यूपी की 80 सीट जीत पाना कितना मुश्किल?  india alliance किन सीटों पर खड़ी कर सकता है मुसीबत

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दिल्ली का रास्ता यूपी से होकर जाता है-Political conflict on 80 seats in up

india alliance कई सीटों पर खड़ी कर सकता है मुश्किलें

बीजेपी के लिए इस बार राह नहीं आसान

अमेठी, रायबरेली समेत कई सीटें हाई प्रोफाइल

सपा ने कई सीटों पर बदले प्रत्याशी

मैनपुरी सीट पर भी सभी की नजर

मेरठ में सपा ने बदला प्रत्याशी

दिल्ली का रास्ता यूपी से होकर जाता है। यूपी की 80 की 80 सीट जीतने का लक्ष्य बीजेपी ने रखा है। हालांकि india alliance के बाद यूपी में क्लीन स्वीप कर पाना इतना आसान नहीं होगा। इस बार बीजेपी को अपनी जीती हुई सीट बचाने में भी मुश्किल होगी। वहीं 2019 में हारी सीटें जीतना एक बड़ी चुनौती रहने वाली है। हालांकि बीजेपी भी अपने काम और मोदी-योगी के नाम पर पूरी दमखम से जुटी हुई है। वहीं इस चुनाव में यूपी की कई सीटों पर क्रिकेट मैच के फाइनल की तरह करो या मरो जैसी स्थिति रहने वाली है। इस बार जो चुनावी रण में लड़ेंगा वही जीतेगा। लहर के भरोसे चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों को कड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है.. अब आपको उन सीटों के बारे में बताते हैं जहां दिलचस्प मुकाबला हो सकता है. -Political conflict on 80 seats in up

बात अगर यूपी की सबसे हॉट सीट या कांटे की टक्कर वाली सीट की करें तो पहला नाम अमेठी सीट हो सकती है। अमेठी लोकसभा सीट पर उसी स्थिति में मुकाबला कांटे का होने की संभावना है, जब कांग्रेस नेता राहुल गांधी अमेठी से चुनाव लड़े। अमेठी कांग्रेस का गढ़ रहा है और 2019 के चुनाव में अमेठी से राहुल गांधी चुनाव हार गए थे। उधर, बीजेपी ने मौजूदा सांसद और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को उम्मीदवार बनाया है। हाल ये है कि कांग्रेस अभी तक उम्मीदवार की घोषणा तक नहीं कर पाई है।-Political conflict on 80 seats in up

चर्चा है कि सोनिया गांधी के दामाद और प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा अमेठी से चुनाव लड़ सकते हैं। रॉबर्ट वाड्रा के चुनाव लड़ने पर भी मुकाबला करो या मरो वाला हो जाएगा.. बात रायबरेली की करते हैं.. रायबरेली सीट कांग्रेस का अभेद्य किला रहा है। मोदी लहर के बावजूद बीजेपी 2014 और 2019 के चुनाव में कांग्रेस के इस किले को भेद नहीं पाई थी।

इस बार सोनिया गांधी चुनाव नहीं लड़ रही है। कांग्रेस से चुनाव कौन लड़ेगा, अभी संशय बना हुआ है। अगर गांधी परिवार का कोई भी सदस्य चुनाव लड़ता है तो ये सीट कांग्रेस आसानी से जीत सकती है। अगर किसी अन्य को टिकट मिलता है तो कांग्रेस के लिए रायबरेली बचाना मुश्किल हो जाएगा। चुनाव इतना कांटे का हो जाएगा, जिस पर नतीजे आने से पहले कुछ भी कह पाना किसी के लिए मुश्किल होगा। प्रियंका गांधी के चुनाव लड़ने की चर्चा है। अगर प्रियंका चुनाव लड़ी तो कांग्रेस का रास्ता साफ हो जाएगा।

बीजेपी के मिशन 80 पर प्रियंका पानी फेर सकती है…वहीं सपा का गढ़ मानी जाने वाली मैनपुरी सीट पर अगर बीजेपी नेताजी मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव को टिकट देती है तो उस स्थिति में चुनाव कांटे का होने की संभावना है। वरना इस सीट पर हुए उपचुनाव के नतीजों से साफ-साफ संकेत है कि इस बार भी नतीजे सपा के पक्ष में आएंगे। डिंपल यादव आसानी से चुनाव जीत जाएंगी। अपर्णा चुनाव लड़ी तो लड़ाई बेहद रोमाचंक होगी, उस स्थिति में जीत हार का आंकलन कर पाना बहुत मुश्किल होगा। ऐसे ही कन्नौज सीट से सपा मुखिया अखिलेश यादव के चुनाव लड़ने पर ही मुकाबला जैसी स्थिति होगी। वरना बीजेपी के सुब्रत पाठक कमल खिला देंगे. बदायूं सीट पर भी इस बार कड़ा मुकाबला होने के आसार है।

सपा ने कद्दावर नेता शिवपाल यादव को टिकट दिया है, जबकि बीजेपी ने मौजूदा सांसद संघमित्रा मौर्य का टिकट काट दिया है। इस बार बीजेपी के दुर्विजय शाक्य की टक्कर शिवपाल यादव से होगी। हालांकि शिवपाल यादव अपने बेटे आदित्य को चुनाव लड़ाना चाहते हैं। अगर आदित्य चुनाव लड़े तो उस स्थिति में बदायूं सीट पर रोमांचक मुकाबला होगा। आखिरी समय तक कुछ भी कह पाना संभव नहीं होगा। उधर घोषी सीट पर भी मुकाबला करो या मरो वाला होने वाला है। वहीं आजमगढ़ सीट पर भी सपा ने धर्मेंद्र यादव को उतार कर दिनेश लाल निरहुआ को कड़ी टक्कर दे दी है। सपा का गढ़ रही इस सीट पर भी कांटे की टक्कर हों सकती है…

घोषी सीट बीजेपी के सहयोगी दल सुभासपा के खाते में गई है। सुभासपा से डॉ. अरविंद राजभर उम्मीदवार बनाए गए है। सपा ने राजीव राय को प्रत्याशी बनाया है। घोषी में राजभर का विरोध होने की बाते आ रही है। हाल ही में घोषी विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में ओपी राजभर के दिन रात एक करने के बाद भी बीजेपी उम्मीदवार दारा सिंह चौहान जीत नहीं पाए थे। ऐसे में इस सीट पर बीजेपी के लिए राहें आसान नहीं होंगी.. वहीं मेरठ और मुरादाबाद सीट पर सपा के उम्मीदवार बदलने के कारण दोनों सीट पर कांटे की टक्कर होने की संभावना है। मुरादाबाद में मौजूदा सांसद एसटी हसन का टिकट कटने के बाद से ये सीट भी हॉट सीट बन गई है।

यहां से सपा ने एसटी हसन का टिकट काटकर आजम खान की करीबी मानी जाने वाली रुचि वीरा को उम्मीदवार बनाया है, जबकि बीजेपी ने कुंवर सर्वेश कुमार सिंह कैंडिडेट घोषित किया है। बसपा ने इरफान सैफी को प्रत्याशी बनाया है। इस सीट पर जिसके साथ मुस्लिम जाएगा उसकी जीत हो सकती है.. मेरठ में भानु प्रताप सिंह के बाद विधायक अतुल प्रधान का भी सपा ने टिकट काट दिया है। अब पूर्व विधायक योगेश वर्मा की पत्नी सुनीता उम्मीदवार बनाई गई है। अब मुरादाबाद सीट पर एसटी हसन और मेरठ पर अतुल प्रधान की भूमिका सपा की जीत हार पर बहुत कुछ निर्भर करेगा..

उधर सपा के कद्दावर नेता आजम खान के प्रभाव वाली रामपुर सीट पर भी इस बार मुकाबला एकतरफा नहीं होने वाला है. उपचुनाव में बीजेपी ने कब्जा जमा लिया है। वहीं आजम की नाराजगी सपा को भारी पड़ सकती है, क्योंकि सपा ने इस बार जिसको टिकट दिया है, उसको आजम की नहीं बल्कि अखिलेश की मर्जी से टिकट मिला है। आजम ने बगवात की तो सपा उम्मीदवार मोहिबुल्लाह नदवी की मुश्किलें बढ़ जाएंगी। बीजेपी ने घनश्याम सिंह लोधी पर ही दांव खेला है। वहीं बसपा ने भी मुस्लिम कैंडिडेट उतारा है। बसपा ने जीशान खान को उम्मीदवार बनाया है। संभल सीट से बीजेपी ने परमेश्वर लाल सैनी को प्रत्याशी बनाया है।

सपा ने जिया उर रहमान बर्क और बसपा ने शौकत अली को कैंडिडेट घोषित किया है। 2019 में इस सीट पर सपा के शफीकुर रहमान बर्क चुनाव जीते थे। इस सीट पर भी कड़ा मुकाबला हो सकता है.. यानी हर सीट पर कांटे की टक्कर है.. खासकर वो सीटें जिनका हमने जिक्र किया.. ऐसे में यूपी के रण का सिकंदर कौन होगा.. इसका इंतजार जल्द खत्म हो जाएगा… ऐसी ही और सियासी खबरों के लिए आप जुड़े रहिए AIRR NEWS के साथ..


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