लापता थे मनीष चंद्र, अब नर कंकाल मिला, पत्‍नी और मां ने खोला राज, नहीं होगा यकीन

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राम विलास सक्‍सेना
बरेली. पिछले करीब तीन सप्ताह से लापता लेखपाल मनीष चंद्र कश्यप का कंकाल बरामद हुआ है. पुलिस की माने तो लेखपाल का अपहरण फिरौती वसूलने के लिए किया गया था और फिरौती न मिलने के चलते लेखपाल की गला दबाकर हत्या करने के बाद उनकी लाश को नाले में फेंक दिया गया था. फिलहाल पुलिस ने हिरासत में लिए गए अपहरण कर्ताओं की निशानदेही पर आज मनीष चंद कश्यप का कंकाल बरामद कर लिया है. हिरासत में लिए गए अपहरण कर्ताओं से पुलिस की पूछताछ अभी जारी है. दूसरी तरफ मनीष की मां मोरकली, पत्‍नी जमुना देवी ने आरोप लगाया है कि सरकारी जमीन घोटाले में साथ नहीं देने पर अफसरों और दबंगों ने हत्‍या करा दी. उनका कहना है कि मनीष के अपहरण और हत्‍या में इन्‍हीं लोगों का हाथ है. इससे पहले जब उनके लापता होने की शिकायत लेकर जब तहसील के अफसरों और पुलिस के पास गए थे तो कोई सुनवाई नहीं हुई थी.

मनीष का कंकाल मिलने के साथ ही अब कई सवाल खड़े हो गए हैं. दरअसल बरेली जिला की बहेड़ी थाना इलाके के रहने वाले लेखपाल मनीष चंद्र कश्यप बरेली की ही फरीदपुर थाना इलाके की फरीदपुर तहसील में लेखपाल के पद पर तैनात थे. मनीष चंद्र कश्यप ने लेखपाल पिता की मृत्यु के बाद मृतक आश्रित में परिवार के पालन पोषण के लिए नौकरी पाई थी. मनीष चंद्र कश्यप घर में इकलौते कमाने वाले थे. परिवार का पूरा जिम्मा लेखपाल मनीष के ही कंधों पर ही था. लेखपाल मनीष चंद्र कश्यप बीती 27 नवंबर को फरीदपुर तहसील ड्यूटी पर गए और तहसील से लापता हो गए थे.

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सरकारी जमीन घोटाले की रिपोर्ट भेजने वाले थे, उसी दिन
इसके बाद जब परिजनों तहसील गए तो एसडीएम और पुलिस अधिकारियों ने मनीष चंद्र कश्यप के बारे में कोई सुनवाई नहीं की, बल्कि परिवार वालों को भगा दिया था. परिजनों ने बताया कि मनीष ने अपने ही हल्के की एक बड़ी सरकारी जमीन की पैमाइश की थी उस पर एक नेता का कब्जा था. इसकी रिपोर्ट मनीष जिलाधिकारी के माध्यम से सरकार को भेजने वाले थे. आरोप है कि दबंग नेता ने एसडीएम से सांठगांठ की और अधिकारी, मनीष पर रिपोर्ट बदलने का दबाव बनाने लगे. जिस दिन मनीष रिपोर्ट भेजने वाले थे, ठीक उसी दिन से वे लापता रहे और अब उनका कंकाल मिला है.

अफसरों ने प्रेस नोट जारी कर मनीष पर लगाए थे आरोप, फिर
मनीष के परिजनों ने जब आरोप लगाया तो अफसरों ने उन्‍हें तहसील में घुसने से रोक दिया और इसके बाद प्रेस नोट जारी करते हुए मनीष पर कई आरोप लगाए थे. हालांकि इसको लेकर इलाके के सीओ और एसडीएम की खूब किरकिरी हुई तो एसडीएम ने मनीष और उनके परिवार के प्रति संवेदना जताते हुए अपना एक वीडियो जारी कर दिया.

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पुलिस के दावे को परिवार ने नकारा, बता दी ऐसी वजह
लेखपाल मनीष चंद्र के अपहरण का मामला जब लखनऊ तक पहुंचा तो पुलिस ने 4 खूंखार बदमाशों अवधेश उर्फ ओमवीर, सूरज कश्यप, नेत्रपाल कश्यप और नन्हे कश्यप को पकड़ा और उनकी निशानदेही पर नर कंकाल बरामद कर लिया है. नर कंकाल के पास से ही पुलिस ने मनीष की डायरी के अलावा उनका जरूरी सामान भी बरामद किया. पुलिस का दावा है कि मोटी रकम वसूलने के लिए मनीष का अपहरण किया गया था. इधर, परिवार में मां मोरकली, पत्‍नी जमुना देवी ने पुलिस के दावे को झूठ बताया है. उनका कहना है कि मनीष ने पुलिस को शिकायत दी थी, अपने अधिकारियों को भी जमीन घोटाले की शिकायत दी थी, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. ये सब आपस में मिले हुए हैं, इसलिए मनीष की हत्‍या करा दी गई. अगर सरकार इसकी जांच करेगी तो सब साफ हो जाएगा.

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