The Political Battle over Employment and Development Issues in Bihar”-Bihar Political Issues

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भारतीय राजनीति में चुनावों का महत्व हमेशा से ही रहा है। यह वह समय होता है जब राजनीतिक दल अपने-अपने एजेंडा और वादों के साथ जनता के सामने आते हैं और अपने किए गए कामों का हिसाब देते हैं। बिहार में भी ऐसा ही माहौल है, जहां रोजगार, विकास और सामाजिक न्याय के मुद्दे पर जनता की उम्मीदें और निराशाएं उभरकर सामने आ रही हैं। विशेषकर जब जनता ने 2019 के आम चुनावों में बीजेपी को 39 सीटें दीं और अब उनके वादों की पूर्ति न होने पर नाराज़गी व्यक्त की जा रही है।-Bihar Political Issues

राजनीति के इस संग्राम में राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और जनता दल (यू) के बीच रोजगार को लेकर एक क्रेडिट वार शुरू हो गया है। RJD की नेता और लालू प्रसाद यादव की सबसे बड़ी बेटी मीसा भारती ने यह दावा किया है कि पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने अपने कार्यकाल में पांच लाख सरकारी नौकरियों का वादा पूरा किया है। दूसरी ओर, बीजेपी और एनडीए पर वादों की पूर्ति न करने का आरोप लगाया जा रहा है।-Bihar Political Issues

क्या वाकई में एनडीए ने अपने वादों को पूरा नहीं किया? क्या तेजस्वी यादव ने बिहार की जनता को नौकरी का सपना साकार किया है? इन सवालों के जवाब खोजने के लिए हमें इस पूरे घटनाक्रम की गहराई से जांच करनी होगी।

नमस्कार, आप देख रहे हैं AIRR न्यूज़। 

बिहार में इस समय राजनीतिक माहौल गर्म है। RJD नेता मीसा भारती ने अपने अभियान में हर अवसर का उपयोग करते हुए यह याद दिलाया कि यह तेजस्वी यादव थे जिन्होंने उपमुख्यमंत्री के रूप में पांच लाख नौकरियों का वादा किया था और उसे पूरा भी किया। मीसा भारती ने यह भी कहा कि 2019 के आम चुनावों में लोगों ने बीजेपी को 39 सीटें दी थीं, विकास और नौकरियों की उम्मीद में। लेकिन, अब ये वादे अधूरे रह गए हैं और लोग प्रधानमंत्री से नाराज़ हैं।

मीसा भारती ने पाटलिपुत्र में अपने रोड शो और जनसभाओं में यह दावा किया कि ‘चाचा’ राम कृपाल यादव और एनडीए सरकार ने अपने वादों को पूरा नहीं किया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नौकरियों, स्थायी आवास, न्यूनतम समर्थन मूल्य और बिहार के लिए विशेष दर्जा का वादा किया था, लेकिन इनमें से एक भी वादा पूरा नहीं हुआ है। इसके विपरीत, तेजस्वी यादव ने पांच लाख सरकारी नौकरियां दी हैं, जिससे युवाओं में विशेष उत्साह है।

आपको बता दे कि 2019 के चुनावों में एनडीए को 40 में से 39 सीटें मिली थीं। लेकिन पिछले पांच वर्षों में क्या बदला है? मीसा भारती के अनुसार, लोग अब प्रधानमंत्री से नाराज़ हैं क्योंकि उनकी नौकरी की पात्रता बदल गई है और विकास के वादे अधूरे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि बिहार में पीने के पानी की समस्या अभी भी बनी हुई है और विकास के नाम पर कुछ नहीं हुआ है।

जातिगत जनगणना का मुद्दा भी चर्चा में है। लालू प्रसाद यादव ने इसे सबसे पहले उठाया था और जब वे राज्य सरकार में थे, तो 75 प्रतिशत आरक्षण को लागू किया था। बीजेपी पर आरोप है कि वे मुसलमानों के लिए आरक्षण चाहते हैं और देश को दो भागों में बांटना चाहते हैं। 

एनडीए पर परिवारवाद के आरोप का जवाब देते हुए मीसा भारती ने कहा कि उनके पिता की कर्मभूमि सारण रही है और यदि वहां के विधायक मांग करते हैं कि परिवार का कोई सदस्य चुनाव लड़े, तो वे ऐसा करेंगे। उन्होंने उन नेताओं पर निशाना साधा जिन्होंने परिवार के सदस्यों को चुनाव में उतारा है, जैसे जमुई से चिराग पासवान के जीजा अरुण भारती और नबादा से सीपी ठाकुर के बेटे विवेक ठाकुर।

मीसा भारती ने यह भी कहा कि उनके परिवार के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप न्यायपालिका में हैं और न्याय का इंतजार है। लेकिन, एनडीए के नेताओं पर भी भ्रष्टाचार के आरोप हैं, जिन्हें लेकर कोई कार्रवाई नहीं होती।

वैसे बिहार में रोजगार और विकास के मुद्दे पर चल रही इस राजनीतिक जंग में कई तथ्य सामने आते हैं। मीसा भारती का दावा है कि तेजस्वी यादव ने अपने कार्यकाल में पांच लाख नौकरियों का वादा पूरा किया। यह एक महत्वपूर्ण दावा है और इसे सत्यापित करना आवश्यक है। दूसरी ओर, एनडीए सरकार के वादों की पूर्ति न होने का आरोप लगाया जा रहा है। 

आपको बता दे कि 2019 के आम चुनावों में एनडीए को बिहार में भारी जीत मिली थी। लेकिन, पिछले पांच वर्षों में रोजगार और विकास के वादों की पूर्ति न होने से जनता में नाराज़गी बढ़ी है। मीसा भारती के रोड शो और जनसभाओं में जनता का उत्साह और समर्थन इस नाराज़गी का प्रत्यक्ष प्रमाण है। 

मीसा भारती और तेजस्वी यादव ने अपने राजनीतिक करियर में महत्वपूर्ण स्थान बनाया है। तेजस्वी यादव की छवि एक युवा और ऊर्जावान नेता की है, जिन्होंने रोजगार और सामाजिक न्याय के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया है। मीसा भारती ने अपने भाषणों में तेजस्वी के कार्यों को प्रमुखता से उठाया है। दूसरी ओर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और एनडीए सरकार पर विकास के वादों को पूरा न करने के आरोप लगाए जा रहे हैं।

वैसे बिहार में रोजगार और विकास का मुद्दा हमेशा से ही चुनावी राजनीति का केंद्र रहा है। लालू प्रसाद यादव ने अपने समय में सामाजिक न्याय और आरक्षण के मुद्दों को प्रमुखता से उठाया था। वर्तमान में, यह मुद्दा फिर से चर्चा में है और राजनीतिक दलों के बीच तनाव का कारण बना हुआ है।-Bihar Political Issues

इस घटनाक्रम का प्रभाव बिहार की जनता और चुनावी परिणामों पर महत्वपूर्ण हो सकता है। यदि जनता एनडीए सरकार से नाराज़ है और रोजगार और विकास के मुद्दों पर उनकी विफलता को स्वीकार करती है, तो आगामी चुनावों में इसका असर देखने को मिल सकता है। दूसरी ओर, तेजस्वी यादव और मीसा भारती के दावों का समर्थन करने वाली जनता के बीच उनका प्रभाव बढ़ सकता है।

तो इस तरह हम मान सकते है कि बिहार में रोजगार और विकास के मुद्दे पर चल रही यह राजनीतिक जंग आगामी चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। मीसा भारती और तेजस्वी यादव के दावे और एनडीए सरकार पर लगाए गए आरोप जनता की धारणाओं को प्रभावित कर सकते हैं। यह आवश्यक है कि राजनीतिक दल अपने वादों को पूरा करें और जनता की उम्मीदों पर खरा उतरें।

नमस्कार आप देख रहे थे AIRR न्यूज़।

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