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भारत के ईवी (EV) उद्योग में विदेशी कंपनियों को निवेश क्यों करना चाहिए?  

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विकास की कई संभावनाओं के मद्देनजर विदेशी निवेशकों की बढ़ती दिलचस्पी के साथ भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक के रूप में उभरा है।  वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2023-24 में भारत की जीडीपी ग्रोथ तकरीबन 6.3 फीसदी रहेगी। 

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मजबूत होती भारतीय अर्थव्यस्था ने कई औद्योगिक क्षेत्रों के आगे बढ़ने का मार्ग प्रशस्त किया है, इनमें इलेक्ट्रिव व्हीकल्स इं​डस्ट्री भी कोई अपवाद नहीं है। इंडिया ब्रांड इक्विटी फाउंडेशन (IBEF) के मुताबिक भारतीय अर्थव्यवस्था में ऑटो सेक्टर का एक बड़ा योगदान रहा है। दरअसल यह देश के कुल जीडीपी यानि सकल घरेलू उत्पाद का 6.4 फीसद है।

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बता दें कि दुनिया की अर्थव्यवस्थाएं जिस तरह से क्लाइमेट चेंजेज के दबाव में काम कर रही हैं, भारत भी इस मामले को गंभीरता से ले रहा है और देश में ईवी के विकास को बढ़ावा दे रहा है। आर्थिक सर्वेक्षण 2023 के अनुसार, भारत में स्वदेशी इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग साल 2030 तक 49 प्रतिशत की दर से विकसित होगा, जो हर साल 10 मिलियन बिक्री तक पहुंच जाएगा।

एक आंकड़े के मुताबिक भारत में ईवी को बढ़ावा देने के लिए सरकार की ओर से मिल रहे सपोर्ट और नीतियों के कारण वित्तीय वर्ष 2023 में भारत में ईवी की बिक्री 1.17 मिलियन यूनिट तक पहुंच गई है, जो रिकॉर्ड 155 फीसदी की वृद्धि दर्शाती है। 

इलेकिट्रक व्हीकल्स के बढ़ते बाजार और निवेश के अवसरों के मद्देनजर यह विदेशी औद्योगिक संस्थानों के लिए उपयुक्त साबित हो सकते हैं।  बता दें कि भारत का इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग अभी भी अपनी प्रारंभिक अवस्था में है। बावजूद इसके यह दोपहिया वाहन के क्षेत्र में दुनिया का सबसे बड़ा बाजार है। 

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बतौर उदाहरण 100 फीसदी एफडीआई की संभावना, नए विनिर्माण केंद्र और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार के लिए तेज प्रयासों के साथ, भारत में ई-चालित दोपहिया वाहन (ई2डब्ल्यू) सेगमेंट गति पकड़ रहा है। भारतीय इलेक्ट्रिक दोपहिया बाजार को मिलने वाली सरकारी सब्सिडी और मजबूत नीतिगत समर्थन के चलते स्थानीय बैटरी उत्पादन में भी वृद्धि देखने को मिल रही है। 

इसके अतिरिक्त देश में कई नए स्टार्टअप हैं जो इलेक्ट्रिक व्हीकल्स इंडस्ट्री में अपने नए उत्पादों के साथ उभरे हैं, ऐसे में यह विदेशी निवेशकों के लिए निवेश के कई विकल्प प्रदान कर रहे हैं।

ईवी सेक्टर को सरकार द्वारा प्रोत्साहन

भारत सरकार ने देश में ईवी सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए सब्सिडी सहित कई योजनाएं लागू कर रखी है। बता दें कि इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या को बढ़ावा देने के लिए FAME I और FAME II को पहले ही लॉन्च किया जा चुका है।  

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ग्राहकों को कम कीमत पर ईवी बेचने और उत्पादकता को बढ़ावा देने के हिसाब से इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए पीएलआई योजना शुरू की गई थी। ईवी के प्रति सरकार ने अपनी संवेदनशीलता दिखाते हुए साल 2022 में बैटरी-स्वैपिंग नीति भी शुरू की।

इंफ्रास्ट्रक्चर में ग्रोथ

भारी उद्योग मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, साल 2023 में भारत में तकरीबन 6,586 सार्वजनिक ईवी चार्जिंग स्टेशन उपलब्ध हैं। हांलाकि अभी इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों के केवल सरकारी चार्जिंग स्टेशनों पर निर्भर रहने की संभावना है। बावजूद इसके कई ऑटोमोटिव बिजनेसमैंस ने निजी चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की तैनाती भी शुरू कर दी है। 

ऊर्जा मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, देश के प्रमुख 9 शहरों में सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशनों की स्थापना के लिए कार्य योजना बनाई गई है। बता दें कि इन शहरों में 2030 तक 46,397 सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन (पीसीएस) उपलब्ध होंगे। इसके अलावा चार्जर, चार्जिंग स्टेशन और अन्य सेवाओं के विकास के लिए भी प्रारूप तैयार किया जा रहा है।

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