बालासोर एक्सीडेन्ट के बादअब 200 ट्रेनों में कवच सिस्टम लगाएगी इंडियन रेलवे, जानिए इसके फायदे?

0
103

ओडिशा के बालासोर ट्रेन एक्सीडेन्ट से पूरा देश हिल गया था। बता दें कि बेंगलुरू.हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस, कोरोमंडल एक्सप्रेस और मालगाड़ी के आपस में भिड़न्त होने से तकरीबन 300 यात्रियों की मौत हो गई थी और 900 घायल हो गए। इस दुर्घटना के बीच एक ही नाम बार-बार आ रहा था कि यदि इन ट्रेनों में कवच सिस्टम मौजूद होता तो यह देखने को नहीं मिला होता था।

जानकारी के मुताबिक इस बालासोर हादसे के बाद भारतीय रेलवे ने कवच सिस्टम पर काम तेजी से शुरू कर दिया है। इंडियन रेलवे इस साल के अंत तक तकरीबन 200 ट्रेनों में कवच सिस्टम लगाएगी। रेलवे के जनरल मैनेजर्स ने उन सभी रूटों की पहचान करने के निर्देश दिए हैं जहां शुरूआती तौर पर कवच लगाने की जरूरत है। इस बात को लेकर रेलवे मंत्रालय भी एक्शन मोड में नजर आ रहा है। रेलवे मंत्रालय का कहना है कि कवच सिस्टम के टेंडर निकालने में देरी नहीं की जाएगी।

भारतीय रेलवे कवच सिस्टम लगाने को लेकर बड़े पैमाने पर खर्च करने को तैयार है। बता दें कि कवच सिस्टम लगाने में प्रतिकिलोमीटर 50 लाख का खर्च आता है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि अभी तक मात्र 77 ट्रेनें ही कवच सिस्टम से लैश हैं। जानकारी के लिए बता दें कि कवच सिस्टम लगने से एक्सीडेन्ट या डिरेल होने के दौरान खुद से ही ब्रेक लग जाता है।

आखिर क्या है कवच सिस्टम?

कवच एक ऑटोमेटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम है, इसे भारतीय रेलवे के लिए रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड ऑर्गेनाइजेशन की तरफ से डेवलप किया गया था। कवच सिस्टम पर रेलवे ने साल 2012 में ही करना करना शुरू कर दिया था। हांलाकि इस सिस्टम का पहला ट्रायल साल 2016 में किया गया था। रेलवे द्वारा कवच सिस्टम लाने के पीछे का मक्सद केवल जीरो एक्सीडेंट था। दुर्घटना से पहले ही ट्रेन में लगे सेंसर से ड्राइवर को पहले ही अर्लाम के जरिए अलर्ट भेजा जाता है, जिसमें उस रूट पर ट्रेन आ रही है या फिर ट्रेन में कोई खराबी है,। इस सेंसर से जरिए स्टेशन से ही ट्रेन को कंट्रोल में किया जा सकता है।

जानिए कैसे काम करता है कवच?

कवच प्रोटेक्शन सिस्टम एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेस का सेट है। इसमें रेडियो फ्रिक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन डिवाइसेस को ट्रेन, ट्रैक, रेलवे सिग्नल सिस्टम और हर स्टेशन पर एक किलोमीटर की दूरी पर इंस्टॉल किया जाता है। इस सिस्टम को दूसरे कंपोनेंट्स से अल्ट्रा हाई रेडियो फ्रिक्वेंसी के जरिए कम्युनिकेट किया जाता है। 

बतौर उदाहरण जैसे ही कोई भी लोको पायलट किसी सिग्नल को जंप करता है, तो यह कवच सिस्टम एक्टिवेट हो जाता है। इसके बाद यह सिस्टम लोकोपायलट को अलर्ट करता है फिर ट्रेन के ब्रेक्स का कंट्रोल हासिल कर लेता है। इसे यूं समझिए कि कवच सिस्टम को अलर्ट मिलते ही कि दूसरे ट्रैक पर ट्रेन आ रही है पायल पहली ट्रेन के मूवमेंट को रोक देता है।

#Balasoreaccident #IndianRailways   #kavachsystem   #trains #benefitsofkavach

SUBSCRIBE TO OUR NEWSLETTER.

Never miss out on the latest news.

We don’t spam! Read our privacy policy for more info.

RATE NOW

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here