बादशाही बरकरार, शहजादा सलामत: सोनार किले में सजता है बादशाह का दरबार, गूंजते हैं जयकारे

0
8

पूर्व बादशाहों के अनुभव

पूर्व में बादशाह बनने वाले विकास व्यास बताते हैं कि यह केवल परंपरा नहीं, बल्कि गौरव का क्षण होता है। जब लोग बादशाह सलामत के जयकारे लगाते हैं, तो लगता है जैसे इतिहास जीवंत हो गया हो। दूसरे पूर्व बादशाह अजय व्यास कहते हैं कि सोनार दुर्ग में बैठकर लोगों की भीड़ को देखना और परंपरा को निभाना अविस्मरणीय अनुभव है। खासकर जब लक्ष्मीनाथ मंदिर पर जाकर घोषणा की जाती है, तो गर्व की अनुभूति होती है।

निकली है बादशाह की सवारी

शाही परंपरा की झलक दुर्ग के भीतर बादशाही दरबार में लोगों की भीड़ उमड़ती है। होली के रंगों में सराबोर लोग तबले की थाप पर नाचते-गाते हुए बादशाह के दरबार में शामिल होते हैं। इसके बाद बादशाह और शहजादों की सवारी निकलती है, जो लक्ष्मीनाथ मंदिर तक जाती है। वहां बादशाह से पूछा जाता है – बादशाह क्या फरमाते हैं? इस परंपरा के तहत बादशाह अपनी श्रद्धानुसार दान या गोठ की घोषणा करता है। जैसलमेर की होली पर्व की अनूठी परंपरा को देखने के लिए देश-विदेश से पर्यटक जैसलमेर आते हैं।

फिल्मी दृश्य जैसी अनुभूति

मैंने दुनिया में कई होलियां देखी हैं, लेकिन जैसलमेर की होली का राजसी अंदाज अनोखा है। सोनार दुर्ग की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और बादशाह की सवारी किसी फिल्मी दृश्य जैसी लगती है।

-योहानेस श्मिट, पर्यटक, जर्मनी

संस्कृति व परंपरा का मेल

यहां की होली में केवल रंग नहीं, बल्कि संस्कृति और परंपरा का मेल दिखता है। जब बादशाह दरबार में बैठते हैं और सवारी निकलती है, तो ऐसा लगता है जैसे समय पीछे चला गया हो। -क्लारा मार्टिन, पर्यटक, फ्रांस

निराली है जैसाण होली

मैंने राजस्थान में कई जगहों पर होली मनाई, लेकिन जैसलमेर की होली का अंदाज निराला है। यहां होली मनाने आया हूं, परिवार भी साथ है। काफी उत्साहित हूं। पहले भी यहां आ चुका हूं।

-रोहित अरोड़ा, पर्यटक, नई दिल्ली



Source link

SUBSCRIBE TO OUR NEWSLETTER.

Never miss out on the latest news.

We don’t spam! Read our privacy policy for more info.

RATE NOW

LEAVE A REPLY

We cannot recognize your api key. Please make sure to specify it in your website's header.

    null
     
    Please enter your comment!
    Please enter your name here