दोस्तों आप सोच रहे होंगे कि यह हॉलीवुड मूवी अवतार या फिर स्टार ट्रेक के सेट से लिया गया चित्र है। लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं है, दरअसल 20 फीट लंबे यह विचित्र पौधे प्रागैतिहासिक (Pre-Historic) काल के हैं जिन्हें ग्राउंडसेल्स के रूप में जाना जाता है। बता दें कि ये प्रीहिस्टोरिक प्लान्ट्स अफ्रीका के तंजानिया में माउंट किलिमंजारों के शीर्ष पर पाए जाते हैं।
अफ्रीका के तंजानिया में स्थित सबसे ऊँचे पर्वत शिखर के रूप में माउंट किलिमंजारो अपने आप में बहुत उत्कृष्ट है। किलिमंजारो पर्वत दुनिया का सबसे ऊंचा मुक्त-खड़ा पर्वत है और साथ ही साथ विश्व का चौथा सबसे उभरा पर्वत है जो आधार से 5,882 मीटर या 19,298 फीट ऊंचा है।
माउंट किलिमंजारों की उंचाई, निम्न तापमान और सामयिक तेज़ हवाएं इसे एक कठिन और खतरनाक चढ़ाई बना देती हैं। हांलाकि यह पर्वतशिखर विशेषरूप से अपने दुलर्भ प्रजाति के पौधों के लिए जाना जाता है, जो लगभग कहीं और नहीं पाए जाते हैं।
जी हां, दोस्तों उन दुर्लभ प्रजातियों में से एक विशालकाय ग्राउंडसेल प्रजाति का नाम डेंड्रोसेनियो किलिमंजरी (Dendrosenecio kilimanjari ) है। यह ग्राउंडसेल दूर से ऐसा प्रतीत होता है जैसे किसी जले हुए कैक्टस पर अनानास के फल लगे हुए हैं। एलियन की तरह दिखने वाले ये विशालकाय पौधे तकरीबन 14000 फीट की ऊंचाई पर स्थित केवल माउंट किलिमंजारों पर ही पाए जा सकते हैं।
आपको यह बात जानकर हैरानी होगी कि मांउटकिलिमंजारों पर रात के समय का तापमान नियमित रूप से हिमांक से नीचे (तकरीबन माइनस 15 डिग्री तापमान) चला जाता है। ऐसे में दुर्लभ प्रजाति के ग्राउन्डसेल्स यानि डेंड्रोसेनियो किलिमंजरी अपने तने के गूदे में जल संग्रहित करने की क्षमता विकसित कर चुके हैं जिससे जैसे ही तापमान कम होता है तो इनकी पत्तियां स्वत: बंद हो जाती हैं। ऐसे में किलिमंजारों पर्वत शिखर पर ग्राउन्डसेल्स कुछ अजीब से दिखते हैं।
माउंटकिलिमंजारों पर ग्राउंडसेल्स की कई दुर्लभ प्रजातियां पाई जाती हैं। लेकिन एक अनुमान के मुताबिक ये सभी दुर्लभ प्रजाति के विशालकाय ग्राउन्डसेल्स लगभग 1000 साल पहले कॉमन ग्राउंडसेल से विकसित हुए थे। इन विशालकाय ग्राउंडसेल की लंबाई सामान्यतया 10 फीट से लेकर 20 फीट या उससे भी अधिक होती है।
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