मांसपेशियों के कमजोर होने से लेकर अंतरिक्ष में भोजन की गुणवत्ता तक

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सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण में शुक्ला जिन प्रयोगों को अंजाम देंगे उन्हें देश-विदेश के अग्रणी शोध संस्थानों एवं प्रयोगशलाओं ने प्रस्तावित और विकसित किया है। इनमें बेंगलूरु, धारवाड़, तिरुवनंतपुरम, नई दिल्ली और यहां तक की इटली के संस्थान शामिल हैं। एक्सिओम स्पेस ने हाल ही में इन प्रयोगों के बारे में एक संक्षिप्त जानकारी दी थी, लेकिन इसरो ने संपूर्ण प्रयोगों का विवरण जारी किया है। ये प्रयोग विविध वैज्ञानिक क्षेत्रों से जुड़े हैं जो मानव स्वास्थ्य, कृषि, जैव प्रौद्योगिकी, भौतिक/जीवन विज्ञान, नवीन दवाओं के विकास जैसे क्षेत्रों में उपलब्ध ज्ञान को आगे बढ़ाएंगे।

मानव अंतरिक्ष मिशनों को मिलेगी नई दिशा

मिशन के दौरान किए जाने वाले 7 प्रमुख प्रयोगों में से एक, खाने योग्य सूक्ष्म शैवालों पर अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन में सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण विकिरण के प्रभाव का अध्ययन है। इसे सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) के तहत अंतरराष्ट्रीय आनुवंशिक इंजीनियरिंग व जैव प्रौद्योगिकी केंद्र (आइसीजीईबी) और राष्ट्रीय पादप जीनोम अनुसंधान संस्थान (एनआइपीजीआर) ने तैयार किया गया है। सूक्ष्म शैवाल अंतरिक्ष उड़ानों के दौरान अध्ययन के लिए सूक्ष्मजीवों का आदर्श नमूना हैं। उनमें भोजन को स्थायी रूप से उगाने की क्षमता होती है। प्रयोग के दौरान यह पता लगाया जाएगा कि अंतरिक्ष की परिस्थितियां नमूनों के विकास पैटर्न और आनुवंशिक गतिविधि को कैसे प्रभावित करती हैं। क्या ये सूक्ष्मजीव भविष्य के मिशनों में भोजन के संभावित विकल्प हो सकते हैं। आइसीजीईबी ने सूक्ष्म गुरुत्व में यूरिया और नाइट्रेट का उपयोग करते समय साइनोबैक्टीरिया की तुलनात्मक वृद्धि और प्रोटिओमिक्स प्रतिक्रियाओं का अध्ययन करने के लिए भी एक प्रयोग तैयार किया है। यह प्रयोग अंतरिक्ष में ऑक्सीजन और पोषक तत्वों के पुनर्चक्रण में मददगार साबित हो सकते हैं।

दीर्घावधि अंतरिक्ष मिशनों के लिए होंगे ये प्रयोग

स्टेम सेल विज्ञान एवं पुनर्योजी चिकित्सा संस्थान (इनस्टेम) सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण में मांसपेशियों के पुनर्जनन पर चयापचय के प्रभाव का अध्ययन करने के लिए एक प्रयोग तैयार किया है। इसमें सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण में मांसपेशियों के कमजोर होने की समस्या की जांच की जाएगी। लंबे समय तक अंतरिक्ष मिशनों में पोषण विकल्पों को विकसित करने के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण प्रयोग धारवाड़ कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय ने तैयार किया है। इसमें वैज्ञानिक अंतरिक्ष में सलाद के बीजों के अंकुरित होने की जांच करेंगे। भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइएसटी) तथा अंतरिक्ष विभाग एवं कृषि महाविद्यालय, वेल्लयानी, ने भी एक प्रयोग तैयार किया है। यह खाद्य फसल के बीजों में वृद्धि और उपज मापदंडों पर सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव का अध्ययन करेगा। इसके लिए मिशन पर नमूने भेजे जाएंगे।

अंतरिक्ष में डिजिटल स्क्रीन समस्याओं को भी समझेंगे

अंतरिक्ष प्रयोगों का नेतृत्व कर रहे भारतीय विज्ञान संस्थान (आइआइएससी) ने दो अनूठे परीक्षण विकसित किए हैं। इनमें से एक, सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण में इलेक्ट्रॉनिक डिस्प्ले के साथ परस्पकर मानवीय संपर्क का विश्लेषण करना है। इस दौरान आंख-हाथ समन्वय, संकेत देने की क्षमता और डिजिटल स्क्रीन से जुड़ी समस्याओं को समझा जाएगा। यह भविष्य में अंतरिक्षयानों की डिजाइन और कार्यशैली में सुधार के लिए अहम है। दूसरा टार्डिग्रेड्स की जीवित रहने की क्षमता का अध्ययन। यह प्रयोग बताएगा कि सूक्ष्मजीव माइक्रोगे्रविटी में कैसे प्रतिक्रिया करते हैं।



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