हमें हमेशा सुरक्षा को प्राथमिकता देनी चाहिए, ताकि भविष्य की पीढ़ियों को किसी तरह की समस्या का सामना न करना पड़े।

यही कहानी है Frances Kelsey की, जो हमें यह सिखाती है कि सच्चाई और सुरक्षा के लिए हमेशा खड़ा रहना चाहिए।

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