ऑपरेशन ट्राइडेंट-1971  : 90 मिनट में नष्ट हो गए थे पाकिस्तान के कई युद्धपोतऔरकराची पोर्ट, 7 दिनों तक जलती रही आग

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अक्टूबर 1971 में तत्कालीन नौसेना प्रमुख एडमिरल एसएम नंदा प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से मिलने पहुंचे। मि. नंदा ने इंडियन नेवी की तैयारियों के बारे में बताने के बाद इंदिरा गांधी से पूछा कि मैडम, यदि इंडियन नेवी कराची पर हमला करे तो इसमें सरकार को राजनीतिक रूप से कोई दिक्कत नहीं हो सकती है। इस पर इंदिरा गांधी थोड़ी देर चुप रहीं और बोलीं कि आप ऐसा क्यों पूछ रहे हैं। 

इस पर मि. नंदा ने कहा कि 1965 में नौसेना को खास हिदायत दी गई थी कि इंडियन नेवी भारतीय समुद्री सीमा से बाहर कोई कार्रवाई न करे, जिससे सेना को कई परेशानियों का सामना करना पड़ा था। इंदिरा गांधी ने कुछ देर सोचा और कहा कि वेल एडमिरल, इफ देयर इज अ वॉर, देअर इज अ वॉर। इस पर एडमिरल नंदा ने कहा कि मैडम, मुझे मेरा जवाब मिल गया।

इंडियन नेवी का ऑपरेशन ट्राइडेंट

3 दिसंबर 1971 को पाकिस्तान की सेना ने भारत के सीमावर्ती क्षेत्रों पर आक्रमण करने शुरू कर दिए। इस हमले को 1971 के युद्ध की शुरुआत माना जाता है। पाकिस्तानी सेना को जवाब देने के लिए इंडियन नेवी ने जो हमला किया उसे ‘ऑपरेशन ट्राइडेंट’ नाम दिया गया।

‘ऑपरेशन ट्राइडेंट’ के तहत पाकिस्तानी नौसेना के कराची बेस को निशाना बनाया गया था। इस हमले में इंडिया ने मिसाइल युद्ध-पोतों से हमला किया था, जिससे चंद मिनटों में ही कराची नौसेना पोर्ट पर खड़े कई पाकिस्तानी जहाज नष्ट हो गए थे। 

भारत की तरफ से की गई जवाबी कार्रवाई में कराची हार्बर फ्यूल स्टोरेज बर्बाद हो गया था। इतना ही नहीं कराची के तेल टैंकर जलकर खाक हो गए। आग की धधक इतनी तेज थी कि 60 किमी. दूर से ही इसे देखा जा सकता था। कराची पोर्ट लगातार 7 दिनों तक धू-धू करके जलता रहा।  कराची के तेल डिपो में लगी आग को सात दिनों और सात रातों तक नहीं बुझाया जा सका।

हमले के अगले दिन जब भारतीय वायु सेना के विमान कराची पर बमबारी करने गए तो पायलट्स ने रिपोर्ट दी कि यह एशिया का सबसे बड़ा बोनफायर था। कराची के ऊपर इतना धुआं था कि तीन दिनों तक वहां सूरज की रोशनी नहीं पहुंच सकी।  हालांकि, इस जंग के दौरान भारतीय नौसेना का आईएनएस खुखरी 18 अधिकारियों समेत 176 नाविकों के साथ डूब गया था। इसमें कमांडिंग ऑफिसर कैप्टन महेंद्र नाथ भी शामिल थे। 

ऑपरेशन ट्रिडेंट यानि ऑपरेशन त्रिशूल के चलते पाकिस्तान की सेना बैकफुट पर आ गई। एक ही रात में उसके सैकड़ों सैनिक मारे गए थे, इतना ही नहीं पाकिस्तानी सेना अपनी हिम्मत हारने लगी।  स्थिति यह हो चुकी थी कि पश्चिमी पाकिस्तान पूर्वी पाकिस्तान तक कोई मदद पहुंचाने में अब सक्षम नहीं रह गया था और यही बात इस युद्ध में निर्णायक साबित हुई।

ऑपरेशन ट्राइडेंट की वजह से बदल गया इंडियन नेवी का इतिहास

ऑपरेशन ट्राइडेंट के कारण इंडियन नेवी ने अपनी परंपरा में बदलाव किया। बता दें कि इंडियन नेवी पहले 15 दिसम्बर को नौसेना दिवस मनाती थी। लेकिन कराची हमले के बाद से तय किया गया कि अब 4 दिसंबर को ही देश नौसेना दिवस और 1 से 7 दिसंबर तक नौसेना सप्ताह मनाया करेगा। 

ऑपरेशन ट्राइडेंट ने यह साबित कर दिया कि किसी भी लड़ाई में नेवी के महत्व को किसी भी तरीके से नकारा नहीं जा सकता है। पिछले कुछ सालों से भारत सरकार ने इंडियन नेवी को मजबूत करने के लिए जोरदार प्रयास कर रही है। बतौर उदाहरण भारतीय नौसेना के लड़ाकू जहाजों को सुपरसोनिक ब्रह्मोस मिसाइलों से लैस किया जा रहा है। इससे भारतीय नौसेना की बहु-दिशात्मक समुद्री हमले की क्षमता में काफी वृद्धि होगी।

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