मलावी में बीबीसी को 27 मिनट तक दिए जाने वाले एक रेडियो रिपोर्ट में एरिक अनीवा नाम के एक व्यक्ति ने कहा था कि उसे तकरीबन 100 से अधिक युवा लड़कियों और महिलाओं के साथ शारीरिक संबंध बनाने के बदले पैसे भुगतान किए गए थे, इनमें कुछ 12 साल की लड़कियां भी थीं। हांलाकि इस रेडियो रिपोर्ट के मलावी में प्रसारित करने के बाद ही अनीवा को गिरफ्तार कर लिया गया था। दरअसल इस देश में शारीरिक पवित्रता के नाम पर एक ऐसी कुप्रथा है जहां लड़की के पहली बार यौवनावस्था में प्रवेश करते ही इन हायनाज़ से संबंध बनाना पड़ता है। ऐसा करने के बाद वह लड़की अथवा महिला पवित्र समझी जाती है। यहां तक कि इस प्रथा के दौरान गर्भनिरोधक का इस्तेमाल करना भी गलत माना जाता है। ऐसी कुत्सित प्रथा को प्रोत्साहन देने वाले कोई और नहीं बल्कि लड़की के माता-पिता ही होते हैं जो इस काम के लिए लकड़बग्घे को पैसे देते हैं।
दोस्तों, लकड़बग्घे का नाम सुनते ही सबसे पहले एक बदसूरत और बेहद खूंखार जानवर की तस्वीर उभरकर सामने आने लगती है। लकड़बग्घे अक्सर धोखे से अपने शिकार पर हमला करते हैं और उसका खात्मा कर देते हैं। अब आप सोच रहे होंगे कि इस स्टोरी में किस तरह के इंसानों के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्हें लकड़बग्घा कहा जाता है। जी हां, दरअसल यह स्टोरी है अफ्रीका के एक प्रांत मलावी की है जहां कुछ मर्दों को लकड़बग्घा कहा जाता है, क्योंकि ये हाइना मैन महिलाओं और लड़कियों को चुपके से अपनी हवस के आगोश में ले लेते हैं।बता दें कि मलावी में बीबीसी को 27 मिनट तक दिए जाने वाले एक रेडियो रिपोर्ट में एरिक अनीवा नाम के एक व्यक्ति ने कहा था कि उसे तकरीबन 100 से अधिक युवा लड़कियों और महिलाओं के साथ शारीरिक संबंध बनाने के बदले पैसे भुगतान किए गए थे, इनमें कुछ 12 साल की लड़कियां भी थीं। हांलाकि इस रेडियो रिपोर्ट के मलावी में प्रसारित करने के बाद ही अनीवा को गिरफ्तार कर लिया गया था।
अनिवा ने बीबीसी को बताया कि वह एचआईवी पॉज़िटिव था और उसने इस जानकारी को उन परिवारों को नहीं बताया जिन्होंने उसे काम पर रखा था। बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, वह 10 लकड़बग्घों में से एक है, जहां वह रहता है। अनिवा को उसके काम के बदले हर बार 4 से 7 डॉलर यानि 500 से 570 रुपए तक का भुगतान किया गया।
आश्चर्य तो तब होता है, जब गांव के लोग इस दुष्कृत्त्य को बलात्कार के रूप में नहीं बल्कि इसे लड़कियों के यौन यौन शुद्धि जैसे पवित्र रिवाज के रूप में देखते हैं। मलावी की तरह ही यह बेतुकी परम्परा अफ्रीका के कई हिस्सों में देखने को मिलती है।
दरअसल इस देश में शारीरिक पवित्रता के नाम पर एक ऐसी कुप्रथा है जहां लड़की के पहली बार यौवनावस्था में प्रवेश करते ही इन हायनाज़ से संबंध बनाना पड़ता है। ऐसा करने के बाद वह लड़की अथवा महिला पवित्र समझी जाती है। यहां तक कि इस प्रथा के दौरान गर्भनिरोधक का इस्तेमाल करना भी गलत माना जाता है। ऐसी कुत्सित प्रथा को प्रोत्साहन देने वाले कोई और नहीं बल्कि लड़की के माता-पिता ही होते हैं जो इस काम के लिए लकड़बग्घे को पैसे देते हैं।
इतना ही नहीं ऐसी औरतें जो कम उम्र में ही विधवा हो गई हों, उनके साथ भी यही प्रक्रिया दोहराई जाती है। हांलाकि अंधविश्वास से जुड़ी इस प्रथा से देश की सभी महिलाओं को शारीरिक पीड़ा के साथ ही उनके आत्मसम्मान को भी ठेस लगता है।
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