13 | आमजन से लेकर इतिहासकारों में इस बात की चर्चा आज भी होती है कि ब्रिटीश कालीन संसद भवन की डिजाइन मध्य प्रदेश के मुरैना जिले के पडावली के पास मितावली गांव में स्थित चौसठ योगिनी मंदिर से लिया गया है। आर्टिटेक्ट एडविन लुटियंस ने चौसठ योगिनी मंदिर को देखकर ही संसद भवन का निर्माण करवाया था। यद्यपि आज तक इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हो सकी है। चलिए हम बात करते हैं चौसठ योगिनी मंदिर की जिसका निर्माण 1323 ईसवी में कच्छप राजा देवपाल ने करवाया था। यह मंदिर उन दिनों सूर्य के गोचर के आधार पर ज्योतिष और गणित में शिक्षा प्रदान करने का स्थान था। काफी पहले यहां तंत्र-मंत्र की शिक्षा ली जाती थी। इसी मान्यता के चलते कोई भी पर्यटक या दर्शनार्थी इस मंदिर में रात में नहीं रूकता है। |
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हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दिसंबर 2020 में नए संसद भवन की आधारशिला रखी थी। आधिकारियों के मुताबिक नए संसद के निर्माण में तकरीबन 971 करोड़ रुपए की लागत का अनुमान है। सूत्रों के मुताबिक सभी आधुनिक सुविधाओं से युक्त् नया संसद बनकर तैयार है और इसके उद्घाटन की औपचारिक घोषणा अगले दो सप्ताह में होने की उम्मीद है।
बावजूद इसके पुराने संसद भवन की महत्ता आज भी है और हमेशा बनी रहेगी क्योंकि यह शानदार भवन देश के वर्तमान और भविष्य से जुड़े ऐतिहासिक फैसलों का साक्षी रहा है। ब्रिटिश काल के इस संसद भवन का डिज़ाइन एडविन लुटियंस और हर्बर्ट बेकर ने बनाया था। इस ऐतिहासिक भवन का निर्माण 1921 से 1927 के बीच हुआ था जिसका उद्घाटन भारत के तत्कालीन वायसराय लार्ड इरविन ने किया था। आपको जानकर हैरानी होगी इस भवन का निर्माण अंग्रेजों ने दिल्ली में प्रशासनिक राजधानी बनाने के लिए किया था। लेकिन देश आजाद होने के बाद इसे संसद भवन में तब्दील कर दिया गया। ब्रिटीनकालीन संसद भवन के निर्माण में कुल 83 लाख रूपए खर्च हुए थे। इस भवन को बनाने में 6 साल लगे थे।
आमजन से लेकर इतिहासकारों में इस बात की चर्चा आज भी होती है कि ब्रिटीश कालीन संसद भवन की डिजाइन मध्य प्रदेश के मुरैना जिले के पडावली के पास मितावली गांव में स्थित चौसठ योगिनी मंदिर से लिया गया है। ऐसा कहा जाता है कि आर्टिटेक्ट एडविन लुटियंस ने चौसठ योगिनी मंदिर को देखकर ही संसद भवन का निर्माण करवाया था। यद्यपि आज तक इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हो सकी है।
चलिए हम बात करते हैं चौसठ योगिनी मंदिर की जिसका निर्माण 1323 ईसवी में कच्छप राजा देवपाल ने करवाया था। यह मंदिर उन दिनों सूर्य के गोचर के आधार पर ज्योतिष और गणित में शिक्षा प्रदान करने का स्थान था। काफी पहले यहां तंत्र-मंत्र की शिक्षा ली जाती थी। इसी मान्यता के चलते कोई भी पर्यटक या दर्शनार्थी इस मंदिर में रात में नहीं रूकता है।
वर्तमान में यह मंदिर पुरातत्व विभाग के अधीन है, साल 1951 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने इसे ऐतिहासिक धरोहर घोषित किया था। जहां तक चौसठ योगिनी मंदिर के आर्किटेक्ट का सवाल है, यह मंदिर 101 खंभों पर टिका है जबकि संसद भवन में 144 मजबूत स्तंभ है। ध्यान देने योग्य बात है कि चौसठ योगिनी मंदिर और ब्रिटीशकालीन संसद भवन की संरचना गोल है। चौसठ योगिनी मंदिर में 64 कक्ष हैं जबकि संसद भवन में 340 कक्ष।