भारतीय सेना के इतिहास में डोगराई विजय हमेशा अविस्मरणीय बना रहेगा। 1965 की लड़ाई में पाकिस्तानी सेना के विरुद्ध भारतीय जवानों ने बड़ी दिलेरी का परिचय दिया। इंडियन आर्मी के सैनिकों ने पाकिस्तान के लाहौर से कुछ मील पहले डोगराई शहर पर कब्जा कर लिया था। यहां तक कि भारतीय सेना के 4 सिख रेजिमेंट के अधिकारियों ने 1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान पाकिस्तान के लाहौर में एक पुलिस स्टेशन पर कब्जा कर लिया था। ताशकंद समझौत पर हस्ताक्षर के बाद भारतीय सेना ने लाहौर के इस पुलिस स्टेशन को मुक्त किया था अन्यथा आज लाहौर भी भारत के कब्जे में होता।
युद्ध में शामिल पूर्व सैनिकों के मुताबिक इंडियन आर्मी के 500 सैनिक पाकिस्तान के डोगराई शहर में मौजूद 9000 सैनिकों पर इस कदर भारी पड़े कि वे मैदान छोड़कर भाग खड़े हुए। डोगराई के युद्ध में 5 अधिकारी, 1 जेसीओ और 76 जवान शहीद हुए थें और 182 जवान घायल हुए थे। वहीं पाकिस्तानी सेना के 372 जवानों को मौत नसीब हुई थी साथ ही 106 सैनिक बंदी बना लिए गए थे।
बता दें कि 1962 में चीन से पराजित होने के पश्चात भारत को कमजोर मानकर पाकिस्तान ने साल 1965 में पूर्वी और पश्चिम की तरफ से आक्रमण कर दिया था। डोगराई में 3 बटालियन जाट रेजिमेंट को मोर्चे पर तैनात किया गया था। इस युद्ध में जाट रजिमेंट के एक-एक सैनिक ने 10-10 सैनिकों जितना दम दिखाया।
पाकिस्तान से महज कुछ किलोमीटर की दूरी पर मौजूद डोगराई शहर से जीटीरोड गुजरती है जो दिल्ली-अमृतसर से होते हुए लाहौर तक जाती है। डोगराई में इस रोड पर एक नहर पड़ती है। इच्छोगिल नाम की इस नहर का निर्माण 1950 में पाकिस्तानी सेना ने किया था ताकि इधर से लाहौर जाने वाले रस्ते को ब्लॉक किया जा सके।
5 सितंबर को पाकिस्तान के खुला मोर्चा खोलते हुए भारतीय सेना ने डोगराई पर कब्जा कर लिया था। 6 सितम्बर को भारत की सेना बाघा बार्डर से होते इच्छोगल नहर तक पहुंच गई। अब भारत लाहौर पर सीधा अटैक करने की पोजीशन में था इसलिए पाकिस्तान की तरफ से एयरफोर्स ने अपनी पूरी ताकत लगा दी।
पाकिस्तान ने हवाई हमले से इस पुल को ढहा दिया। ताकि भारतीय सैनिक नहर पार नहीं कर सकें। इसके बाद भारतीय हाईकमान ने सैनिकों को पीछे लौटने को कहा तो जो सैनिक नहर पार कर चुके थे उन्हें वापस आना पड़ा।
3 जाट को कमांड कर रहे लेफ्टिनेंट कर्नल डेसमंड हाइड ने कहा कि अब हम पीछे नहीं हट सकते, इन्हें आगे बढ़कर सबक सिखाना ही होगा। इंडियन आर्मी ने 13 दिन की रैकी के बाद नहर पार कर 22 तारीख की सुबह साढ़े पांच बजे भारत ने डोगराई पर कब्ज़ा कर लिया। डोगराई बिलकुल लाहौर से नजदीक था। कहा जाता है कि अगले एक दिन तक भारतीय सेना डोगराई से लाहौर पर शेलिंग करती रही। गौरतलब है कि 3 जाट रेजिमेन्ट ने पाकिस्तानी फौज के कमांडर कर्नल गोलवाला, उनके बैटरी कमांडर सहित 108 लोगों को जिन्दा पकड़ लिया। इस दौरान पाकिस्तान के 308 और भारत के 86 जवान शहीद हो गए।
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