अंतरिक्ष और प्रमुख आपदाओं पर अंतरराष्ट्रीय चार्टर का नेतृत्व करेगा इसरो

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इसरो ने कहा है कि भारत चार्टर पर हस्ताक्षरकर्ता है, जो 2025 में अपनी 25 वीं वर्षगांठ मनाएगा। इसरो इसका संस्थापक सदस्य है। चार्टर 17 सदस्य संगठनों के सहयोगी ढांचे के रूप में काम करता है। यह दुनिया में आने वाली आपदाओं के प्रबंधन के लिए भू-प्रेक्षण डेटा (भू-अवलोकन आंकड़ें) उपलब्ध कराता है। इसरो के अध्यक्ष वी नारायणन ने अंतरराष्ट्रीय चार्टर के बोर्ड सदस्यों को संबोधित किया और आपदा प्रबंधन सहायता के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का उपयोग करने में चार्टर के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। इसरो ने कहा है कि चार्टर में भारत की अग्रणी भूमिका अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग, तकनीकी कौशल और मानवीय प्रतिबद्धता में दशकों के निरंतर निवेश का परिणाम है।

चंद्रयान-4 पर बैठक

इसरो ने यह भी चंद्रयान-4 पर राष्ट्रीय विज्ञान बैठक का आयोजन किया। बैठक में चांद से नमूने वापस लाने वाले चंद्रयान-4 मिशन के तकनीकी पहलुओं पर व्यापक चर्चा हुई। इसमें अंतरिक्ष विज्ञान से जुड़े कई लोग शामिल हुए। प्रतिभागियों में आधे 12 रिसर्च संस्थानों के प्रतिनिधि थे। इसरो के वैज्ञानिक सचिव एम गणेश पिल्लई ने कार्यक्रम के दौरान चंद्रयान-4 मिशन के संदर्भ में राष्ट्रीय बैठक के महत्व पर जोर दिया।

सेमीक्रायोजेनिक इंजन का दूसरा हॉट टेस्ट सफल

इसरो ने कहा है कि सेमी क्रायोजेनिक इंजन का दूसरा हॉट टेस्ट सफलतापूर्वक किया है। सेमी क्रायोजेनिक इंजन इसरो के रॉकेटों की ताकत बढ़ाएंगे और अंतरिक्ष में भारत की पे-लोड क्षमता बढ़ेगी। यह परीक्षण इसरो के महेंद्रगिरी स्थित इसरो प्रणोदन परिसर (आइपीआरसी) में किया गया। थ्रस्ट चैंबर को छोडक़र सभी इंजन सिस्टिम वाले पूरी तरह इंटीग्रेटड सेमीक्रायोजेनिक इंजन को 60 प्रतिशत क्षमता तक संचालित किया गया। लगभग 3.5 सेकेंड के इस हॉट टेस्ट से मिले आंकड़े पूर्ण सेमीक्रायोजेनिक इंजन को अंतिम रूप देने के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है। सेमी क्रायोजेनिक इंजन में प्रणोदक (ईंधन) के तौर पर तरल हाइड्रोजन की जगह रिफाइंड केरोसिन का उपयोग किया जाएगा वहीं ऑक्सीडाइजर के तौर पर तरल ऑक्सीजन (एलओएक्स) का ही इस्तेमाल होगा। यह इंजन एलवीएम-3 में तरल चरण एल-110 की जगह लेगा।

श्रीहरिकोटा में निसार प्रक्षेपण की तैयारियां शुरू

नासा-इसरो सिंथेटिक अपर्चर राडार (निसार) उपग्रह के प्रक्षेपण की तैयारियां श्रीहरिकोटा में शुरू हो गई हैं। यह मिशन जीएसएलवी एफ-16 से लांच किया जाएगा। इस बीच इसरो ने जीएसएलवी के दूसरे चरण (जीएस-2) को इसरो प्रणोदन परिसर (आइपीआरसी), महेंद्रगिरि से श्रीहरिकोटा के प्रक्षेपण परिसर के लिए रवाना कर दिया है। नासा-इसरो की संयुक्त साझेदारी में तैयार किया गया यह उपग्रह केवल 12 दिन में ही पूरी धरती को स्कैन करने की क्षमता रखता है। यह विश्व के सबसे महंगे उपग्रहों में से एक है जो आपदा प्रबंधन समेत जलवायु के अध्ययन के लिए काफी महत्वपूर्ण होगा।



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